(1) वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective type question)
(A) सही उत्तर को चिह्नित कीजिए :
1. साल/महोगनी / पलाश सदाबहार वन का एक वृक्ष है।
उत्तर : महोगनी।
2. राजस्थान के मरुभूमि अंचल में गर्जन/ सुन्दरी/ नागफनी वृक्ष पाए जाते हैं।
उत्तर : नागफनी।
3. 200 सेमी ० से अधिक वर्षा वाले भागों में सदाबहार/ पतझड़/ ज्वारीय वन पाए जाते हैं।
उत्तर : सदाबहार।
4. दार्जिलिंग में सर्पगन्धा/ कालमेघ/सिनकोना की अधिकता है।
उत्तर : सिनकोना।
5. कुनैन दवा है - मलेरिया / उच्च रक्तचाप / निम्न रक्तचाप की।
उत्तर : मलेरिया।
6. सुन्दरवन में सुन्दरी / सिनकोना/ महोगनी वृक्षों की अधिकता है।
उत्तर : सुन्दरी ।
7. विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है - 5 जून / 21 मार्च / 5 जुलाई।
उत्तर : 5 जून ।
8. सदाबहार/ पतझड़ / ज्वारीय वनों के वृक्ष वर्ष भर हरे-भरे रहते हैं।
उत्तर : सदाबहार।
9. पतझड़ / सदाबहार/ ज्वारीय वनों के वृक्ष ग्रीष्म काल के आरम्भ में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।
उत्तर : पतझड़।
10. उच्च रक्तचाप को कम करने में सिनकोना/ सर्पगन्धा/ नीम मदद करता है।
उत्तर : सर्पगन्धा।
(B) रिक्त स्थानों की पूर्ति करो
1. वायुमण्डलीय सन्तुलन के लिए ……. आवश्यक है।
उत्तर: वृक्षारोपण।
2. विश्व वन दिवस ……….. को मनाया जाता है।
उत्तर: 21 मार्च।
3. भारत में प्रायः …… प्रकार के पेड़ देखे जाते हैं।
उत्तर: 5000
(2) अति लघुउत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न- 1. चन्दन किस प्रकार के वन का वृक्ष है ?
उत्तर: पतझड़ का वन।
प्रश्न 2. ज्वारीय वन (मैंग्रोव वन) के प्रमुख वृक्ष का नाम बताओ।
उत्तर: सुन्दरी।
प्रश्न- 3. सर्वसुलभ एक औषधीय पौधे का नाम बताओ।
उत्तर: तुलसी, नीम ।
प्रश्न- 4. विश्व वन दिवस किस दिन मनाया जाता है?
उत्तर 21 मार्च।
(3) लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न- 1. प्राकृतिक वनस्पति किसे कहते हैं?
उत्तर : धरातल पर स्वतः आने वाले पेड़-पौधों को प्राकृतिक वनस्पति कहा जाता है।
प्रश्न-2. भारत में मुख्य रूप से कितने प्रकार के वन पाए जाते हैं? उनके नाम बताओ।
उत्तर : भारत में मुख्य रूप से प्रकार के पाए जाते है
(1) उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार के वन
(2) पतझड़ के वन
(3) पर्वतीय वन
(4) मैंग्रोव वन
(5) मरुस्थलीय वनस्पति
प्रश्न-3. वनों के विनाश के क्या कारण है?
उत्तर: वनों के विनाश के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।
(1) वनों की अन्धाधुंध कटाई।
(2) अनियन्त्रित पशुचारण
(3) वनों में आग का लगना।
(4) रास्तों, सड़कों, जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण आदि।
प्रश्न-4. वनों से हमें मिलने वाले प्रमुख लाभों के नाम बताओ।
उत्तर : वनों से लाभ वनों से हमें बहुमूल्य उपयोगी इमारती लकड़ियों प्राप्त होती हैं। उनसे हमें जाने वाली लकड़ियाँ प्राप्त होती हैं। बनों से है फल, फूल, गोंद, खड़, मधु-मीम, सिनकोना आदि प्राप्त देते हैं। इनके अलावा वनों से विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे प्राप्त होते है जिनसे विभिन्न प्रकार की दवाइयों बनाई जाती है।
प्रश्न-5. वनों के संरक्षण के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?
