वस्तुनिष्ठ प्रश्न --
क) कवि के अनुसार सब लोग किस की सहायता करते हैं?
i ) निर्बल की ii ) सबल की
iii ) दुर्बल की iv ) इनमें से कोई नहीं
ख ) हमें दान किसको देना चाहिए?
i ) हीन को ii ) प्रवीन को
iii ) दीन को iv ) किसी को नहीं
ग) कौन आग को बढ़ा देता है और दीपक को बुझा देता है?
i ) पानी ii ) बादल
iii ) हवा iv ) वर्षा
लघूत्तरीय प्रश्न -
क) दान किसको देना चाहिए?
उत्तर : दान दीन को करना चाहिए |
ख ) विद्या की प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर : विद्या की प्राप्ति के लिए उधम करना चाहिए |
ग) मीठी बोली बोल कर तोता कहाँ कैद हो जाता है?
उत्तर : मीठी बोली बोल कर तोता पिंजरे में कैद हो जाता है|
घ) कौन अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता है?
उत्तर : दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता है|
ङ) विष कौन सा गुण नहीं त्यागता है ?
उत्तर : विष अपनी श्यामलाल के गुण को नहीं त्यागता है|
बोधमूलक प्रश्न : -
(क ) दुष्ट की दुष्टता का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर : दुष्ट व्यक्ति कभी भी अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता चाहे उसे कितने भी अच्छी संगत मिल जाए| जिस प्रकार विष अपना श्यामला नहीं छोड़ता चाहे वह भगवान शिव के कंठ में क्यों ना चली जाए|
(ख )बिना अवसर की बात लगती है?
उत्तर : बिना अवसर के अच्छी बात भी बुरी लगती है| जिस प्रकार युद्ध के समय श्रृंगार का कोई महत्व नहीं होता ठीक उसी प्रकार बिना अवसर के अच्छी बात का भी कोई महत्व नहीं होता |
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –
(क) “ जाहि ते कहु पाइये ……………….. कैसे बुझत पिआस ”
(i) पाठ और कवि का नाम बताइए |
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति “ वृंद के दोहे” नामक पाठ से लिया गया है इस के कवि का नाम वृंद है|
(ii) उपर्युक्त अंश की व्याख्या कीजिए |
उत्तर : उपर्युक्त पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि मनुष्य को उसी व्यक्ति से कुछ पाने की आशा करना चाहिए जो कुछ देने में सक्षम हो | ऐसे व्यक्ति से कभी भी कुछ आशा नहीं करना चाहिए जो सक्षम ना हो| नहीं तो केवल निराशा ही हाथ लगेगी| जिस प्रकार यदि किसी व्यक्ति को प्यास बुझानी हो तो सूखे एवं जलाशय से के पास जाने पर प्यास नहीं बुझती |
(ख) “ विद्या धन उद्यम बिना ……………….. ज्यों पंखा को पौन | ”
(i) विद्या रूपी धन की प्राप्ति कैसे हो सकती है?
उत्तर : विद्या रूपी धन की प्राप्ति परिश्रम तथा उद्यम करने से ही हो सकती है |
(ii) उपयुक्त पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए |
उत्तर : उपयुक्त पंक्ति के माध्यम से कवि हमें कहना चाहते हैं कि उद्यम किए बिना कोई भी मनुष्य विद्या रूपी धन की प्राप्ति नहीं कर सकता | जिस प्रकार पंखे से हवा पाने के लिए पंखे को हिलना पड़ता है ठीक उसी प्रकार विद्या पाने के लिए भी उत्तम करना पड़ता है|
(ग) “ कबहुँ प्रीति न जोरिये ……………….. गाँठ पारित गुन माहि | ”
(i) कवि यहाँ क्या नहीं करने को कहता है?
उत्तर : कवि यहाँ प्रीति जल्दी न जोड़ने और जोड़ कर उसे न तोड़ने के लिए कह रहा है |
(ii) इस दोहे से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर : इस दोहे के माध्यम से कवि मनुष्य को अपने व्यवहारिक जीवन में सफल होने का सन्देश देना चाहता है | कवि ने यहाँ कहा है की मनुष्य को कभी भी किसी से लगाव नहीं करना चाहिए | यदि किसी से लगाव हो जाता है , तो उसका सदैव निर्वाह करना चाहिए | क्योंकि एक बार जब संबंध टूट जाता है तो फिर कभी भी नहीं जुड़ता और यदि जुड़ता है तो उसमें गांठ पड़ जाती है| और बार-बार ऐसा होने पर मनुष्य की बुद्धि कमजोर पड़ जाती है|
भाषा बोध —
(क) निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए -
सिंगार - श्रृंगार
पिआस - प्यास
करतब - कर्तव्य
पौन - पवन
सबन - सबल
प्रीती - प्रीति
(ख) निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए –
अवसर - मौका , समय , संयोग |
सरवर - सरोवर , तालाब , जलाशय |
पवन - वायु , हवा , अनिल |
आग - अग्नि , पावक , अनल |
शरीर - तन , देह , बदन , काया |
वस्तुनिष्ठ प्रश्न —
क) फूलों से हमें क्या सीखना चाहिए?
