वस्तुनिष्ठ प्रश्न —
क) कलावती के कितने बेटे थे ?
i) एक ii) दो iii) तीन
ख) कलावती के दोनों बेटों का नाम क्या था ?
i) माधव और जाधव
ii) माधव और राघव
iii) माधव और केदार
ग) कलावती की दोनों बहुओं का नाम क्या था ?
i) गीता और सीता ii) चंपा और श्यामा
iii) इनमें से कोई नहीं
घ) केदार क्या पढ़ रहे थे ?
i) गीता ii) रामायण iii) महाभारत
ङ) केदार की बुद्धि थी ?
i) सुस्त ii) चुस्त iii) इनमे से कोई नहीं
लघूत्तरीय प्रश्न —
क) माधव और केदार में बड़ा भाई कौन था?
उत्तर : माधव और केदार में बड़ा भाई केदार था |
ख ) माधव के कितने पुत्र एवं पुत्रियां थी?
उत्तर : माधव की चार पुत्र और चार पुत्रियाँ थी |
ग) माधव को किसी की लालसा थी?
उत्तर : माधव की धन - सम्पति की लालसा थी |
घ ) केदार को किसी की अभिलाषा थी?
उत्तर : केदार को संतान की अभिलासा थी |
ङ) बेचारी चम्पा को चूल्हे में जलना और चक्की में क्यों पिसना पड़ता था ?
उत्तर : श्यामा अपने लड़को को सवारने - सुधारने में लगी रहती थी | उसे घरेलु काम से फुर्सत नहीं मिलती थी | इस कारन चम्पा को कूल्हे में जलना और चक्की में पिसान परता था |
बोधमूलक प्रश्न —
क ) कलावती का स्वभाव कैसा था?
उत्तर : कलावती का स्वभाव बड़ा ही उदार, कोमल तथा वात्सल्य से भरा हुआ था| अपने दोनों बेटों के स्नेह को देखकर वह फूली नहीं समाती थी | उसके नेत्रों में अभिमान, ह्रदय में गर्व, उत्साह तथा उमंग का भाव था| वह दोनों बहुओं में सामंजस्य बैठाना चाहती थी| केदार की स्वार्थपरता को देखकर उसका ह्रदय शोक - संताप से भर उठा|
ख ) कलावती के दोनों बेटे वैमनस्य के शिकार कैसे हो गए?
उत्तर : कलावती के दोनों बेटों की बहुओं के स्वभाव में भिन्नता थी| केदार को कोई संतान न हुई | माधव को चार पुत्र एवं चार पुत्रियां हुई | केदार को संतान की लालसा तथा माधव को धन संपत्ति की चाह थी | भाग्य के कूटनीति ने धीरे-धीरे दोनों भाइयों में द्वेष का रूप धारण कर लिया| इस प्रकार दोनों वैमनस्य के शिकार हो गए|
ग ) माधव एवं केदार दोनों की पत्नियां कैसी थी?
उत्तर : माधव की पत्नी सांवली सलोनी अत्यंत रूपवती थी| मधुर बोलने वाली सुंदर शीलवाली एवं स्वभाव की थी | केदार की पत्नी अधिक बोलने वाली तथा चंचल स्वभाव की थी | वह कार्य कुशल थी |
घ ) माधव को केदार ने किस एवज पे पैसे दिए ?
उत्तर : केदार ने घर रेहन अपने नाम लिखवाने के एवज में माधव को सवा सौ रूपए दिए |
ङ) केदार के व्यवहार से कलावती दु:खी क्यों थी?
उत्तर : कलावती, माधव की शोचनीय आर्थिक दशा पर चिंतित थी | जब केदार ने सवा सौ रुपए के लिए माधव का घर रेहन लिखा लिया | कलावती ने जब यह बात सुनी तो वह अत्यंत दुखी हो गई | उसने सोचा कि क्या केदार बिना रेहान लिखाये छोटे भाई की मदद नहीं कर सकता था |
च ) ‘ ह्रदय चाहे रोए, पर होंठ हँसते रहें ’ कहने का क्या तात्पर्य है?
उत्तर : माधव की आर्थिक दशा ठीक नहीं थी| कुलकी मान प्रतिष्ठा का भी निर्वाह करना था| इसलिए माधव अपने मन की व्यथा को मन में छुपा कर रखना चाहता था| उसके दिल में अपनी दरिद्रता का दर्द था, वह उस दर्द को वाणी से प्रकट नहीं करना चाहता था | मन की पीड़ा को सहकर भी वह हमेशा हँसता तथा प्रसन्नता प्रकट करता रहता था |
भाषा बोध —-
क) पाठ में आए पांच-पांच संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण को चुनकर लिखिए|
संज्ञा : सूर्य, रोटी, माधव, पाठशाला, कुशलता|
सर्वनाम : वह, उसे, अपना, मेरा, उसका|
विशेषण : चतुर, सलोनी, मलीन , खुश , प्यारी|
ख) पर्यायवाची शब्द लिखिए|
प्रसन्न: खुश, संतुष्ट, हर्षित|
मुरझाया: कुम्हलाया , सुस्त , उदास |
अभिलाषा: लालसा, इच्छा, चाह, कामना|
छोटा: लघु, उम्र में कम, न्यून |
भाई: भ्राता, भैया, बंधु|
वस्तुनिष्ठ प्रश्न —
‘ कश्मीर’ हमारे देश का क्या है ?
क) संकट ख ) मुकुट
ग) इनमे से कोई नहीं
कश्मीर की घाटी में बहने वाली नदी हैं ?
क) गंगा ख ) जमुना
ग) झेलम
अछबल क्या है ?
क) नदी ख ) तालाब
ग) झरना
अवन्ति वर्मा ने किस मंदिर का निर्माण कराया था ?
क) शिव ख ) गणेश
ग) विष्णु
मुगल सम्राटों ने किसे अपना विश्राम शिविर बनाया था ?
क) नैनीताल ख ) मसूरी
ग) कश्मीर
लघूत्तरीय प्रश्न —
क) कश्मीर की हमारे कवियों ने की कहा है?
