2. भारतीय उपमहादेश के आदिमानव(यायावरी जीवन से स्थायी बस्ती की स्थापना)
ढूँढ़कर देखो
1. सटीक शब्दों का चुनाव करके रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : –
1.1 आदि मानव पहले – (पका हुआ भोजन/ जला मांस/ कच्चा मांस और कंदमूल तथा फलफूल) खाते थे।
उत्तर: कच्चा मांस और कंदमूल तथा फल-फूल ।
1.2 आदि मानव का पहला हथियार (भोथर पत्थर / हल्का नुकीला पत्थर/ पत्थर की कुल्हाड़ी) था।
उत्तर: भोथर पत्थर ।
1.3 आदि मानव का पहला जरूरी आविष्कार (धातु/ चक्का/आग) था।
उत्तर: आग।
2. ‘क’ स्तम्भ के साथ ‘ख’ स्तम्भ को मिलाकर लिखिए : —
‘क’ स्तम्भ ‘ख’ स्तम्भ
कृषि कार्य मध्य प्रदेश
पशुपालन नवीन पत्थर युग
भीमबेतका प्राचीन पत्थर युग
हुसंगी कर्नाटक
उत्तर :
‘क’ स्तम्भ ‘ख’ स्तम्भ
कृषि कार्य नवीन पत्थर युग
पशुपालन प्राचीन पत्थर युग
भीमबेटका मध्य प्रदेश
हुसंगी कर्नाटक
3. अपनी भाषा में सोचकर लिखो (तीन/चार पंक्तियों में) :--
3.1 आदि मानव यायावर क्यों थे?
उत्तर: आदि मानव कृषि कार्य नहीं जानते थे आश्रय, खाद्य व नाम स्थान की खोज में उन्हें एक स्थान में दूसरे स्थान पर जाना पड़ता था। इसीलिए आदि मानव को यायावर कहा जाता था।
3.2 आग जलाना सीखने के बाद आदिम मानव को क्या-क्या सुविधा मिली?
उत्तर: आग जलाना सीखने के बाद आदि मानव पका हुआ मांस खाने लगे। यो माँस स्वादिष्ट होते थे व ही पच जाते थे। इसके परिणाम स्वरूप आदि मनुष्य का जबड़ा धीरे-धीरे पतला होने लगा। आग जलाना मौखने के बाद वे कड़ी सर्दी से अपनी रक्षा करने लगे व जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा भी करना सीख गए। कन्दराओं के रोशनी पाकर वे रात में बैठ-बैठ कर शिल्प का कार्य भी करने लगे। जो धीरे धीरे लिपि का रूप लेने लगा। मनुष्य के लम्बे दांत छोटे होने लग गए, चेहरे में बदलाव आने लगा व शरीर व मस्तिष्क को शक्ति में वृद्धि होने लगी।
3.3 आदि मानव ने समूह बनाया क्यों था? इसके कारण उन्हें क्या लाभ मिला था ?
उत्तर: प्रथमतः मनुष्य असहाय था। जंगली जानवरों के आक्रमण से उनकी मृत्यु हो जाती थी। शिकार के लिए निकलने पर भी पशुओं के आक्रमण के कारण उनकी मौत हो जाती थी। अतः उन्होंने समूह रहना पसन्द किया। इस प्रकार दलबन्दी या एकजुटता के कारण वे सुविधापूर्वक शिकार करने लगे व जंगली पशुओं तथा जानवरों का मुकाबला भी करने लगे। बड़े पशुओं के शिकार से इन्हें अधिक माँस भी मिल जाता था।
4. स्वयं करो
4.1 बगल वाले चित्र में मनुष्य के प्रत्येक स्तर पर क्या-क्या परिवर्तन देखा जा रहा है? (दी गयी तस्वीर में मानव के प्रत्येक कदम के बीच क्या-क्या बदलाव मिलता है ?)