i) गाना ii )पढ़ना
iii)हँसना iv) खिलना
ख) दीपक हमें क्या सिखाते हैं?
i) जलना ii ) बुझना
iii) अंधेरा हरना iv) अंधेरा करना
क) पृथ्वी से हमें क्या शिक्षा लेनी चाहिए?
i) सच्ची सेवा करना ii ) झगड़ा करना
iii)कष्ट सहना iv) इनमें से कोई नहीं
लघूत्तरीय प्रश्न —-
क) पेड़ों को झुकी डालियाँ से हमें क्या सीखाती हैं ?
उत्तर : पेड़ की डालियां में शीश झुकाना सिखाती है|
ख) सूरज की किरणें हमें क्या शिक्षा देती हैं ?
उत्तर : सूरज की किरणें हमें जगाने और जगाने की शिक्षा देती है |
ग) अपने गुरु से हमें क्या सीखना चाहिए ?
उत्तर : अपने गुरु से हमें उत्तम विद्या ग्रहण करना सीखना चाहिए |
घ) हमारा चरित्र कौन गढ़ता हैं ?
उत्तर : सत्पुरुषों का आदर्श जीवन हमारा चरित्र गढ़ता हैं |
बोधमूलक प्रश्न —
I. क) हमारे जीवन में सत्पुरुष और गुरु का क्या योगदान है ? स्पष्ट करो |
उत्तर : सत्पुरुष और गुरु का हमारे जीवन में बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है | सत्पुरुषों के जीवन से हमें अपने उत्तम चरित्र के गठन की शिक्षा मिलती है | हमारे अच्छे चरित्र का निर्माण होता है | गुरु से अच्छी शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा मिलती है | जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए शिक्षा जरुरी है |
ख) दीपक की क्या विशेषता है ? हमें उससे क्या शिक्षा लेनी चाहिए ?
उत्तर : दीपक अपनी रोशनी से आस - पास के अंधकार को दूर कर प्रकाश फैला देता है |
हमें दीपक से शिक्षा लेनी चाहिए की हम भी आस - पास की अंधकार अथार्त गड़बड़ी को दूर करें | लोगों के मन की अज्ञान एवं अशिक्षा को दूर कर उनके मन में ज्ञान रूपी प्रकाश फैलाएँ |
ग ) ‘इनसे सीखो ’ कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए |
उत्तर : ‘ इनसे सीखो ’ कविता में कवि श्रीधर पाठक जी ने अपने आस-पास के परिवेश से शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा दी है | फूलों से सदैव हँसना और खुश रहना सीखो | भौंरो से सदैव गाना सीखे | वृक्ष की डालियों से सदैव विनम्र बने रहना सीखो | सूर्य की किरणों से हमेशा प्रातः जागने और दूसरों को जगाना सीखें | वृक्ष की लताओं से दूसरों से सदैव प्रेम करना सीखें | दीपक से आस - पास के अंधकार को दूर करना तथा पृथ्वी से प्राणीयो की सच्ची सेवा करना सीखें | जल की धारा से सदैव जीवन में आगे बढ़ने तथा धुएँ से ऊपर चढ़ना और जीवन में सदा उन्नति करना सीखें | सत्पुरुषों से अच्छा चरित्र निर्माण तथा गुरु से श्रेष्ठ शिक्षा लेकर अपने जीवन में उन्नति कर सकते हैं |
घ) ‘इनसे सीखो ’ कविता में किस - किस से क्या सीखने की प्रेरणा दी गयी हैं ?