उत्तर : कश्मीर को हमारे कवियों ने स्वर्ग का एक कोना कहा है |
ख) जम्मू और कश्मीर राज्य का क्षेत्रफल कितना है ?
उत्तर : जम्मू और कश्मीर राज्य का क्षेत्रफल लगभग पचास हजार वर्ग मील है |
ग) राजतरंगिणी के लेखक कौन है ?
उत्तर : राजतरंगिणी के लेखक महाकवि कल्हण हैं |
घ) पहलगाँव किस घाटी में स्थित है ?
उत्तर : पहलगाँव लीदर की घाटी में स्थित है |
ङ) झेलम के उत्तरी भाग में स्थित झरने का नाम है ?
उत्तर : झेलम के उत्तरी भाग में स्थित झरने का नाम अछबल झरना है |
बोधमूलक प्रश्न —
क) मुगल बादशाह जहांगीर ने कश्मीर के सम्बन्ध में क्या कहा था ?
उत्तर : मुगल बादशाह जहांगीर ने कश्मीर के सम्बन्ध में कहा था -
अगर फिरदौस बर - रुए जमी अस्त !
हमी अस्तो , हमी अस्तो , हमी अस्तो !!
यदि जमीन पर बहिश्त (स्वर्ग ) है तो यहीं है , यहीं है , यहीं है |
ख) राजतरंगिणी में क्या वर्णित है?
उत्तर : राजतरंगिणी में कश्मीर के इतिहास का वर्णन है | कश्मीर के ऐतिहासिक वैभव का खण्डहर इसमें दृष्टिगत होता है |
ग) मार्तण्ड मंदिर का वर्णन कीजिए |
उत्तर : मार्तण्ड मंदिर के निचे से सरोवरों के छोटे - बड़े आकर की बड़ी कलात्मक आकृतियों से आरम्भ होते हैं, जैसे एक बड़े थल में कला कांड के छोटे-बड़े टुकड़े तराशे गए हैं | ें छोटे - बड़े कुंडो में मछलियां बड़ी स्वच्छन्दता से विचरण कराती हैं | चने और चावल के डेन पानी के ऊपर तैराते देखकर परस्पर गूँथ जाती है, जैसे हँसी में शब्द एक-दूसरे से उलझ जाते हैं |
घ) अछबल झरने की सुंदरता का वर्णन कीजिये |
उत्तर : अछबल झरने की देखकर ऐसा लगता है मानो सौंदर्य और संगीत जैसे तरल होकर बह रहा है | इसकी सुंदरता पर मुग्ध होकर मुगल सम्राट जहांगीर ने यहाँ एक सुन्दर बगीचा बनवाया था | भूमि के क्रोड़ से तीन धाराएँ ऊपर उभरती है , जैसे ये धाराएँ भूमि के नाभि की से ऊपर तक जाने वाली त्रिवली रेखाएँ हैं | जल के ऊपर से गिराने की सुरुचि किसी नृत्य- कला से काम नहीं है | भूमि की हरीतिमा जल के कलकल से मिलकर उस नारी की हँसी को ध्वनित कराती है जिसने हरा परिधान पहन रखा है |
ङ) कोंकड़ नाग के बारे में आपको क्या ज्ञात हुआ है |
उत्तर : कुक्कुट शब्द का कश्मीरी रूप कोकड़ है | यहाँ भूमि के अनेक स्थानों से जल-धरा प्रवाहित होती है | ऐसा मालूम होता है की जल आँख - मिचौनी के खेल रहा है | कितने स्थानों से जल की पतली - पतली धाराएँ निकलकर स्थूल बन जाती है , अत्यन्त शीतल - निर्मल जल अनन्त वेग से बहता है |
च) कश्मीर को धरती का स्वर्ग क्यों कहा जाता है ? समझकर लिखिए |
उत्तर : कश्मीर हमारे देश का मुकुट है | ईश्वर ने प्रकृति के सौंदर्य से उसे अनेक प्रकार से संवारा है| उपत्यकाएं , हिम-शैल , बदल , पुष्प-राशि और वृक्ष - राशि ने कश्मीर की सुषमा को सौंदर्य के एक नविन स्वर्ग में आसीन कर दिया है | कवियों ने इसे स्वर्ग का एक कोना कहा है |
छ) जब यात्रीगण उस मार्ग पर चलते हैं तो ऐसा लगता है जैसे किसी विश्वामित्र की शक्ति से अनेक त्रिशंकु स्वर्ग पर चढ़ रहे हों | इसकी व्याख्या कीजिये |
उत्तर : चंदनबाड़ी जाते समय दूर तक रास्ता साफ - सुथरा और सीधा है तथा पहाड़ो के निकट है | लेखक ने पहाड़ी पर चढ़ते यात्रियों की तुलना स्वर्ग की चढ़ाई करने वाले त्रिशंकु से की है | विश्वामित्र ऋषि ने अपने तपोबल की शक्ति से त्रिशंकु को स्वर्ग भेजने का प्रयत्न किया था | इस पहाड़ी पर चढ़ने वाले यात्री ऐसे लगते हैं मानों त्रिशंकु स्वर्ग पर चढ़ रहे हैं |
भाषा बोध —-
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए |
सौंदर्य : कश्मीर का सौंदर्य पर्यटकों का मन मोह लेता है |
कश्मीर : कश्मीर हमारे देश का मुकुट है |
झेलम : झेलम कश्मीर की घाटी में बहने वाली नदी है |
राजतरंगिणी : राजतरंगिणी में कश्मीर के इतिहास का वर्णन है |
कलात्मक : खजुराहो के मंदिर में अनेक कलात्मक आकृतियां खुदी हुई हैं |
दिए गए शब्दों के विलोम लिखिए |
मानव : दानव
महान : तुच्छ
स्वर्ग : नरक
सम्राट : प्रजा
आयात : निर्यात
वस्तुनिष्ठ प्रश्न —---
(क) तिवारी का तोता किस विधा की रचना है ?
उत्तर : (iii)कहानी।
(ख) तिवारी का तोता कहाँ रहता था ?
उत्तर : (ii) पिंजरे में।
(ग) तिवारी के पास कितने तोते थे ?
उत्तर : (i) एक।
(घ) पिंजरे के तोते के पास दूसरा तोता कहाँ से आया ?
