अभ्यास
वस्तुनिष्ठ प्रश्न —
अनाथ होकर कवि कहाँ बैठे हैं?
क) पेड़ की डाल पर ख) छत पर
ग) सड़क पर घ) नाव में
‘सुमिरत’ से क्या संकेत मिलता है ?
क) दर्शन करना ख) ईश्वर का नाम लेना
ग) तीर्थ करना घ) पूजा करना
‘सर्प को दूध पिलाने’ का त्योहार किस दिन मनाया जाता है ?
क) होली में ख) दीपावली में
ग) गणेश चतुर्थी के दिन घ) नाग पंचमी के दिन
सूर्य के डूबते ही कमल की पंखुड़ियाँ क्या हो जाती है ?
क) फैल जाती है ख) सिकुड़ जाती है
ग) गिर जाती है घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
लघूत्तरीय प्रश्न —
कवि किससे प्रार्थना करता है ?
उत्तर : कवि भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना करता है |
बान कौन साधता है ?
उत्तर : बहेलिया बान साधता है |
मन को किसका साथ छोड़ने के लिए कहा गया है ?
उत्तर : मन को हरी के विमुखो का संग छोड़ने के लिए कहा गया है |
‘पय पान’ कराने पर भी कौन विष का त्याग नहीं करता ?
उत्तर : ‘पय पान’ कराने पर भी सर्प विष का त्याग नहीं करता |
गंगा नहाने की बात किसके लिए कही गयी है ?
उत्तर : गंगा नहाने की बात स्वान (कुत्ते) के लिए कही गयी है |
बोधमूलक प्रश्न —
सूरदास ने भक्ति मार्ग में कौन सी बाधाएं पायी हैं और उनसे मुक्ति का क्या तरीका बताया है ?
उत्तर : सूरदास जी ने भक्ति मार्ग में बाधाएं हरि बिमुख , ईश्वर को नहीं मानने वालों का संग को कहा है |
इन बाधाओं से मुक्ति के लिए , सूरदास जी मन को समझाते हैं , हे मेरे मन , तू ऐसे लोगो का संग छोड़ दे जो हरि के बिमुख हैं | जो भगवान को नहीं मानते , उनका संग करने से मन में बुरे विचारो का उत्पन्न होता है और भजन - कीर्तन में बंधाएं आती है | ईश्वर को नहीं मानने वालो का संग छोड़ देने से भक्ति मार्ग की सभी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है और भक्ति मार्ग सरल तथा सहज हो जाता है |
सूरदास ने मन को क्या समझाया है ?
उत्तर : सूरदास जी श्रीकृष्ण के भक्त थे | वे मन को समझाते हैं , हे मेरे मन , तू ऐसे लोगो का संग छोड़ दे जो हरि के बिमुख हैं | जो भगवान को नहीं मानते , उनका संग करने से मन में बुरे विचारो का उत्पन्न होता है और भजन - कीर्तन में बंधाएं आती है |
‘देखि सयन गति त्रिभुवन का कपै ईस बिरंचि भ्रमावै’ — का आशय स्पष्ट कीजिए |
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति में सूरदास जी ने बालक श्री कृष्ण के सयन अवस्था का वर्णन किया है | माँ यशोदा बालक कृष्ण को सुला रही हैं | बालक कृष्ण की निद्रा लेने की क्रिया को देखकर प्रलय की आशंका से तीनो लोक भयभीत होकर कांपने लगते हैं | यहाँ तक की महादेव और ब्रह्मा जी भी भ्रमित हो जाते हैं |
विचार और कल्पना
जिस काल में भक्ति प्रधान रचनाएं अधिक लिखी गयी, उस काल विशेष को हिंदी साहित्य में भक्तिकाल के नाम से जाना जाता है | सूरदास जी के अतिरिक्त इस काल के अन्य कवियों के नाम की सूची बनाइए |
भक्तिकाल के कवियों के नाम की सूची :-
कबीर दास
तुलसीदास
मीराबाई
रहीम
रसखान
रैदास
नानक देव
गदाधर भट्ट
नरहरिदास
रामानंद
केशव दास इत्यादि |
भाषा बोध —
बज्रभाषा के शब्द —- डरिया , सुमिरत , बिमुखन , तजत , नहवाये , रीतों को खड़ी बोली हिंदी के रूप में लिखिए | उदहारण —- छाँड़ि —-- छोड़ देना |
ब्रजभाषा के शब्द —------------ खड़ी बोली के शब्द
डरिया —------------- डाली
सुमिरत —------------ स्मरण
बिमुखन —----------- विमुख
तजत —----------- त्याग
न्हवाये —----------- नहलाये, स्नान
रीतो —------------ रिक्त
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम् रूप लिखिए —-
ऊपर , कपूर , स्वान , आलस , फन |
ऊपर —-- उपरि
कपूर —-- कर्पूर
स्वान —- श्वान
आलस — आलस्य
फन —-फण
अभ्यास
वस्तुनिष्ठ प्रश्न —--
भारत माता के मंदिर में किसका संवाद होता है?