उत्तर : ‘ इनसे सीखो ’ कविता से फूलों से सदैव हँसना और खुश रहना सीखना | भौंरो से सदैव गाना सीखना | वृक्ष की डालियों से सदैव विनम्र बने रहना | सूर्य की किरणों से हमेशा प्रातः जागने और दूसरों को जगाना | वृक्ष की लताओं से दूसरों से सदैव प्रेम करना | दीपक से आस - पास के अंधकार को दूर करना तथा पृथ्वी से प्राणीयो की सच्ची सेवा करना | जल की धारा से सदैव जीवन में आगे बढ़ने तथा धुएँ से ऊपर चढ़ना और जीवन में सदा उन्नति करना | सत्पुरुषों से अच्छा चरित्र निर्माण तथा गुरु से श्रेष्ठ शिक्षा लेकर अपने जीवन में उन्नति करने की शिक्षा मिलती है |
II. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए —
(क) ‘ फूलों से नित ……………………………………….. सीखो शीश झुकाना ।’
(i) पाठ और कवि का नाम बताइये |
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति ‘ इनसे सीखो ’ कविता से लिया गया है | इसके कवि श्रीधर पाठक जी हैं
(ii) उपर्युक्त पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए |
उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने फूलों , भौरों तथा वृक्ष की डालियों से प्रेरणा लेने को कहा है | फूलों से हमेशा हँसते रहना , भौरों से सदा गुनगुना अथार्त गाते रहना | वृक्ष की झुकी डालियों से सर्वदा विनम्र बने रहना सीखना चाहिए |
ख) ‘ जलधारा से सीखो ………………………………………….. ऊँचे पर चढ़ना | ’
(i) जीवन-पथ से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर : कवि के अनुसार जीवन - पथ का तात्पर्य जिंदगी का मार्ग , जिस पर चलकर लक्ष्य की प्राप्ति होती है |
(ii) उपर्युक्त पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए |
उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं , हमें जल की धरा की तरह सदैव अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहना चाहिए और अपना लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए | जिस प्रकार धुआँ सदैव ऊपर ही चढ़ता रहता है हमें भी सदा उन्नति करते रहना चाहिए |
भाषा बोध —----
क) निम्नलिखित शब्दों का पर्यायवाची शब्द लिखिए —
फूल - पुष्प , कुसुम , सुमन |
भौरा - अलि , भ्रमण।, मधुकर |
वृक्ष - पेड़ , तरु , पादप |
गुरु - शिक्षक , अध्यापक , आचार्य |
सूरज - सूर्य , भानु , रवि , दिनकर , दिवाकर |
ख) निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करो —
हँसाना - हँसा + ना
झुकना - झुक + ना
जगना - जग + ना
बढ़ना - बढ़ + ना
पढ़ना - पढ़ + ना
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए —--
क) चिड़िया के पंख हैं ?
उत्तर : नीले
ख) चिड़िया कैसी है ?
उत्तर : छोटी
ग) चिड़िया किसके लिए गाती है ?
उत्तर : बूढ़े वन-बाबा के लिए
बोधमूलक प्रश्न :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये —--
1 ) ‘ वह चिड़िया जो ’ कविता का सारांश लिखिए |
उत्तर : प्रस्तुत कविता ‘ वह कविता जो’ में कवि केदारनाथ अग्रवाल जी ने एक छोटी सी चिड़िया की विशेषताओं का वर्णन किया है। वह छोटी सी चिड़िया अपनी चोंच से जंडी के दानें प्रेम से खाती है। वह सदा संतुष्ट रहती हैं , अन्न से प्यार करती है। बूढ़े वन - बाबा के लिए मधुर कंठ से गीत गाती है। उस प्यारी चिड़िया को एकांत से बहुत प्यार है। वह बढ़ी हुई नदी के जल से मोती निकाल लेती है। वह गर्वीले स्वभाव की है। उसे नदी से बहुत प्यार है।
2 ) चिड़िया कौन - कौन से कार्य करती है ?
उत्तर : कविता के अनुसार चिड़िया अपनी चोंच मारकर जंडी के डेन खाती है। बूढ़े वन - बाबा के लिए गीत गाती है। बढ़ी नदी के जल से मोती लती है। नदी से प्यार करती है।
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए :
क) वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।
i) इस पद्यांश के कवि कौन है? यह किस शीर्षक से उदित है ?
उत्तर : इस पद्यांश के कवि श्री केदारनाथ अग्रवाल जी हैं। यह कविता ‘ वह चिड़िया जो ’ शीर्षक से उद्धृत है।
ii) चिड़िया को किससे प्यार है ? उसे संतोषी क्यों कहा गया है?
उत्तर : चिड़िया को अन्न से बहुत प्यार है। चिड़िया को संतोषी कहा गया है क्योंकि वह जंडी के दूध भरे दाने को बड़े शौक तथा आनंद से खाकर प्रसन्न हो जाती है। इसी से वह चिड़िया संतुष्ट हो जाती है।
ख) वह छोटी मुंह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ।
मुझे विजन से बहुत प्यार है।
i) चिड़िया को मुंह बोली क्यों कहा गया है ?
उत्तर : चिड़िया सभी को बहुत प्यारी होती है। वह मधुर बोलती है तथा मधुर गीत गाती है। इसलिए चिड़िया को मुंह बोली कहा गया है।
ii) विजन का क्या अर्थ है ? चिड़िया को विजन से क्यों प्रेम है ?