उत्तर : (iii) जंगल से।
(ङ) पिंजरे का तोता किस कारण मारा ?
उत्तर : (ii) सींक से घाव हो जाने के कारण।
लघूत्तरीय प्रश्न —----
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये —-----
(क) पंडित तिवारी कहाँ रहते थे ?
उत्तर : पंडित तिवारी काशी की पवित्र नगरी में रहते थे।
(ख) एक दिन पिंजरे के सामने कौन आकर बैठ गया ?
उत्तर : एक दिन पिंजरे के सामने एक जंगली तोता आकर बैठ गया।
(ग) पिंजरे का तोता पिंजरे की प्रशंसा क्यों करता हैं ?
उत्तर : पिंजरे का तोता पिंजरे के अपने मकान को मजबूत और सुरक्षित तथा जंगल में खतरा समझता है। इसलिए वह पिंजरे की प्रशंसा करता है।
(घ) पंडित तिवारी के बेटे ने पिंजरे में क्या डाला ?
उत्तर : पंडित तिवारी के बेटे ने पिंजरे में लोहे की सींक डाला और पिंजरे के तोते के शरीर में चुभाता रहा।
(ङ) मरे हुए तोते की मरी हुई आत्मा ने क्या कहा ?
उत्तर : मरे हुए तोते की मरी हुई आत्मा ने कहा , ‘’ इस जंगली टोटोए को चूरी दो। इसने एक कैदी को छुड़ाया है और एक मुर्दे को जिन्दा किया है। ’’
बोधमूलक प्रश्न : —----
क) पिंजरे के तोते से जंगल के तोते ने क्या कहा ?
उत्तर : जंगल के तोते ने पिंजरे के तोते से कहा , “ क्यों भाई पंछी , तू कौन है , जिसकी सूरत मुझसे मिलती है , जिसका स्वभाव मुझसे नहीं मिलता , और जिसे किसी ने यहाँ कैद कर रखा है।”
ख) अभागा कहने पर जंगल के तोते से पिंजरे के तोते ने क्या पूछा ?
उत्तर : अभागा कहने पर जंगल के तोते से पिंजरे के तोते ने पूछा , “तू मुझे समझा , मैं क्यों अभागा हूँ और वह कौन सा दुर्भाग्य है, जिसे मेरी आँखे नहीं देखती ?”
ग) पिंजरे के तोते ने अपने मालिक को मेहरबान और स्वयं को खुश किस्मत क्यों कहा ?
उत्तर : पिंजरे के तोते ने अपने मालिक को मेहरबान और स्वयं को खुशकिस्मत कहा क्योंकि उसका मालिक उसके लिए सुरक्षित घर बना दिया है। वह उसे पानी पिलाता है, दाना खिलाता है, रात के जाड़े और अंधेरे में उसकी रक्षा करता है तथा बिल्लियों से उसकी रक्षा करता है।
घ) मालिक का कहना न मानने पर पिंजरे के तोते का क्या हाल हुआ ?
उत्तर : मालिक का कहना न मानने पर पिंजरे के तोते को बार - बार लोहे के सींक से घाव खाना परा। परिणामस्वरूप घाव खाकर वह मर गया।
ङ) मरे हुए तोते की आत्मा ने जंगल के तोते को चूरी देने की बात क्यों कही ?
उत्तर : मरे हुए तोते की आत्मा ने जंगल के तोते को चूरी देने की बात कही क्योंकि उसने एक कैदी को छुड़ाया था और मुर्दे को जिन्दा किया था।
च) ‘तेरी आजादी का रंग मुर्दा हो गया है और तेरी आँखें अंधी हो गई है।’ आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : जब तिवारी का तोता ने पिंजरे रूपी मकान को मजबूत तथा सुरक्षित बतलाया और जंगल में खतरा बताया तो उसका उत्तर देते हुए जंगल के तोते ने कहा कि — तुझ पर लानत है तेरी आजादी का रंग मुर्दा हो चुका है और तेरी आँखें अंधी हो गई है। वर्ना तू इस पिंजरे की तारीफ न करता, जिसने तेरी देह को ही कैद नहीं किया, तेरी आत्मा को भी कैद कर लिया है। मैं जंगल से यह बताने आया हूँ कि तू अभागा है।
छ) ‘तिवारी का तोता’ शीर्षक कहानी का क्या उद्देश्य है।
उत्तर : प्रस्तुत कहानी ‘तिवारी का तोता’ में लेखक ने बतलाया है कि है प्रकार की सुविधा के बावजूद पराधीन प्राणी की आत्मा को सच्ची संतुष्टि नहीं मिल सकती। पराधीन जीवन में कभी भी सुख - शांति नहीं मिल सकती। पराधीनता किसी प्राणी के जीवन के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है।
भाषा - बोध —---
क) ‘प्र’ उपसर्ग लगाकर लिखिए।
बल —-- प्रबल
भाव —- प्रभाव
ताप —- प्रताप
गति —- प्रगति
तिज्ञा — प्रतिज्ञा
ख) उपसर्ग अलग करके शब्द लिखिए।
सुगंध —------ सु + गंध
सुपुत्र —------ सु + पुत्र
सुगम —------ सु + गम
सुअवसर —-- सु + अवसर
सुरत —----- सु + रत
वस्तुनिष्ठ प्रश्न —---
(क) तोत्तो - चान कहाँ की रहने वाली थी ?
उत्तर : (i) तोमोए।
(ख) बच्चे अपने - अपने पेड़ को मानते थे —--
उत्तर : (i) निजी संपत्ति।
(ग) तोत्तो - चान एवं यासुकी - चान में क्या थी ?
उत्तर : (i) मित्रता।
(घ) तोत्तो - चान किसे अपने पेड़ पर चढ़ने देने वाली थी ?
उत्तर : (i) यासुकी - चान
(ङ) यासुकी - चान को कौन सा रोग था ?
उत्तर : (ii) पोलियो।
लघूत्तरीय प्रश्न —----
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये —-----
(क) तोत्तो - चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन कब आया ?
उत्तर : सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोत्तो - चान के लिए बड़ा साहस करने का दिन आया।
(ख) यासुकी - चान कौन था ?