उत्तर:
(i) सर्वप्रथम मानव सीधा खड़ा नहीं हो सकता था। उसके सिर की आकृति छोटी थी।
(ii) मनुष्य कुछ सीधा होकर खड़े होने का प्रयास कर रह है। हाथ पाँव के गठन में कुछ परिवर्तन मिलता है।
(ii) मनुष्य काफी सीधा खड़ा हो सकता है, लम्बाई भी बढ़ी है, शरीर की बनावट में भी वृद्धि हुई है। चलने के भार महसूस कर रह है।
(iv) मनुष्य की चाल में परिवर्तन हुआ है व शरीर की बनावट में भी परिवर्तन आया है।
(v) आदि मानव आधुनिक मानव में बदल गया है, सिर का आकार थोड़ा बड़ा हुआ है शरीर की आकृति सीधी हुई है तथा चलने के मान में भी परिवर्तन लगता है।
4.2. बगल वाले दोनों चित्रों में से आदिमानव द्वारा पत्थर का हथियार बनाने को पद्धति के बारे में क्या ज्ञात होता है? (आदि मानव द्वारा हथियार बनाने की पद्धति में दिए गए चित्रों के अनुसार कैसे परिवर्तन की जानकारी मिलती है।)
उत्तर:
(i) पहले मनुष्य पत्थर के टुकड़ों को हथियार के रूप में व्यवहार करता था।
(ii) तत्पश्चात् पत्थर को अपनी मुट्ठी में पकड़ना सीखा।
(iii) इसके बाद पत्थर के टुकड़ों को एक साथ मिलाकर या ठोककर हथियार बनाना सीखा।
3. भारतीय उपमहादेश की प्राचीन इतिहास की धारा(प्रथम पर्याय : लगभग ईसा पूर्व 700 से 1500 तक )
4. भारतीय उपमहादेश की प्राचीन इतिहास की धारा (द्वितीय पर्याय : लगभग ईसा पूर्व 1500 से 1600 तक )
१. सठीक शब्दों को चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :
१.१ आदि वैदिक युग के इतिहास को जानने का प्रधान उपादान ________ (जैन अवेस्ता / महाकाव्य / ऋग्वेद )
उत्तर - ऋग्वेद।
१.२ मेगालीथ _______ (पत्थर के गाड़ी को / पत्थर की समाधि / पत्थर के खिलौने ) को कहा जाता है।
उत्तर - पत्थर की समाधि।
१.३ ऋग्वेद में राजा _______ (समूह प्रधान / राज्य का प्रधान / समाज का प्रधान ) थे।
उत्तर - समूह प्रधान।
१.४ वैदिक समाज में परिवार के प्रधान ______ (राजा / विशपति / पिता ) थे।
उत्तर - पिता।
२. बेमेल शब्दों को ढूंढ़कर लिखो ;
२.१ ऋग्वेद , महाकाव्य , सामवेद , अथर्ववेद।
उत्तर - महाकाव्य ।
२.२ ब्राह्मण , क्षत्रिय , शूद्र , नृपति।
उत्तर - नृपति (राजा) ।
२.३ इनाम गाँव , हस्तिनापुर , कौसम्बी , श्रावस्ती।
उत्तर - इनाम गाँव ।
२.४ उषा , अदिति , पृथ्वी , दुर्गा।
उत्तर - पृथ्वी ।
5. ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी के भारतीय उपमहादेश(राष्ट्र व्यवस्था और धर्म का विवर्तन — उत्तर भारत)
१. सठीक शब्दों को चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :
१.१ महाजनपद तैयार हुआ था ___________ (ईसवी षष्ठ शताब्दी में / ईसा छठवीं शताब्दी में / छठे शताब्दी में )
उत्तर - ई॰ पू॰ छठवीं शताब्दी में ।
१.२ गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था ________ (लिच्छवी / हर्षक / शाक्य ) वंश में।