उत्तर : विजन का अर्थ एकांत प्रदेश से है। चिड़िया को भी जल से प्रेम है क्योंकि एकांत में चिड़िया निडर होकर विचरती तथा गीत गाती है। वहाँ बूढ़े बाबा के लिए वह मधुर कंठ से गीत गाती है।
भाषा - बोध
क) निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
चिड़िया : खग , विहग , पक्षी।
नदी : सरिता , सारि , तटनी।
मोती : मुक्ता , मौक्तिक , सिपीज।
दूध : दुग्ध , क्षीर , पय , गोरस।
वन : कानन , जंगल , विपिन।
ख) ‘ चिड़ी ’ में या जोड़कर चिड़िया शब्द बना है।
इसी प्रकार कुछ और शब्द बनाकर लिखो।
चिड़िया , जड़िया , डाकिया , धुरिया।
पाठ ४ - भगवान के डाकिए —- रामधारी सिंह ‘ दिनकर ’
वस्तुनिष्ठ प्रश्न —--
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए —-
क) पक्षी और बादल किसके डाकिए हैं ?
उत्तर : भगवान के
ख) एक देश की धरती दूसरे देश को क्या भेजती है ?
उत्तर : सुगंध
ग) भगवान के डाकिए की चिट्ठी कौन वाँचता है ?
उत्तर : पेड़ , पौधे , पानी और पहाड़
लघूत्तरीय प्रश्न : —--
क) भगवान के डाकिए कौन है?
उत्तर : पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं।
ख ) भगवान के डाकिए कहां जाते हैं?
उत्तर : भगवान के डाकिए एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।
ग) एक देश की धरती दूसरे देश को क्या भेजती है ?
उत्तर : एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
घ) सौरभ कहां तैरता है?
उत्तर : सौरव हवा में और पक्षियों के पंखों पर तैरता है।
ङ) एक देश का भाप दूसरे देश में क्या बनकर गिरता है ?
उत्तर : एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।
बोधमूलक प्रश्न :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
क) कवि ने पक्षी और बादल को भगवान को भगवान के डाकिए क्यों बताया है ? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर : कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए बताया है क्योंकि ये हमेशा एक देश से दूसरे देश में जाते रहते हैं और एक दूसरे की चिट्ठियाँ दूसरी जगह ले जाते हैं।
ख) प्रस्तुत कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : कवि ने पक्षी और बादल के महत्व को बतलाया है। ये दोनों एक देश के समाचार दूसरे देश में ले जाते हैं। वहाँ के पेड़ - पौधो तथा पहाड़ पर इनका प्रभाव पड़ता है। इनके माध्यम से एक देश की धरती दूसरे देश को अपनी सुगंध भेजती है। बदल के द्वारा एक देश का भाप दूसरे देश में जल की वर्षा करता है।
निर्देशानुसार उत्तर दीजिये :
क) हम तो केवल यह आंकते हैं की एक धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है ?
i) पाठ और कवि का नाम बताइये ?
उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ भगवान के डाकिए ’ पाठ से ली गई है। इसके कवि रामधारी सिंह ‘ दिनकर ’ जी हैं।
ii) उपर्युक्त अंश का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : इस अंश में कवि ने यह अनुमान व्यक्त किया है कि पक्षी और बादल के माध्यम से एक देश की पृथ्वी दूसरे देश को अपनी सुगंध भेजती है।
भाषा बोध : —---
‘महादेश’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है —---
महा + देश। इसी प्रकार ‘महा’ उपसर्ग के साथ कुछ और शब्दों को जोड़कर नये शब्द बनाइये।
महा + देश = महादेश
महा + पुरुष = महापुरुष
महा + ज्ञानी = महाज्ञानी
महा + नगरी = महानगरी
निम्नलिखित शब्दों का लिंग बताइए —---
चिट्ठी — स्त्रीलिंग
पहाड़ —- पुलिंग
पेड़ —--- पुलिंग
सुगंध —-- स्त्रीलिंग
पक्षी —--- पुलिंग
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए —---
पहाड़ —-- पर्वत , गिरी , अचल।
सौरभ —-- सुगंध , खुशबू , महक।
पंख —--- पर , डैना, पाँख।
पानी —-- जल , नीर , पेय।
धरती —-- पृथ्वी , भू , धरा।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न ---
(क) खेत में धान उगने को कवि किस रुप में देखता है ?
उत्तर – प्रान उगेंगे
(ख) कवि किसको आने के लिए कहता है ?
उत्तर – बादल को
(ग) आगे कौन पुकारेगा ?
उत्तर – डगरिया
लघूत्तरीय प्रश्न ----
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए --
(क) कवि चन्दा को किसमें बाँधनें की बात कहता है?
उत्तर – कवि चन्दा को धान की कच्ची कलगियों में बाँधने की बात कहता है।
(ख) गीली अँखड़ियाँ किसे पुकारेगी ?