उत्तर : यासुकी - चान तोत्तो - चान की मित्र था । वह डेनेनचोफ़ु की रहने वाली था। उसे पोलियो था।
(ग) तोत्तो - चान का पेड़ कहाँ था ?
उत्तर : तोत्तो - चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जानेवाली सड़क के पास था।
(घ) द्विशाखा क्या है ?
उत्तर : पेड़ के तने का भाग जहाँ से दो शाखाएँ निकलती हैं।
(ङ) यासुकी - चान के हाथ - पैर कैसे थे ?
उत्तर : यासुकी - चान के हाथ - पैर पोलियो के कारण कमजोर हो गए थे। उसकी हाथ की अंगुलियां पिचकी और अकड़ी हुई थी।
बोधमूलक प्रश्न : —----
क) तोत्तो - चान यासुकी - चान को अपने पेड़ पर क्यों चढ़ने देना चाहती थी ?
उत्तर : तोत्तो - चान को अपने पेड़ पर चढ़कर तमाम नई - नई चीजें दिखाना चाहती थी। यासुकी - चान से उसकी मित्रता थी। इसलिए उसे अपने पेड़ पर चढ़ने देना चाहती थी।
ख) तोत्तो - चान माँ से क्या कह कर घर से निकली ?
उत्तर : तोत्तो - चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी - चान के घर डेनेनचोफु जा रही है। इस प्रकार माँ से झूठ कहकर घर से निकली।
ग) अपूर्व अनुभव कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर : ‘अपूर्व अनुभव’ कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी प्रकार की प्रतिज्ञा दृढ़ इच्छा शक्ति और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती है। तोत्तो-चान की प्रतिज्ञा अपने मित्र यासुकी - चान को पेड़ पर चढ़ाने की थी। यह एक जोखिम भरा कठिन काम था। पर एक लड़की अपनी तीव्र इच्छा शक्ति और बुद्धि के उपयोग से अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने में सफलता प्राप्त कर ली।
घ)सूरज का ताप उन पर पद रहा था। पर दोनों का ध्यान यासुकी - चान के ऊपर तक पहुँचने में रमा था। ससंदर्भ व्याख्या कीजिए ?
उत्तर : तोत्तो - चान तथा यासुकी - चान दोनों को यह पता न चला कि यासुकी - चान को पेड़ पर चढ़ने में कितना समय लगा। सूरज की तेज धूप इन पर पड़ने लगी थी। सूरज आकाश में चढ़ गया था। इस बात का उन्हें कोई ज्ञान न हो सका। दोनों का ध्यान केवल इस बात में लगा हुआ था कि यासुकी - चान कब पेड़ के ऊपर चढ़ जाता है। किसी भी काम में मन रम जाने पर समय का ज्ञान नहीं हो पता। यह बात इस वक्तव्य से स्पष्ट होती है।
भाषा - बोध —---
क) वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।
शिविर —- हमारे घर के पास पदयात्रियों के लिए शिविर लगा है।
न्योता —- राम ने रमेश को अपने जन्मदिन पर आने का न्योता दिया।
छुट्टी —-- रविवार को हमारे विद्यालय की छुट्टी रहती है।
संपत्ति — बच्चे पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानते हैं।
उल्लास — परीक्षा पास करने पर राम के मन में बहुत उल्लास था।
ख) निम्नलिखित शब्दों का विलोम शब्द लिखिए।
ऊपर —-- नीचे
आकाश — पाताल
झूठ —---- सच
पीछे —-- आगे
गरमी —-- शरदी
● वस्तुनिष्ठ प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए
(क) एक बड़े आदमी ने किसे सुखी कहा है?
(i) जो कुछ करता है।
(ii) जो कुछ नहीं करता
(iii) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ii) जो कुछ नहीं करता।
(ख) कौन सा चित्र सब समय आदशों द्वारा चालित नहीं होता
(i) व्यक्ति चित्र
(ii) पशु चित्र
(ii) इनमें से कोई नहीं
उत्तर — (i) व्यक्ति चित्र।
(ग) आजकल हर व्यक्ति किस दृष्टि से देखा जा रहा है ?
(i) प्रेम की दृष्टि से
(ii) शक की दृष्टि से
(iii) इनमें से कोई नहीं
उत्तर — (ii) शक की दृष्टि से।
(घ) भारतवर्ष किसे सदा धर्म के रूप में देखता आ रहा है?
(i) कानून को
(ii) रंगून को
(iii) इनमें से कोई नहीं
उत्तर — (i) कानून को ।
(ङ) किसमें रस लेना बुरी बात है ?
(i) अच्छाई में
(ii) बुराई में
(iii) इनमें से कोई नहीं
उत्तर — (ii) बुराई में।
● लघुउत्तरीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) लेखक के अनुसार आज के समाज में कौन-कौन सी बुराइयाँ दिखाई देती हैं?
उत्तर – लेखक के अनुसार आज के समाज में उगी, डकैती, चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार की बुराइयाँ दिखाई देती है। हर आदमी संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है।
(2) क्या कारण है कि आज हर आदमी में दोष अधिक दिखाई दे रहे हैं?
उत्तर – आज आदमी जो कुछ भी करता है उसमें उतने अधिक दोष दिखाए जाते हैं। उसके सारे गुण भुला दिए जाते
है और उनके दोषों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाने लगा है। यही कारण है कि आज हर आदमी में दोष अधिक दिखाई देता है।
(3) लेखक दोषों का पर्दाफास करते समय किस बात से बचने के लिए कहता है ?
उत्तर – लेखक का विचार है- दोषों का पर्दाफाश करते साथ किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस नहीं लेना चाहिए। दोष उद्घाटन को एकमात्र कर्तव्य नहीं मान लेना चाहिए। बुराई में रस लेना नहीं है।
(4) कुछ यात्री बस ड्राइवर को मारने के लिए क्यों उतारू हो गए?
उत्तर – यात्रियों ने सोचा कि कंडक्टर डाकुओं को बुलाने चला गया है। इन भय के कारण कुछ यात्रियों ने ड्राइवर को मारने के लिए उतारू हो गए।
(5) टिकट बाबू के चेहरे पर विचित्र संतोष की गरिमा लेखक को चकित क्यों कर गई?