उत्तर - शाक्य वंश में ।
१.३ पार्श्वनाथ थे ___________ (मगध के राजा / बज्जियों के प्रधान / जैन तीर्थंकर ) |
उत्तर - जैन तीर्थंकर ।
१.४ आर्य सत्य ________ (बौद्ध / जैन / आजीविक ) धर्म का भाग था।
उत्तर - बौद्ध धर्म का भाग ।
२. ‘क’ स्तम्भ के साथ ‘ख’ स्तम्भ का मिलान करो :
क स्तम्भ —--------------------- ख स्तम्भ
मगध की राजधानी —--- बौद्ध धर्म
महाकश्यप —----------- राजगृह
द्वादश अंग —----------- प्रथम बौद्ध संहति
हीनयान - महायान —-- जैन धर्म
उत्तर - क स्तम्भ —--------------------- ख स्तम्भ
मगध की राजधानी —--- राजगृह
महाकश्यप —----------- प्रथम बौद्ध संहति
द्वादश अंग —----------- जैन धर्म
हीनयान - महायान —-- बौद्ध धर्म
6. साम्राज्य विस्तार और शासन (अनुमानित : ईसा पूर्व के षष्ठ शताब्दी से ईसा के सातवीं शताब्दी तक)
१. नीचे दिए गए के वाक्यों में कौन सही और कौन गलत है , उसे लिखो :
१.१ सेल्यूकस और चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच हमेशा शत्रुता थी।
उत्तर - गलत
१.२ मौर्य शासन काल में महिला को भी महामातेर का दायित्व मिलता था।
उत्तर - सही
१.३ कुषाण इस देश के ही नागरिक थे।
उत्तर - गलत
१.४ चंद्रगुप्त प्रथम गुप्ताब्द गिनने आरम्भ किये।
उत्तर - सही
२. नीचे दी गई विवृति के साथ कौन सी व्याख्या सबसे ज्यादा सटीक है, उसे चुनकर लिखो :
२.१ विवृति : अशोक ने अपने साम्राज्य में पशु हत्या को बन्द किया था ।
व्याख्या १ : अपने राज्यो में पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिये।
व्याख्या २ : धर्म का अनुसरण करने के लिए।
व्याख्या ३ : पशु व्यापार बढ़ाने के लिए।
उत्तर - व्याख्या २ : धर्म का अनुसरण करने के लिए।
२.२ विवृति : कुषाण सम्राट अपनी मूर्ति देवाल्यों में रखते थे।
व्याख्या १ : वे देवता के वंशधर थे।
व्याख्या २ : वे प्रजा के सामने स्वंय को देवता जैसा ही सम्मानीय रूप में उपस्थित करते थे।
व्याख्या ३ : वे देवताओं की काफी भक्ति करते थे।
उत्तर : व्याख्या १ : वे देवता के वंशधर थे।
२.३ विवृति : गुप्त सम्राट बड़ी - बड़ी उपाधियाँ लेते थे।
व्याख्या १ : उपाधि सुनने में अच्छा लगता था।
व्याख्या २ : प्रजा देती थी।
व्याख्या ३ : सम्राट इसके जरिये अपनी विशाल क्षमता का प्रदर्शन करते थे।
उत्तर : व्याख्या ३ : सम्राट इसके जरिये अपनी विशाल क्षमता का प्रदर्शन करते थे।
२.४ विवृति : सुयान जांग चीन से भारतीय उपमहादेश में आए थे।
व्याख्या १ : भारतीय उपमहादेश घूमने के लिए ।
व्याख्या २ : हर्षवर्धन के शासन के विषय में पुस्तक लिखने के लिए।
व्याख्या ३ : बौद्ध धर्म के बारे में और अधिक पढ़ाई - लिखाई करने के लिए।
उत्तर : व्याख्या ३ : बौद्ध धर्म के बारे में और अधिक पढ़ाई - लिखाई करने के लिए।
