भारत में सर्वप्रथम पाषाणकालीन सभ्यता की खोज 1863 में प्रारंभ की गई
सर्वप्रथम पाषाणकालीन उपकरण को खोजने श्रेय राबर्ट ब्रूस फुट को दिया जाता है
सर्वप्रथम पूर्व पाषाणकालीन उपकरण भारत में मद्रास स्थित पल्लवरम स्थान स्थान से खोजा गया
उच्च पूरापाषाण संस्कृति को फलकों की प्रधानता के कारण फलक संस्कृति के नाम से भी जाना जाता है
आखेट एवं पशुपालन का कार्य सर्वप्रथम मध्य– पाषण काल में शुरू हुआ
मध्य–पाषाण काल में कृषि करने का प्रचलन नहीं था
आदि मानव ने सर्वप्रथम सिखा था – आग जलाना
आग का आविष्कार हुआ – पुरापाषाण काल में
सबसे पहले पालतू बनाया गया था – कुत्ते को
सर्वप्रथम तांबा धातु का प्रयोग हुआ
नव–पाषाण युग का प्रमुख औजार पत्थर की कुल्हाड़ी था
सिंधु घाटी सभ्यता प्रसिद्ध थी – सुनियोजित नगर योजना हेतु
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का प्रमुख व्यवसाय था – कृषि
सिंधु घाटी के निवासियों की मुख्य फसल थी – जौ ‚ गेहूं
सिंधु घाटी सभ्यता का सर्वाधिक पूर्वी एवं पश्चिमी पूरास्थल है – क्रमश: आलमगीरपुर ( मरेठ , उत्तर प्रदेश ) तथा सुत्कागेंडोर (बलूचिस्तान)
हड़प्पा सभ्यता के बारे में सबसे पहले जानकारी दी – चार्ल्स मैसन ने (1826 ईसवी में)
मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा की पुरातात्विक खुदाई के प्रभारी – सर जॉन मार्शल
हड़प्पा की सभ्यता थी – कांस्ययुगीन
सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि – चित्रात्मक
मिश्रा के राजा कहलाते थे – फराओ
खरोष्ठी लिपि लिखी जाती थी – दाएं से बाएं से
स्वास्तिक चिन्ह देन है – सिंधु घाटी सभ्यता की
सिंधु घाटी सभ्यता थी – आद्ध ऐतिहासिक
हड़प्पा स्थित है – रावी नदी के तट पर
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह – लोथल
हड़प्पा के लोग अनभिज्ञ थे – लोहे से
सिंधु घाटी सभ्यता का सर्वमान्य काल था – 2500 से 1750 ईस्वी पूर्व
मोहनजोदड़ो है – पाकिस्तान में
मोहनजोदड़ो की खोज की – राखलदास बनर्जी ने
अमरी संस्कृति बलूचिस्तान में पनपी
नर्तकी की कास्य मूर्ति मिली – मोहनजोदड़ो से
सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है – मोहनजोदड़ो का अन्नागार
हड़प्पा संस्कृति की बहुसंख्यक मुहरें निर्मित है – सेलखड़ी से
पक्की मिट्टी का बना हल का एक प्रतिरूप बनावली से प्राप्त हुआ
मोहनजोदड़ो में मिला प्रमुख स्मारक – वृहत् स्नानागार
हड़प्पा सीलों का सर्वाधिक प्रचलित प्रकार बेलनाकार है
मेसोपोटामियां (आधुनिक नाम – इराक) से आशय है – दो नदियों की बीच की भूमि
हड़प्पा की खुदाई हुई – दयाराम साहनी के नेतृत्व में (1921 में)
सिंधु घाटी के लोगों ने पूजा की – मातृदेवी की
हड़प्पा सभ्यता में प्राप्त मोहरे निर्मित थीं – स्टेटाइट
हड़प्पा में प्रमुख अंत्येष्टि प्रथा थीं – मूर्तिका पात्र के साथ शरीर का विस्तारित सावाधान