उत्तर: वनों के संरक्षण के लिए उपाय:
1. वृक्षारोपण करना चाहिए।
2. वृक्षों की चयनित कटाई की जानी चाहिए।
3. वनों की कटाई को रोकने के लिए अन-चेतना लाई जानी चाहिए।
4. कड़े कानून बनाकर वृक्षों की कटाई पर अंकुश लगाना चाहिए।
5. अनियन्त्रित पशुचारण पर नियन्त्रण किया जाना चाहिए।
(4) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न-1. भारत के विभिन्न प्रकार के वनों का संक्षिप्त विवरण लिखो।
उत्तर: भारत में पाए जाने वाले प्रमुख बन निम्नलिखित हैं-
1. उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार के वन : इस प्रकार के वन भारत के उन भागों में पाए जाते हैं जहाँ तापमान 25°C से अधिक रहता है एवं वर्ष 2000 सेमी 0 से अधिक होती है। इस प्रकार के वन मुख्य रूप से अण्डमान निकोबार द्वीप समूह, पश्चिमी घाट पर्वत के पश्चिमी भाग, पश्चिम बंगाल के दुआर अं एवं उत्तरी-पूर्वी राज्यों में पाए जाते हैं। मुख्य वृक्ष खड़, रोजउड, आयरन उड, बाँस आदि हैं। वृक्ष वर्ष भर क भरे रहते हैं। लकड़ियाँ कठोर तथा भारी होती हैं। वृक्ष अधिक लम्बे होते हैं। उपयोगी वृक्ष महोगनी एवं बाँस है।
2. पतझड़ के वन : इस प्रकार के वन 100 से 200 सेमी. वर्षां वाले भागों में पाए जाते हैं। ग्रीष्म काल के प्रारम्भ में वृक्ष अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। अर्थात् वृक्ष पूर्णतः पतीविहीन हो जाते हैं। इस प्रकार के बन गनगा है। समतल मैदान, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम एवं पठारी अंचल में पाए जाते हैं। मुख्य वृक्ष साल, सागौर शीशम, महुआ, कटहल, पलाश, चंदन, बाँस, आमुन आदि हैं। अधिकांश वृक्षों की लकड़ियाँ काम उपयोगी है। अतः आर्थिक दृष्टि से इनका महत्व अधिक है।
3. मरुस्थलीय वनस्पत्तियाँ : इस प्रकार के वन राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर-प्रदेश के उन भागों में पाए जाते हैं जहाँ वर्षा काफी कम (50) सेमी० से भी कम होती है। मुख्य वृक्ष नागफनी खजूर एवं बबूल इत्यादि हैं। वृक्षों में पत्तियाँ काफी कम अथवा छोटी-छोटी एवं मोटी होती हैं। इनकी जड़े काफी लम्बी होती हैं।
4. मैंग्रोव वन : इस प्रकार के बन नदियों के मुहाने पर उन भागों में पाए जाते हैं जहाँ ज्वार का खारा पानी प्रवेश कर जाता है। सुन्दरवन, गुजरात के कच्छ एवं खंभात की खाड़ी के तटीय अंचल में इस प्रकार के बन मुख्य रूप से पाए जाते हैं। सुन्दरी, गरान, हेताल, रोगला, गोलपाता प्रमुख वृक्ष हैं।
5. पर्वतीय वन : इस प्रकार के वन 1500 मी० से अधिक ऊंचाई वाले भागों में पाए जाते हैं जहाँ तापमान 15°C से भी कम होता है तथा वर्षा का औसत 50-100 से.मी. के बीच रहता है। हिमालय के पर्वतीय अंचल में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दार्जिलिंग में मुख्य रूप से पाए जाते हैं। पाइन, फर, स्पूस, सिहार, देवदार, साची, पोपलर आदि प्रमुख वृक्ष हैं। इनकी पत्तियाँ नुकीली होती है। इनके वृक्ष मुलायम एवं लकड़ियाँ हल्की होती हैं। इसलिए इन वृक्षों की लकड़ियाँ काफी उपयोगी होती हैं।
प्रश्न-2. निम्नलिखित औषधीय पौधों से किन रोगों में लाभ प्राप्त होता है?
वृक्ष —------रोग
वसाक : सर्दी, खांसी, त्वचा, लीवर, दाँत और बालों को स्वस्थ रखता है।
नीम : त्वचा, लीवर, दाँत, बालों एवं फोड़ा-फुंसी में लाभकारी।
सिनकोना : मलेरिया रोग की प्रसिद्ध दवा।
तुलसी : सर्दी, जुकाम, खाँसी में उपयोगी।
सर्पगन्धा : उच्च रक्त चाप में सहायक।
चिरैता : लीवर एवं दाँत की बीमारी के लिए उपयोगी।
कालमेघ : चर्मरोग में लाभदायी।