7. अर्थनीति और जीवन यात्रा (अनुमानित : ईसा पूर्व के षष्ठ शताब्दी से ईसा के सप्तम शताब्दी का प्रथम भाग)
1. निम्नलिखित कचन के साथ नीचे के व्याख्याओं में कौन-कौन ही व्याख्या उपयुक्त है? उसे ढूढ़कर लिखो।
1.1 कथन मौर्य परवर्ती युग में बहुत सारे गिल्ड बने थे।
व्याख्या 1: राजा व्यापार वाणिज्य को बढ़ाने के लिए गिल्ड बनाया था।
व्याख्या 2: कारीगर और व्यापारी गिल्ड बनाये थे।
व्याख्या 3: साधारण लोग पैसों की लेन देन और एकत्रित रहने के लिए गिल्ड बनाए थे।
उत्तर: व्याख्या 2: कारीगर और व्यापारी गिल्ड बनाये थे।
1.2 कथन दक्षिणात्य में अच्छी किस्म की रूई की खेती होती थी।
व्याख्या : 1 दक्षिणात्य की काली मिट्टी कई की खेती के लिए अच्छी थी।
व्याख्या : 2 दक्षिणात्य के सभी किसान सिर्फ रूई की खेती करते थे।
व्याख्या 3 दक्षिणात्य की जमीन पर और कोई फसल नहीं होती थी।
उत्तर : व्याख्या 3 दक्षिणात्य की जमीन पर और कोई फसल नहीं होती थी।
2. सटीक शब्दों को चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करो
1. जनपद कृषि आधारित (कृषि आधारित/ शिल्प आधारित/श्रमिक आधारित) ग्रामीण इलाका है।
2. मौर्य युग में अर्थनीति मूलर्य: कृषि (शिल्प/कृषि / व्यापार वाणिज्य) पर निर्भर थी।
3. गुप्त और गुप्त - परवर्ती युग में धर्मिक उद्देश्य के लिए जमीन दान को अग्रहार (सामन्त / बेगार / अग्रहार) व्यवस्था कहा जाता था।
3. स्वयं की भाषा में सोचकर लिखो। (तीन/ चार लाईन ):
3.1 प्रथम नगरायण (हड़प्पा) एवं द्वितीय नगरायण (महाजनपद) के मध्य किस प्रकार का पार्थक्य (अन्तर) देखने को मिलता है?
उत्तर : प्राचीन भारत में हड़प्पा सभ्यता में प्रथम नगर सभ्यता की उत्पत्ति हुई। यह सभ्यता सिन्धु नदी के किनारे पाई गई। द्वितीय नगरायण इसके प्रायः हजार वर्ष पश्चात् उत्तर भारत में गंगा के प्रदेशों में प्रारम्भ हुई।
3.2. प्राचीन भारत में जल सिंचाई की व्यवस्था क्यों प्रारम्भ हुई? प्राचीन काल की सिंचाई व्यवस्था व वर्तमान सिंचाई व्यवस्था में क्या अन्तर था?
उत्तर : प्राचीन भारत में तालाब, जलाशय व नदी से 'खाल' काटकर सिंचाई की जाती थी। यन्त्र की सहायता से भी जन निकाल कर सिंचाई की व्यवस्था होती थी।वर्तमान समय में नदियों पर बाँध बनाकर जल को बड़े-बड़े जलागारों में जमा रखा जाता है। तत् पश्चात् आवश्यकतानुसार नहरों के सहारे इस जमा किए गए जल से सिंचाई की व्यवस्था की जाती है व जल खेते तक पहुँचता है। बड़े-बड़े नलकूप खोदकर शैलो पम्प द्वारा जल निकाला जाता है। सोधारणतः आजकल जलाशय, तालाब, खाल आदि की सहायता से सिंचाई का कार्य किया जाता है।
3.3. ई० पू० छठवीं शताब्दी से इसा के छठवीं शताब्दी तक भारतीय उपमहादेश के उत्तर व दक्षिण भाग में कृषि की पद्धतिव उत्पादित फसल के बीच क्या अन्तर था?