उत्तर – टिकट बाबू लेखक को पहचान कर विनम्रता के साथ उसके हाथ में नब्बे रुपये रख दिए और अपनी गलती श्री स्वीकार किया। अपनी ईमानदारी के कारण टिकट बाबू के चेहरे पर संतोष और गरिमा झलकने लगी। इसे देखकर लेखक चंकित हो गया।
o बोधमूलक प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) हमारे महापुरुषों के सपनों का भारत का क्या स्वरूप था ?
उत्तर – हमारे महापुरुषों ने एक महान भारत के सपना देखा था। तिलक और गांधी ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था जहाँ कोई दुःखी न हो और किसी प्रकार का समाज में भेद-भाव न हो। सत्य अहिंसा लोगों का का व्रत हो, सर्वत्र ईमानदारी और सच्चाई का ही माहौल हो। रवीन्द्रनाथ ठाकुर एवं मालवीय जैसे महान व्यक्तियों ने संस्कृतिमय भारत की कल्पना की थी। उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों की आत्मसात् एक महान् विश्वव्यापी संस्कृति की कल्पना की थी।
(2) भ्रष्टाचार आदि के विरुद्ध आक्रोश प्रकट करना किस बात को प्रमाणित करता है ?
उत्तर – भ्रष्टाचार आदि के विरुद्ध आक्रोश प्रकट करने से यह प्रमाणित होता है कि आज भी लोग गलत तरीके से धन या मान संग्रह करने वालों को गलत समझते हैं और ऐसे तत्त्वों की समाज में प्रतिष्ठा कम करना चाहते हैं।
(3) जीवन के महान मूल्यों के प्रति आज हमारी आस्था क्यों हिलने लगी है ?
उत्तर – इन दिनों ऐसा वातावरण बन गया है कि ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलाने वाले निरीह और भोले भाले मजदूर पिस रहे हैं और झूठ तथा करेब का रोजगार करने वाले फल-फूल रहे हैं। ईमानदारी को मूर्खता समझा जा रहा है। केवल भीरू और लाचार लोग ही सच्चाई पर चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में आज जीवन के महान् मूल्यों के प्रति हमारी आस्था हिलने लगी है।।
(4) जो आज ऊपर-ऊपर दिखाई दे रहा है वह कहाँ तक मनुष्य निर्मित नीतियों की त्रुटियों की देन है?
उत्तर – आज जो ऊपर-ऊपर दिखाई दे रहा है वह मनुष्य निर्मित नीतियों की त्रुटियों की देन है। मनुष्य अपनी बुद्धि से नई परिस्थितियों का सामना करने के लिए नये सामाजिक विधि-निषेधों को बनाता है। ठीक साबित न होने पर उन्हें बदलता है। एक ही नियम कानून कभी-कभी सब के लिए सुखकर नहीं होते। कानून कभी आदर्शों से टकराते हैं। कभी ऊपरी सतह पर उनका मंथन होता है पर इससे निराश नहीं होना चाहिए।
(5) रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने भगवान से क्या प्रार्थना की और क्यों ?
उत्तर — कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने भगवान से प्रार्थना की कि संसार में केवल नुकसान ही उठाना पड़े और धोखा ही खाना पड़े तो ऐसे अवसरों पर प्रभु उन्हें ऐसी शक्ति दें कि वे उनपर संदेह न करें।
(6) "वर्तमान परिस्थितियों में भी हताश हो जाना ठीक नहीं है।" इस कथन की पुष्टि में लेखक ने क्या-क्या उदाहरण दिये हैं?
उत्तर– आज विषय से विषम परिस्थितियों में भी मनुष्य को निराश नहीं होना चाहिए। इस कथन की पुष्टि लेखक ने टिकट बाबू की ईमानदारी तथा बस कंडक्टर की कर्त्तव्यपरायणता तथा मानवता का उदाहरण देकर स्पष्ट किया है।
(7) "महान भारतवर्ष को पाने की संभावना बनी हुई है और बनी रहेगी।" लेखक के इस कथन से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर – “मान भारतवर्ष को पाने की संभावना बनी हुई है और बनी रहेगी।" लेखक के इस कथन से हमें यह संदेश मिलता है कि अभी आशा की रोशनी बुड़ी नहीं है। मन को निराश होने की जरूरत नहीं है सच्चाई और ईमानदारी जैसे गुण अभी लुप्त नहीं हुए हैं। गलत परिणाम तक पहुँचने वाली मनुष्य निर्मित विधियों को बदल कर मानव हित में उपयोगी विधियों को अमल में लाना होगा।
भाषा-बोध
(1) निम्नलिखित वाक्यों में सर्वनाम छाँटते हुए उनके नाम बताइए -
(1) मेरा मन कभी-कभी बैठ जाता है।
उत्तर – मेरा संबंध वाचक सर्वनाम।
(2) दोष किसमें नहीं होता।
उत्तर — किसमें प्रश्नवाचक सर्वनाम।
(3) इन दिनों कुछ ऐसा माहौल बना है।
उत्तर — कुछ अनिश्चयवाचक सर्वनाम ।
(4) आज भी वह मनुष्य से प्रेम करता है।
उत्तर — वह पुरुषवाचक सर्वनाम ।
(5) रात में कोई दस बजे हैं।
उत्तर — कोई अनिश्चयवाचक सर्वनाम
(2) विलोम शब्द लिखें
ईमानदार —- बेईमान
सुखी —- दुःखी
गुण —- दोष
निश्चय —- अनिश्चय
रोजगार —- बेरोजगार
● वस्तुनिष्ठ प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए --
(क) सोमा बुआ है
(i) जवान
(ii) बुढ़िया
(iii) बच्ची
उत्तर – (ii) बुढ़िया।
(ख) पति सोमा बुआ को तजकर क्या हुआ -
(i) वीरभवासी
(ii) जंगलवासी
(iii) शहरवासी।
उत्तर : (iii) शहरवासी।
(ग) सोमा बुआ के जवान बेटे का नाम क्या था ?