उत्तर – गीली अँखड़ियाँ संझा को पुकारेगी।
(ग) धानों का गीत किस प्रकार कि कविता है?
उत्तर – धानों का गीत ग्रामीण परिवेश की ग्राम्य कविता है।
बोधमूलक प्रश्न --
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए --
(क) प्रस्तुत कविता में बादल का स्वागत किनके द्वरा किया गया है?
उत्तर – प्रस्तुत कविता में बादल का स्वागत किसानों द्वारा किया गया है। किसानों के अतिरिक्त चंदा , सूरज , पेड़ कि डाली, खेत आदि बादल का स्वागत करते हैं।
(ख) कवि ‘ आना जी बादल जरुर 'कहकर बादलों का अह्वान क्यों करता हैं ?
उत्तर – बादल कृषि का आधार है। वर्षा के जल के अभाव में खेतों में धान की फसल सूख जाती हैं। सभी पेड़-पौधे , वन -उपवन वर्षा के लिए बेचैनी से बादलों के ओर निहारते रहते हैं। नदियाँ सूख जाती हैं। वर्षा होते ही सारी धरती हरी-भरी हो जाती है। इसलिए कवि बादलों का आह्वान करता है।
(ग)बादल का स्वगत कौन – कौन और कब -कब करते हैं ?
उत्तर – बादल का स्वागत किसान , पेड़-पौधे , खेतों की फसलें करती हैं। धान के खेती की वर्षा (आषाढ़ महीना)ऋतु में होती हैं , तो उस समय सभी बादल का स्वागत करते हैं।
(घ)‘ धान पकेंगे की प्रान पकेंगे ’ इस पंक्ति में धान को प्राण क्यों कहा गया है?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में कहा गया है कि अन्न ही प्राण है। धान लोगो के प्राणो की रक्षा कारने वाला अन्न है। धान लोगो के जीवन का आधार है। धान के पक जाने पर लोग प्रसन्न हो जाते है, इसलिए धान को प्राण कहा गया है।
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए --
(क) धूप ढरे तुलसी वन झरेंगे …………….धान दिये की वीर ।
साँझ घिरने पर कौन झरता है?
उत्तर – साँझ घिरने पर कनेर झरते हैं।
ऊपर की पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – संध्याकलीन ग्रामीण प्रकृतिक का चित्रण करते हुए कवि केदारनाथ सिंह जि कहते हैं कि धूप के जाते ही तुलसी के पत्ते झरने लगते हैं। साँझ के घिरने पर कनेेर तथा पूजा की वेला में ज्वार जरने लगते हैं। हमारे खेतों में धान पकने वाले हैं कहीं वो भी वर्षा ना होने से झरने लगे। बादल हम आपका स्वागत करते है। हमारे खेतों और प्राणों की रक्षा के लिए बादल आना जरुर।
(ख)आगे पुकारेगी सूनी डगरिया पीछे झुके वन – बेंत।
पाठ और कवि का नाम लिखिए।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति ‘धानों का गीत’ नामक पाठ से ली गई है। इसके कवि ‘ केदारनाथ सिंह’ जी हैं।
सूनी डगरिया से कवि का क्या आशय है?
उत्तर –‘सूनी डगरिया’ से कवि का आशय है कि - बादल के आने में देरि होने से तथा वर्षा ना होने से सब जगह वतावरन वीरान बन जाता है। कठिन गर्मी तथा धूप के कारण लोगों का घरों से नहीं निकल पाते हैं। सारे रास्ते सूनसान बन जाते है। कहीं चहल – पहल नहीं रह जाती है।
भाषा बोध ---
(क) कविता में प्रान 'चन्दा' जैसे तद्भव शब्दों का प्रयोग किया गया है जिनका तत्सम रुप है प्राण और चन्द्रमा। एसी ही अन्य तद्भव शब्दों को छाँटिए और उनका तत्सम रुप लिखिए ---
तद्भव ---- तत्सम
प्रान --- प्राण
चंदा --- चंद्रमा
खित --- क्षेत्र
सूरज --- सूर्य
साँझ --- सन्ध्या
अँखड़ियाँ --- अक्षि
गीली --- आर्द्र
डगरिया --- पथ
(ख) इस कविता में प्राकृतिक वस्तुओं में मानवीय व्यवहार का आरोपण किया गया है जिसे मानवीकारण कहते है। जैसे -- संझा पुकारेगी। इसी प्रकार के अन्य उदाहरणों को चुनिए।
(ग) निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए ---
बादल --- मेघ, घन , जलद।
साँझ --- संध्या , सायंकाल , शाम।
भोर ---प्रभात , सवेरा , सुबह , प्रात: काल।
वन ---जंगल ,अरण्य , कानन।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न ---
(क) कवि ने जीवन कि तुलना की -
उत्तर – झरने से
(ख) निर्झर हमे क्या करने को कहता है ?