उत्तर: उत्तर भारत की भूमि उपजाऊ थी। सिंचाई की व्यवस्था भी अच्छी थी। फलस्वरूप धान, गेहूँ, जो कपास आदि प्रधान फसलें अच्छी होती थीं। इनके सिवाए विभिन्न तरह की दाल, मटर, तीसी, तिल आदि की खेती होती थी। दक्षिणात्य की काले मिट्टी में कपास की खेती अधिक होती थी। कृषि कार्य में विभिन्न प्रकार के साधनों का व्यवहार किया जाता था। परिवर्ती काल में धान प्रधान फसल थी। ईख, कपास, नील, सरसों व तेलहन बीजों को खेती होती थी। दक्षिण भारत में सुपारी, नारियल व विभिन्न तरह के मसालों की खेती होती थी। वर्तमान समय में कृषि की पद्धति में कुछ परिवर्तन मिलता है। आबाद जमीन को जंगल से अलग कर दिया जाता था। अनेक अनआबाद जमीन को दान में दे दिया जाता था। कृषि श्रमिक उन जमीनों को आबाद जमीन बना लेते थे।
4. (स्वयं करो)
ई०पू० छठवीं शतक से ईसा की छठवीं शताब्दी तक मनुष्य कौन-कौन पेशा करते थे। उनके बारे में एकतालिका बनाओ। इस तालिका में कौन-कौन सा पेशा आज भी अपना जाता है। वैदिक समाज की जीविका के साधन से वर्तमान समय के पेशे में क्या समानता व असमाना पाई जाती है?
उत्तर: स्ववैदिक युग के पेशे के साथ इस युग के पेशे में अनेक भिन्नता है। इस समय अनेक नए-नए अपनाए जा रहे हैं। इन पेशों में वकालत, शिक्षा, चिकित्सा, अभिनय, संवाद लेखन यंत्र शिल्प इत्यादि शामिल है। ई.पू. छठवीं शतक से छठवीं शताब्दी तक के समय के विभिन्न देशों के बारे में जानकारी मिलती है। इस समय कृषि व पशु पालन की व्यवसाय साथ-साथ मिलती है। छोटे दूकानदार भी देखे जाते हैं। इनके साथ ही धोबी, हगाम व वैद्य आदि लोगों की भी पेशा है। इसके परवर्ती काल में कारीगर शिल्प का पेशा मिलता है। कपड़ा तैयार करने का कारीगर, लेखक व राज मजदूर भी पेशे में हैं।
8. प्राचीन भारतीय उपमहादेश के संस्कृति चर्चा के विभिन्न पहलू (शिक्षा , साहित्य , विज्ञान और शिल्प)
1. बेमेल शब्दों को ढूंढ़कर निकालो।
(क) नालन्दा, तक्षशिला, वल्लभी, पाटलिपुत्र
उत्तर: पाटलिपुत्र ।
(ख) ब्राह्मी, संस्कृत, खराषटी, देवनागरी ।
उत्तर : संस्कृत ।
(ग) रतनावली, मृच्छकटिकम, अर्थशास्त्र, अभिज्ञान शकुन्तलम।
उत्तर: अर्थशास्त्र
2. निम्नांकित प्रश्नों में सही व गलत का चयन करो:
(क) नालन्दा महाविहार में केवल ब्राह्मण छात्र ही अध्ययन कर सकते थे। गलत
(ख) कम्बन के रामायण में राम को बढ़ा दिखाया गया है। गलत
(ग) वाणभट्ट एक चिकित्सक थे। गलत
(घ) कुषाण काल में गान्धार शिल्प का विकास हुआ। सही
3. ‘क’ स्तम्भ के साथ 'ख’ स्तम्भ को मिलाकर लिखो :
‘क’ स्तम्भ ---------- 'ख’ स्तम्भ
महाबलीपुरम --------- रथ जैसा मंदिर
गंधार शिल्प रिति ----- कुषाण युग
गणित विद ------------ नागार्जुन
मनिमेखलाई -------- तमिलमहाकाव्य
अजंता ------- गुफा का चित्र
4. अपने भाषा में सोचकर लिखो (तीन/चार लाईन) :
4.1 प्राचीन काल में बौद्ध शिक्षा व्यवस्था के साथ आज की शिक्षा व्यवस्था के साथ समानता असमानता को अपनी भाषा में लिखो।
उत्तर : प्राचीनकाल के बौद्ध शिक्षा व्यवस्था व आज की शिक्षा व्यवस्था में अनेक समानता व असमानताएँ है। बौद्ध विहारों में धार्मिक विषयों को छोड़कर अन्य विषयों का अध्ययन भी होता था यहाँ अत्र, शिक्षा, कुस्तीव विभिन्न तरह के खेलकूद भी सिखाये जाते थे। छात्रों की भर्ती के समय उनके अनुभव या ज्ञान की परीक्षा कर प्रवेश लिया जाता था। पढ़ाई के कार्य के लिए वेतन दिया जाता था। गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति भीअन्त में रीति के अनुसार परीक्षा होती थी। आज का शिक्षा व्यवस्था के अन्तर्गत बौद्ध शिक्षा के समान ही छात्रों के अनुभव या ज्ञान की परीक्षा ली जाती है। वेतन शिक्षा व्यवस्था के ऊँचे स्तर पर दिया जाता था। प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर वेतन नहीं दिया जाता था ऐसा संभव है कि अभी शिक्षा व्यवस्था के अन्त में परीक्षा दी जाती है।
असमानताएँ : उस समय नाना विषयों का अध्ययन करवाया जात था। वर्तमान समय में सिर्फ पाठ्य पुस्तकों के आधार पर ही शिक्षा दी जाती है।
4.2 चरक संहिता का आदर्श अस्पताल कैसा होगा, वह कहा गया है। अपने अनुसार एक अच्छा अस्पताल कैसा होना चाहिए?