(i) किशोरीलाल
(ii) हरखू
(ii) पंसारीलाल
उत्तर – (iii) हरखू
(घ) सोमा बुआ कितने रुपये खर्च कर के लाल-हरी चूड़ियों के बंद पहने ?
(i) एक रुपया
(ii) दो रुपया
(iii) चार रुपया
उत्तर: (i) एक रुपया।
(ङ) छोटा सा बक्स के अन्दर डिबिया में कितने रुपये थे ?
(i) चार
(ii) पाँच
(iii) सात
उत्तर: (ii) सात
० लघुउत्तरीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) बुआ का नाम क्या है ?
उत्तर – बुआ का नाम सोमा है।
(2) बुआ के पति छोड़ कर क्यों चले गए थे?
उत्तर – पुत्र की मृत्यु के सदमे के कारण बुआ के पति छोड़ कर चले गए ।
(3) साल में कितने महीने बुआ का पति घर में रहता है ?
उत्तर – साल में केवल एक महीने बुआ का पति घर में रहता है।
(4) सोमा बुआ का स्वभाव कैसा है ?
उत्तर – सोमा बुआ का स्वाभाव मेल-मिलाप का है।
(5) सोमा बुआ ने साड़ी में क्या लगाकर सुखा दिया ?
उत्तर – सोमा बुआ ने साड़ी में मांड़ लगाकर सुखा दिया।
० बोधमूलक प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) सोमा बुआ के पति का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर – सोमा बुआ के पति का स्वभाव स्नेहविहीन था। अब वे एकांत प्रवृत्ति के हो गए थे। लोगों से मिलना-ज -जुलना उन्हें पसंद न था सोमा बुआ पर भी अंकुश लगाया करते थे। पुत्र की मौत के सदमें ने उनके स्वभाव को नीरस बना दिया था।
(2) बुआ के पति का व्यवहार बुआ के प्रति कैसा था ?
उत्तर – बुआ के पति का व्यवहार बुआ के प्रति बिलकुल स्नेहविहीन था। उनके अंकुश से बुआ के दैनिक जीवन की गतिविधि मंद हो जाती थी। उनका घूमना-फिरना एवं लोगों से मिलना-जुलना बंद हो जाता था। बुआ के हर क्रिया कलाप पर वे नजर रखते तथा अंकुश लगाते थे। उनके निष्ठुर व्यवहार से बुआ को मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ता था।
(3) बुआ का पास-पड़ोस के साथ कैसा व्यवहार था?
उत्तर – बुआ का पास-पड़ोस के साथ अत्यंत आत्मीयतापूर्ण व्यवहार था। उन्हें अपनी जिन्दगी पास-पड़ोस वालों के भरोसे ही काटनी पड़ती थी। किसी के घर मुण्डन हो, छठी हो, जनेऊ हो, शादी हो गया गमी, बुआ पहुँच जाती और अपने ही घर की तरह पूरी जिम्मेदारी और शक्ति से हर काम किया करती थी।
(4) बुआ के पति बिना बुलावे के किसी के पास जाने से क्यों मना करते थे?
उत्तर – पुत्र की मौत के सदमे के कारण बुआ के पति के स्वभाव में नीरसता आ गई थी। बुआ पर वे अंकुश लगाया करते थे। वे सामाजिक मर्यादा को समझते थे कि बुलावे के बिना कहीं जाना आत्म सम्मान के खिलाफ है। इसलिए वे बुलावे के बिना जाने से मना करते थे। नाते-रिश्तेवालों से भी वे संबंध नहीं रखते थे।
(5) बुआ देवर जी के ससुराल वालों से क्या उम्मीद लगा बैठी थी ?
उत्तर – बुआ सोचने लगी कि देवर जी को मरे पच्चीस वर्ष हो गए. उसके बाद से तो कोई संबंध ही नहीं रखा। देवर जी के बाद इन लोगों से कोई संबंध नहीं रहा, फिर हैं तो समधी इसलिए वे अवश्य बुलाएंगे। समधी को छोड़ नहीं सकते। वे प्रसन्न थीं कि इस विवाह में सम्मिलित होने से पुराना संबंध ताजा हो जाएगा।
(6) "अरे वाह बुआ ! तुम्हारा नाम कैसे नहीं हो सकता। तुम तो समधिन ठहरी। संबंध में न रहे कोई रिश्ता थोड़े ही टूट जाता है।" इस पंक्ति की संसदर्भ व्याख्या कीजिए।
उत्तर: प्रस्तुत अवतरण मन्नू भंडारी की कहानी अकेली से उद्धत है। देवर जी के समधी के यहाँ से बुलावा आने के विषय में बुआ के मन में संदेह था। उनके संदेह को दूर करने के लिए घर की बड़ी बहू ने यह उक्ति कही। बड़ी बहू ने निश्चय के स्वर में कहा कि तुम्हारा नाम बुलावे की सूची में अवश्य होगा, क्योंकि तुम तो समधिन हो। रिश्ता कभी टूट नहीं सकता। संबंध के रिश्ते अटूट होते हैं। इसलिए अपने मन से संदेह को तुम दूर कर दो। विवाह के उत्सव में कोई समधिन को नहीं भूल सकता।
● भाषा-बोध
(1) वाक्य प्रयोगः -
परिवर्तन : परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है।
संबंध : संबंध के रिश्तों का निर्वाह अवश्य करना चाहिए।
समस्या : आजकल देश में बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है।
गरूर: धन पाकर किसी को गरूर नहीं करना चाहिए।
प्रतीक्षा : सोमा बुआ निमंत्रण में बुलाने की प्रतीक्षा देर तक करती रहीं।
(2) विलोम शब्द लिखें -
बुढ़िया — बच्ची
वियोग — संयोग
उपस्थित — अनुपस्थित
सजीव — निर्जीव
दुःख — सुख
० वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए
(क) 'कठोर कृपा' कहानी के लेखक कौन हैं
(i) मुंशी प्रेमचन्द
(ii) काका कलेलकर
(iii) जयशंकर प्रसाद
उत्तरः (ii) काका कलेलकर।
(ख) अच्छे खानदान में कितने भाई थे -
(i) एक
(ii) तीन
(iii) चार
उत्तर : (iii) चार।
(ग) चारों भाई कैसे थे ?