उत्तर – आगे बढ़ने को
(ग) जीवन रुपी निर्झर के दो तीर है?
उत्तर – सुख-दुख
लघूत्तरीय प्रश्न ----
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए --
(क) झरना हमें क्या संदेंश देता है?
उत्तर – झरना हमें सतत् गतिशील बने रहने , जीवन -पथ पर सदा आगे बढ़ते रहने का संदेश देता है।
(ख) निर्झर की धुन क्या है?
उत्तर – निर्झर की एक धुन सतत् चलते रहने, आगे बढ़ते रहने की है।
(ग) झरने की गति रुक जाने पर क्या होता है?
उत्तर – झरने की गति रुक जाने पर उसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
(घ)जीवन का आनंद किस बात में है?
उत्तर – जीवन का आनंद सतत् कर्म करते रहने तथा जीवन में अगे बढ़ते रहने में ही है।
बोधमूलक प्रश्न --
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए --
(क) कवि किन -किन कारण से जीवन की तुलना निर्झर से की है?
उत्तर – कवि ने जीवन की तुलना झरने से की है क्योंकि मनुष्य का जीवन झरने के समान है। जिस प्रकार झरने दो किनारों के बीच स्वच्छंद गति से चलता है उसी प्रकार मनुष्य का भी सुख-दु:ख दो किनारों के बीच जीवन बिताता है।
(ख) जीवन का झरना कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर – प्रस्तुत कविता ‘ जीवन का झरना’ में कवि आरसी प्रसाद सिंह ने झरने के माध्यम से बताया है कि मनुष्य का जीवन झरने के समान होना चाहिए। सुख-दुख जीवन रूपी झरने के दो किनारे हैं और मस्ती ही इसका पानी है। झरना पर्वत के ह्रदय से फुटकर विभिन्न प्रदेशों से नीचे उतरता है। समतल भूमि पर आकर बहने लगता है। वह मस्ती में गाते हुए आगे बढ़ता रहता है वह रास्ते में आने वाले पत्थरों से लड़ता, पेड़ों से टकराता, चट्टानों पर चढ़ता हुआ आगे बढ़ता रहता है। जिस दिन उसकी गति रुक जाएगी। उस दिन उसका अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। मनुष्य भी जिस दिन रुक जाएगा तथा अपने कर्तव्य से विमुख हो जाएगा। उस दिन उसका जीवन रुक जाएगा । झरना हमें सदा आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता रहता है। झरना कहता है कि चलते रहना ही जीवन है, रुक जाना मृत्यु है। अतः मनुष्य को सदा सन्मार्ग पर चलते रहना चाहिए।
(ग)निर्झर का जन्म कहाँ होता है? वह अपनी यात्रा में किन-किन अवरोधों का सामना करता है?
उत्तर – निर्झर का जन्म पर्वत के अन्तस्तल से होता है।
वह अपनी यात्रा से अनेक अवरोधों का सामना करता है। वह अपने रास्ते के रोड़ो से लड़ता है , पेड़ की डालियो से तकराता है, कठोर चट्टानों पर चढ़ता है।
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए --
(क) यह जीवन क्या ----- मनमानी है।
1) इस अंश के रचनाकार कौन हैं?
उत्तर – इस अंश के रचनाकार आरसी प्रसाद सिंह जी है।
2) जीवन की उपमा किससे दी गई है?