उत्तर : चरक संहिता में आदर्श अस्पताल सभी अर्थों में आदर्श होना चाहिए। स्वच्छ र न रोगियों के बीच सुन्दर संपर्क रहना चाहिए। रोगियों को सबसे आधुनिक चिकित्सा दी जानी चाहिए।
4.3 विहार और स्तूप की तुलना करो।
उत्तर: बड़े-बड़े पहाड़ों को काट कर बिहार तैयार किए जाते थे। अनेक विशाल क्षेत्र को लेकर बिहार का निर्माण होता था। दूसरी तरफ स्तूप का निर्माण गोलाकार रूप में मिट्टी के होते थे। परवर्ती काल में स्तूपों में चार तरफ से चार बड़े-बड़े दरवाजा होते थे जिन्हें तोरन कहा जाता था।
9. भारत और समकालीन बाहरी दुनिया (ईसा के बाद सातवीं शताब्दी के प्रथम भाग तक)
1. बेमेल शब्दों को ढूढ़कर निकालो :
1.1 भृगुकक्ष कल्याण, सोपारा, ताम्रलिप्त।
उत्तर: सोपारा।
1.2 बुद्धयश, कुमारजीत, परमार्थ, ह्वेनसंग (सुआन जाज),
उत्तर: परमार्थ ।
1.3 अलेक्जेण्डर, सेल्यूकस, कनिष्क, मिनान्दार
उत्तर: सेल्यूकस
2 ‘क’ स्तम्भ के साथ 'ख’ स्तम्भ को मिलाकर लिखो :
‘क’ स्तम्भ ---------- 'ख’ स्तम्भ
नक्स-ई-रुस्तम ------ प्रथम दरायबौष
भृगुकच्छ ------------- नर्मदा नदी
प्रथम आन्टिकस ----- सीरिया
3. सठीक शब्दों का चुनाव करके रिक्त स्थानों की पूर्ति करों:
3.1 हेरोदोतस के अनुसार इन्स पारसिक साम्राज्य का एक प्रदेश (प्रदेश / देश / जिला) था ।
3.2 इन्दो-ग्रीक कहा जाता वाकट्रीय अधिवासी था। (शकदेव/ वाकट्रीय अधिवासी / कुषाण)
3.3 सेन्ट थामस ईसाई धर्म के प्रचार के लिए भारतीय उपमादेश में गण्डोफारनेस (अलेक्जेण्डर / मीनान्दर / गण्डोफारनेस) के शासन काल में आए।
4. अपनी भाषा में सोचकर लिखो तीन/चार लाईन)
(क) अलेक्जेण्डर द्वारा भारतीय उपमाहेदश के अभियान के अन्तर्गत मौर्य साम्राज्य के विस्तार में क्या कोई प्रभाव पड़ा था?