(ii) बेवकूफ
(iii) काहिल
(i) हुनरमंद व पढ़े-लिखे
उत्तर : (i) हुनरमंद व पढ़े-लिखे ।
(घ) कुनदिन घर में क्या लेने आती थी?
(i) आम
(ii) सहिजन
(iii) केला
उत्तर – (ii) सहिजन
(ङ) मेहमान सहिजन के पेड़ को कैसे काटा ?
(i) तलवार से
(ii) कुल्हाड़ी से
(iii) चाकू से
उत्तर – (ii) कुल्हाड़ी से
० लघुउत्तरीय प्रश्न :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) किसी शहर में कैसा खानदान रहता था ?
उत्तर: किसी शहर में एक अच्छा खानदान रहता था।
(2) किनकी जायदाद और धन-दौलत बरबाद हो चुकी थी ?
उत्तर: शहर के अच्छे खानदान के चारों भाइयों की जायदाद व धन-दौलत बरबाद हो चुकी थी।
(3) किनके घर में गरीबी दिन-ब-दिन बढ़ रही थी ?
उत्तर: किसी शहर में रहने वाले चार सगे भाई जो पुश्तैनी इज्जत के कारण नौकरी या धंधा नही करते थे, उनके घर में गरीबी दिन-ब-दिन बढ़ रही थी।
(4) क्या कारण था कि बीबी बच्चों का सारा जेवर बेचना पड़ा ?
उत्तर : परिवार में लगातार गरीबी बढ़ती गई। एक दिन ऐसा भी आया कि घर में कुछ भी न बचा। खाने-पीने की भी परेशानी आ गई। विवश होकर उन्हें बीबी-बच्चों का सारा जेवर बेचना पड़ा।
(5) घर के बगीचे में किस चीज का पेड़ था ?
उत्तर: घर के बगीचे में सहिजन का पेड़ था।
● बोधमूलक प्रश्न :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) चारों भाई हुनरमंद होने के बावजूद काम-धंधा क्यों नहीं कर पाते थे ?
उत्तर: चारों भाई हुनरमंद व पढ़े-लिखे होने के बावजूद भी वे अपनी शान और समाज में अपनी झूठी मान मर्यादा को दिखाना चाहते थे। अतः अपनी पुरानी खानदानी इज्जत के कारण कोई काम धंधा नहीं करना चाहते थे।
(2) परिवार का गुजारा चलाने के लिए वे क्या करते थे ?
उत्तर: उस परिवार के घर के बगीचे में एक सहिजन का पेड़ था। उसमें लंबी-लंबी हरी-हरी फलियाँ लटक रही थीं। शाम के समय एकांत में चारों भाइयों में से कोई एक भाई पेड़ पर चुपके से चढ़ जाता और फलियों को तोड़ कर नीचे गिरा देता। कुछ रात बीते एक कुंजड़िन आती और सहिजन खरीद कर ले जाती। इससे जो थोड़े से पैसे मिल जाते उसी से परिवार का गुजारा चलता था।
(3) मेहमान क्या ताड़ गया ?
उत्तर: मेहमान ने भाइयों के घर में दो बार भोजन किया। जब भी वह भोजन करता उसके साथ केवल एक भाई खाने के लिए बैठता था। वह भी सधा हुआ था, इसलिए दुबारा परोसने के पहले ही मना कर देता। यह देखकर मेहमान ताड़ गया कि ये लोग गरीबी के शिकार हो रहे हैं। इनके यहाँ खाने-पीने की तकलीफ बढ़ रही है। इसके बावजूद भी इन्हें अपनी गरीबी तथा अभाव की चिन्ता नहीं है।
(4) मेहमान ने पेड़ को क्यों काट डाला?
उत्तर: मेहमान बरामदे में सो जाने का ढोंग रचा। बड़ा भाई टोकरी में सहिजन लेकर कुंजड़िन को कम पैसे में दिया। मेहमान सब कुछ देख कर समझ गया कि यह अच्छा प्रतिष्ठित खानदान अपनी झूठी और बनावटी इज्जत के कारण खाने-पीने की भी तकलीफ यह रहा है। इस सहिजन के पेड़ से ही अपना गुजारा कर रहा है। अतः यह दूरदर्शी मेहमान उनकी काहिली दूर कर उन्हें कर्मठ बनाने की नीयत से पेड़ को काट डाला।
(5) पेड़ काटने का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर: चारों भाइयों के परिवार की जीविका के एकमात्र आधार सहिजन के पेड़ के कट जाने से बड़े भाई ने सोचा कि अब आगे गुजारा चलना मुश्किल है। इसलिए हमें अब कहीं न कहीं काम ढूंढना पड़ेगा। बड़े भाई ने किसी धनी व्यक्ति के यहाँ नौकरी पकड़ा ली। अन्य दूसरे भाई भी कहीं न कहीं काम पर लग गए। एक साल में ही चारों भाइयों की माली दशा अच्छी हो गई, घर का सभी काम-काज सुचारू ढंग से चलने लगा। अब घर में किसी चीज की कमी न रही। इस प्रकार पेड़ काटने के परिणामस्वरूप उनकी किस्मत ऊंची उठ गई।
(6) "आपने हमारा सहिजन का पेड़ नहीं काटा, हमारी काहिली और बदकिस्मती को काट कर फेंक दिया था।" कहने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: मेहमान ने दूसरी दीवाली पर आकर स्वीकार कर लिया कि सहिजन का पेड़ उसी ने काट कर गिरा दिया इस कठोर कर्म के पीछे उसके मन में कोई बुरी नहीं बल्कि अच्छी भावना थी। मेहमान का उचित सत्कार कर उसे विदा करते समय चारों भाइयों ने भी कहा कि उन्होंने हमारा सहिजन का पेड़ नहीं काटा बल्कि हमारे आलस्य और दुर्भाग्य को काट कर फेंक दिया। इससे हमलोग अपनी झूठी और बनावटी इज्जत को छोड़कर परिश्रमी बनकर नौकरी करने लगे। फलस्वरूप हमारी आर्थिक दशा सुधर गई।
● भाषा-बोध
(1) प्रस्तुत पाठ से पाँच-पाँच संज्ञा, सर्वनाम एवं विशेषण शब्दों को छाँटकर लिखो -
संज्ञा शब्द – शहर, भाई, बगीचे, सहिजन, पेड़।
सर्वनाम शब्द – उनके, उसे, यह किसी उसने
विशेषण शब्द – अच्छा, पुरानी लम्बे, हरे, खराब
(2) विलोम शब्द लिखें
अच्छा —- बुरा
शहर — देहात
गरीब — अमीर
नीचे – ऊपर
दोस्त — दुश्मन
● वस्तुनिष्ठ प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए
(क) साईं को कौन पुकार रहा था ?