उत्तर – जीवन की उपमा निर्झर से दी गई है।
3) उपर्युक्त अंश का भाव स्पस्ट कीजिए ।
उत्तर – मनुष्य का जीवन झरने की तरह है। उसकी मस्ती (खुशियाँ)ही उसका पानी है। जिस प्रकार झरना दोनों किनारों के बीच स्वच्छंद गति से आगे बढ़ता है, उसी प्रकार मनुष्य सुख-दुख रुपी किनारों के बीच अपना जीवन जीता है।
(ख)चलना है केवल चलना है -------- निर्झर झर कर यह कहता है।
1)यह अंश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर – यह अंश ‘जीवन का झरना’ नामक पाठ से लिया गया है।
2) उपर्युक्त अंश का भाव स्पस्ट कीजिए।
उत्तर – मनुष्य का जीवन की सार्थकता सदा आगे बढ़ने में है। झरना हमें यह संदेश दे रहा है, चलते रहना ही जीवन है रुक जाना मृत्यु है। मनुष्य को अपना कर्तव्य करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए। जीवन का गतिशील बने रहना ही सच्चा जीवन है।
(ग) बाधा के रोड़ो से लड़ता ………………. यौवन से मदमाता।
1) बाधा के रोड़ो से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – झरने के रास्ते मे आने वाले कंकड़-पत्थर ही , उसके मार्ग के रोड़े या बाधायें हैं।
2)इस अंश का भाव स्पस्ट कीजिए।
उत्तर – झरने के रास्ते मे कई प्रकार के बाधायें आती है। परन्तु वह सभी बाधाओं से लड़ता, चट्टानों पर चढ़ता, पेड़ो से टकराते हुए आगे बढ़ते रहते है। वह अपनी यौवन के मस्ती में आगे बढ़ता रहता है।
भाषा बोध ---
1) लिंग निर्णय कीजिए ---
जीवन – पुलिंग
गति -- स्त्री लिंग
पानी --पुलिंग
चट्टान – स्त्री लिंग
2) पर्यायवाची शब्द लिखिए ---
पानी --जल , नीर, वारि , तोय।
पेड़ -- वृक्ष , तरु, पादप , पौधा।
मानव – मनुष्य, आदमी, इंसान, मनुज।
जग – संसार ,विश्व, जगत, दुनिया।
गिरि -- पहाड़ , अचल , पर्वत , नग ।
3) विलोम शब्द लिखिए --
समतल – असमतल, खुरदरा
अन्तर – समान
दुर्दिन – सुदिन
सुख — दु़ःख
गति --रुकना
4)वचन बदलिए --
तारों -- तारा
चट्टानों -- चट्टान
बाधा -- बाधाएँ
पेड़ों -- पेड़
राह – राहें
मानव – मानवों
वस्तुनिष्ठ प्रश्न --
निम्नलिखित प्रश्नों से सही विक्लप चुनिए --
(क)गुस्से से कौन उबली?
उत्तर --कठपुतली
(ख)कठपुतली के आगे पीछे क्या है?
उत्तर -- धागा
लघूत्तरीय प्रश्न --
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए --
(क)कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर -- कठपुतली ने सोचा कि वह धागे से बधी हुई पराधीन है। उसके आगे पीछे धागे हैं। वह अपने पाँव पर खड़ी नहीं हो सकती। इसलिए कठपुतली को गुस्सा आया।
(ख)कठपुतली क्या तोड़ने के लिए कहती है?
उत्तर -- कठपुतली अपने आगे पीछे के धागों के बंधन को तोड़ने के लिए कहती है।
(ग)कठपुतली के बात का समर्थन किसने किया?
उत्तर -- कठपुतली के बात का समर्थन अन्य सभी कठपुतलियों ने किया।
(घ)पहली कठपुतली क्या सोचने लगी?
उत्तर --पहली कठपुतली सोचने लगी कि उसके मन में स्वाधीनता की यह कैसी इच्छा उत्पन्न हो गई। वह चुनौती भरा कदम समझदारी से उठाना चाहिए।
बोधमूलक प्रश्न --
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए --
(क)कठपुतली कविता का उद्देश्य लिखिए।
उत्तर -- प्रस्तुत कविता कठपुतली में कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी ने कठपुतली के माध्यम से स्वतंत्रता के महत्व को स्पष्ट किया है। चाहे कोई भी हो पराधीनता किसी को भी अच्छी नहीं लगती। गुलामी की बेड़ियों से सभी मुक्त होना चाहते हैं। धागे से बनी हुई पराधीन कठपुतली को दूसरों के इशारे पर नाचने से दुख होती है। वह अपने पैर पर खड़ी होना चाहती है। गुलामी को दूर करने के लिए वह विद्रोह का स्वर मुखर करती है। स्वाधीनता के महत्व को बताना ही इस कविता का मुख्य उद्देश्य है।
(ख)कठपुतली को अपने पांव पर छोड़ देने के लिए क्यों कहती है?
उत्तर -- कठपुतली को धागों का बंधन बिल्कुल पसंद नहीं है। वह धागों में बनी हुई पराधीन महसूस करती है । दूसरों के इशारे पर नाचना पड़ता है । वह अपने पांव पर खड़ा होना चाहती है, इसलिए वह स्वयं को अपने पांव पर छोड़ देने के लिए कहती है।
(ग)‘ ये कैसी इच्छा मेरे मन में जगी ' पहली कठपुतली के ऐसा सोचने के क्या कारण है?
उत्तर -- पहली कठपुतली की स्वाधीनता कि बात सभी को अच्छी लगी। सभी कठपुतलियाँ स्वतंत्र होना चाहती थी। अब जब पहली कठपुतली पर सब की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी की बात आई । तो वह भलीभांति से सोच -विचार कर ही कोई कदम उठाना चाहती थी। इसलिए पहली कठपुतली सोचने लगी कि उसके मन में स्वाधीनता का एका -एक यह कैसी इच्छा उत्पन्न हो गई?
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए --
(क)सुनकर बोली और - और
कठपुतलियाँ
कि हाँ
बहुत दिन हुए
हमें अपने मन के छंद हुए।
1)प्रस्तुत पद्यांश किस कवि की किस रचना से उद्धृत है?