उत्तर : अलिक्जेण्डर ने भारत पर आक्रमण कर अनेक प्रदेशों व छोटे-छोटे शहरों को नष्ट कर दिया था। इसके परिणामस्वरूप कोई केन्द्रीय शक्ति नहीं रह गई थी। मौर्य साम्राज्य के मध्य मगध ने समस्त अंचल पर अपना प्रभाव स्थापित कर लिया था। अलेक्जेण्डर बहुत दिनों तक भारतीय उपमहादेश में नहीं ठहर सका। इसके कारण समस्त अंचलों को जुड़ जाने से मगध राज्य के उत्थान में सरलता हो गई।
(ख) शक-कुषाणा के आने के पहले उपमहादेश के समाज और संस्कृति के क्या-क्या विषय देखने को मिलता है?
उत्तर : घोड़ों का व्यवहार उन्नत अवस्था में था। चलते हुए घोड़े की पीठ पर बैठकर पीछे से तीर चलाने का तरीका नहीं था। लगाम व जीन का भी व्यवहार नहीं होता था। कुर्ता पायजामा, लम्बा चोला, बेल्ट व जूता का व्यवहार भारतीय उपमहादेश की संस्कृति में नहीं था।
(ग) प्राचीन भारतीय महादेश के साथ दूसरे क्षेत्रों के सम्पर्क के क्षेत्र में पढ़ाई लिखाई को क्या-क्या भूमिका थी?
उत्तर : यातायात के माध्यम से शिक्षा की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। विभिन्न देशों से बौद्ध धर्म व शिक्षा के सम्बन्ध में लोग यहाँ आते थे। वे अपने राजाओं का संदेश भी साथ लेकर आते थे। इस देश से भी विद्वान् लोग धर्मः संस्कृति व अन्य विषयों की शिक्षा प्रदान करने के लिए बाहर के देशों में जाते थे। ये लोग भी राजाओं का संदेश लेकर जाते थे। परिणामस्वरूप दोनों देशों के बन्धुत्व पूर्ण सम्बन्ध में वृद्धि होने लगी थी।
5. स्वयं करो
(क) नौवें अध्याय में मुद्राओं के चित्रों के साथ षष्ठ अध्याय के मुद्रा के साथ क्या समानता और असमानता है उसे ढूंढ़कर लिखो ।
उत्तर : छठवें अध्याय में मुद्रित मुद्राएँ पूरी तरह चौकोर नहीं हैं। योद्धाओं की प्रधानता है एवम् मुद्राओं के तीन तरफ उत्तर : पतला व एक तरफ मोटा आकार है। सातवें अध्याय में मुद्रित मुद्राएँ प्रायः सोने की हैं व मूर्तियों में खुदाई की गई है। सभी मुद्राएँ वजन में भारी, सुन्दर व कृतियों से भरपूर हैं।
(ख) 9.2 के मानचित्र को ध्यानपूर्वक देखो। फाहियान और ह्वेनसांग (सुवान जंग) भारतीय उपमहादेश के किस-किस जगह पर गए थे? किस-किस जगह पर दोनों एक साथ गए थे? उनकी एक तालिका बनओ।
उत्तर :
फाहियान व ह्वेन संग (सुयान जंग) दोनों गये
तासकन्द, कूचा, कासगढ़, लांझा। बतख, जालालाबाद, भामियान, पेशावर, श्रीनगर, तक्षशिला, सियालकोट, कूलू, मुल्तान, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर, मथुरा, कन्नौज, अयोध्या, वैशाली, पाटलिपुत्र, वाराणसी, सारनाथ, बौद्धगया, राजगृह, भुवनेश्वर, विजयवाड़ा नासिक, ताम्रलिप्त, प्राग्यज्योतिषपुर, उज्जैनी, जूनागढ़, अजन्ता
दोनों साथ-साथ गए
लांझों, बतख, पेशावर, तक्षशिला, श्रीनगर, सियालकोट, कूलू, मथुरा, कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, अयोध्या, वाराणसी, सारनाथ, वैशाली, पाटलिपुत्र, बुद्धगया, प्रग्यज्योतिषपुर, ताम्रलिप्त, अजन्ता, विजयवाड़ा, कांचीपुरम्।