(i) लेखक
(ii) मोहन
(iii) 10 वर्ष का बालक ।
उत्तर -- (ii) मोहन।
(ख) मोहन के पिता थे.
(i) वेदांती
(ii) अधोरी
(iii) आर्य समाजी।
उत्तर -- (iii) आर्य समाजी।
(ग) गुदड़ी के लाल किसे कहा गया है?
(i) मोहन को
(ii) 10 वर्ष का बालक
(iii) साई को
उत्तर – साईं को।
● लघुउत्तरीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) मोहन को साई से क्यों लगाव था ?
उत्तर: मोहन साईं को गरीब और भिखमंगा समझता था। साईं बड़े ही प्यार तथा आत्मीयता से मोहन से बातें किया करता था। बच्चे स्नेह तथा प्यार के बर्ताव को समझते हैं। इसीलिए मोहन को साईं से लगाव था।
(2) साई के अक्षय तृप्ति का क्या कारण था ?
उत्तर : बालक मोहन साईं को साग-रोटी दे देता तथा साईं के मुख पर पवित्र मित्रता का भाव झलकने लगता था बड़े चाव से उसे खाता था और मोहन के द्वारा दी हुई एक रोटी उसके अक्षय तृप्ति का कारण हो जाती है।
(3) मोहन के पिता क्यों नाराज हो गए?
उत्तर: आर्य समाजी होने के कारण मोहन के पिता इन फकीरों को ढोंगी समझते थे। इसलिए वे मोहन को स साथ बात करना और उसे रोटी देते देखकर नाराज हो गए।
(4) मोहन के पिता के आश्चर्यचकित होने के क्या कारण थे ?
उत्तर: जिस नटखट लड़के ने साईं का चीथड़ खींचकर भागने की चेष्टा की थी, उसे मोहन के पिता ने पकड़ लिए लोग उसे मारने - पीटने लगे। साईं उस लड़के को छुड़ाने लगा और उस लड़के को रोता हुआ देख कर क रोने लगा। साईं ने कहा कि मेरे चीथड़ को छीन कर रामरूप भगवान प्रसन्न होते हैं। फिर वह उस बच्चे के में प्यार से बाँहे डालकर चल दिया। साईं के इस व्यवहार को देखकर मोहन के पिता आश्चर्यचकित
(5) साईं क्यों रोने लगा ?
उत्तर: साईं का गूदड़ छीनकर भागने वाले लड़के की वहाँ उपस्थित आस-पास के लोगों ने पिटाई कर दी लड़का रोने लगा। उस लड़के को रोते देखकर साई को दया आ गयी और वह भी रोने लगा।
० बोधमूलक प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) साईं का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर: साईं संसार के माया-मोह से बिलकुल विरक्त था। उसमें क्रोध और अहंकार बिल्कुल नहीं था। वह बच्चे भगवान का ही रूप मानता था। इसलिए उसके दिल में बच्चे के प्रति प्यार तथा ममत्व का भाव था। किसी के ह या तिरस्कार करने का उस पर कोई असर नहीं पड़ता था। वह सदा स्वच्छ पवित्र मन तथा विचार कर र उसमें मन में सहानुभूति की भावना भरी थी। अहंकार करने वालों से भी वह प्यार का ही बर्ताव करता था।
(2) मोहन से रोटी मिलने के बाद साईं क्या सोचता ?
उत्तर: मोहन से रोटी मिलने के बाद साईं के मुख पर पवित्र मैत्री का भाव झलकता था। वह स्वयं एक बालक समान अभिमान, प्रशंसा तथा उलाहना की सोच एवं विचार के साथ रोटी खाकर संतुष्ट हो जाता था।
(3) कई दिनों के बाद लौटने के पश्चात् साईं मोहन के घर की ओर क्यों नहीं गया ?
उत्तर: मोहन के पिता ने साईं के सामने ही मोहन को डाँटा और कहा कि वह इन लोगों के साथ बातें न किया "वे आर्य समाजी थे और इन फकौरों को ढोंगी समझते थे। यही समझकर साईं मोहन के घर की और नहीं गया।
(4) साईं ने चीथड़े छीनकर भागनेवाले लड़के को मारने से क्यों रोका?
उत्तर: साई बच्चों को भगवान का स्वरूप मानता था। उसका विचार था कि चीथड़े को छीनकर बच्चे प्र वह बच्चों से अपने चीथड़े को छिनवाने के लिए उन्हें आकृष्ट करता और उनके मनोविनोद के लिए चिथड़े को लड़कर छीन लेता था। भागने वाले लड़के को वह भगवान का रूप मानता था। इसलिए लड़के को मारने से रोका।
० भाषा-बोध
(1) पर्यायवाची शब्द लिखें -
अभिमान – घमंड, दर्प, गर्व
फकीर – भिक्षुक, भिखारी, याचक
आँख – नयन, नेत्र, चक्षु
प्रसन्न – खुश, आनंदित, हर्षित
भगवान – ईश्वर, प्रभु, जगदीश
(2) तद्भव तत्सम शब्द लिखें.
तद्भव —- तत्सम
साईं — स्वामी
आठ — अष्ट
बरस — वर्ष
आँख — अक्षि
सोना — स्वर्ण
मुँह — मुख
(3) लिंग निर्णय कीजिए -
रोटी — स्त्रीलिंग
बैरागी — पुल्लिंग
अभिमान — पुल्लिंग
चीथड़ — पुल्लिंग
आश्चर्य — पुल्लिंग