उत्तर -- प्रस्तुत पद्यांश भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा रचित 'कठपुतली कविता' से उद्धृत है।
2)मन के छंद हुए का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -- पहली कठपुतली की स्वतंत्रता के बात सुनकर सभी कठपुतलियाँ कहने लगी कि बहुत दिनों से हमारे मन में कोई उमंग और कोई खुशी नहीं आई, बंधन के कारण मन सदा बुझा सा रहता है।
1) पर्यायवाची शब्द --
मन : चित्त, जी, अंतर , मानस
इच्छा : चाह, कामना, अभिलाषा
गुस्सा : कोप , क्रोध, रोष, क्षोभ
दिन: वार , दिवस, दिवा, वासर
2) लिंग बताइए --
कठपुतली – स्त्रीलिंग
दिन – पुलिंग
छंद – पुलिंग
इच्छा – स्त्रीलिंग
मन – पुलिंग
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए —
(क)किसने अपने चित्रों से आकाश सजाया?
उत्तर -- बादल ने
(ख)बादल के जाने के बाद आसमान कैसा दिखाई देता है?
उत्तर -- नीला
(ग)इस जग में मनुष्य के संगी कौन हैं?
उत्तर -- सुख दुख दोनों
लघूत्तरीय प्रश्न :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए —
(क)कौन अपनी छवि से चित्र चुरा लेता है?
उत्तर -- सूने आकाश में सुंदर चित्र सजाकर बादल अपनी छवि से चित्र चुरा लेता है।
(ख)धरती का रंग कैसा दिखाई देता है?
उत्तर -- धरती का रंग पीला दिखाई देता है।
(ग)पाहुन किसे कहा गया है?
उत्तर -- पाहुन आकाश में आकर चले जाने वाले बादल को कहा गया है।
(घ)शिशिर ऋतु का प्रभात कैसा होता है?
उत्तर -- शिशिर ऋतु का प्रभाव चमकीला तथा ओस के कणों से भीगा होता है।
बोधमूलक प्रश्न :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए —-
(क)आसमान अब नीला - नीला क्यों दिखाई देने लगा है?
उत्तर -- सूने आकाश में बादलों ने आकर सुंदर चित्र बनाकर उसे सुंदर तथा बहुरंगी बना दिया था। पर आकाश से जब वे बादल चले गए तो वह फिर से सूना हो गया। उसका निरंतर बना रहने वाला नीला रंग अब पुनः नीला दिखाई देने लगा।
(ख)बादलों ने सुनी आकाश को किस प्रकार सजाया?
उत्तर -- बादलों ने सुनी आकाश में सुंदर बहुरंगी चित्र बनाकर उसे सजा दिया। अपने विविध रंग, अपनी शोभा तथा क्षण -क्षण परिवर्तित होने वाले रुप से आकाश को सुसज्जित कर दिया।
(ग)सुख - दुःख जीवन के संगी क्यों कहे गए हैं?
उत्तर – सुख -दुःख व्यक्ति के जीवन में सदा आते जाते रहते हैं। दुख भी थोड़ा समय के लिए आता है और सुख भी थोड़े समय के लिए आता है। सुख -दुःख के इस मधुर मिलन जीवन परिपूर्ण होता है। इसलिए सुख -दुःख को जीवन का संगी कहे गए है।
(घ)बादल चले गए वे कविता का मूल भाव लिखिए।
उत्तर --‘ बादल चले गये वे ' कविता में कवि त्रिलोचन जी बादल के उदाहरण से स्पष्ट करते हुए कहते हैं की जीवन में सुख दुःख एक के बाद एक आते -जाते रहते हैं। बादल आकाश को अपने रंगों से सजा कर, अपनी सोभा से सभी को प्रसन्न कर छिप जाते हैं। आकाश नील एवं काले रंग में तथा धरती पीले रंग में हरी भरी हो जाती है। शिशिर ऋतु का प्रभात चमकीला हो जाता है। सुख -दुःख दोनों जीवन के साथी हैं क्योंकि जीवन में कभी खुशहाली तो कभी दुःख आता है। इसी प्रकार मेहमान की तरह बादल भी आकर चले जाते हैं।
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए ----
भाषा बोध:
1)पर्यायवाची शब्द लिखिए —
आसमान — नभ, आकाश, गगन
धरती — पृथ्वी, धरा, भूमि, बसुधा
सुख — आनंद, चैन, मजा
बादल — मेघ, घन , जलद, वारिध
अश्रु — आसूँ, नयनजल, नयन नीर
2)विलोम शब्द लिखिए —
राग - द्वेष
एक – अनेक
जीवन – मृत्यु
दिन — रात
श्याम — श्वेत