क) क्षमता का ख) ममता का
ग) मायता का ग) उपरोक्त में से कोई नहीं
‘ ईसा’ किस धर्म के संस्थापक थे?
क) हिंदू धर्म ख) बौद्ध धर्म
ग) ईसाई धर्म ग) जैन धर्म
‘मिला सत्य का हमें पुजारी’ किसे कहा गया है?
क) महात्मा गांधी को ख) जवाहरलाल नेहरू को
ग) अब्दुल कलाम को ग) लाल बहादुर शास्त्री को
‘अजात शत्रु’ बनने के लिए क्या आवश्यक है?
क) सभी शत्रुओं को मार देना ख) सबके समक्ष नतमस्तक होना
ग) सदा खामोश रहना ग) सबको मित्र बना लेना
लघूत्तरीय प्रश्न —-
भारत माता का मंदिर किसे कहा गया है?
उत्तर : भारत माता का मंदिर भारतवर्ष को कहा गया है |
भारत में किस बात का भेद - भाव नहीं है?
उत्तर : भारत में जाति , धर्म या संप्रदाय का भेद भाव नहीं हैं |
‘तीर्थ’ किसे कहते हैं?
उत्तर : पवित्र धार्मिक स्थल या पुण्य स्थान जहाँ सभी अपने पापो का नाश करने के लिए जाते हैं | इस कविता में हृदय को तीर्थ कहा गया है |
भारत के लोग किसके अनुयायी हैं?
उत्तर : भारत के लोग महात्मा गाँधी के अनुयायी हैं |
‘भाई - भाई’ आपस में क्या बांटते हैं ?
उत्तर : भाई - भाई आपस में हर्ष और विषाद बांटते हैं |
बोधमूलक प्रश्न —
भारत माता के मंदिर कविता के रचनाकार ने भारतीयों से क्या अपेक्षा की है ?
उत्तर : भारत माता का मंदिर कविता के रचनाकार मैथिलीशरण गुप्त जी ने हम सभी भारतीयों से अपेक्षा की है , कि हम सभी धर्म या संप्रदाय का भेदभाव ना करें | सभी धर्म और संस्कृतियों का सम्मान करें| अपने ह्रदय को तीर्थ जैसा पवित्र बनाए | वैर - भाव छोड़कर सभी को अपना मित्र बनाएं | सुख दुख में सदा सबके साथ रहे | महापुरुषों को अपना आदर्श बनाकर , उन जैसा अपना चरित्र बनाएं |
भारत माता के मंदिर की क्या विशेषताएं हैं?
उत्तर : भारत माता के मंदिर की विशेषताएं निम्नलिखित हैं| यहां सभी के साथ बराबरी का व्यवहार किया जाता है| यहां किसी भी तरह के जाति, धर्म या संप्रदाय का भेदभाव नहीं है| सभी संस्कृतियों का अपना विशेष महत्व है| यहां सभी के साथ प्रेम भाव और मित्रता है| सभी एक साथ मिलकर भारत माता का जयनाद करते है |यहां महात्मा गांधी जैसे सत्य और अहिंसा के पुजारी हैं | भारत माता के मंदिर के आंगन में भाई भाई बैठकर अपने सुख-दुख बांटते हैं |
“भिन्न - भिन्न भव - संस्कृतियों के गुण गौरव का ज्ञान यहाँ ” —- के माध्यम से क्या संदेश देने की कोशिश की गई है?
उत्तर : “ भिन्न-भिन्न भव - संस्कृतियों के गुण गौरव का ज्ञान यहाँ ” - के माध्यम से कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने यह संदेश दिया है कि भारतवर्ष में विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों का समन्वय है | हम सभी भारत वासियों को अपने संस्कृतियों पर गर्व होना चाहिए और उसकी गरिमा की रक्षा और सर्वत्र प्रचार करना चाहिए |
‘एक साथ मिल बैठ बाँट लो, अपना हर्ष विषाद यहाँ’ — का भाव स्पष्ट कीजिये |
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति के आधार पर कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने स्पष्ट किया है कि हमें अपने सुख-दुख को मिलकर बांट लेना चाहिए| केवल अपने ही सुख दुख की चिंता नहीं करनी चाहिए | दूसरे के खुशी में खुशी और दूसरे का दुख दर्द दूर करने का हर संभव प्रयत्न करना चाहिए |
विचार और कल्पना
भारतवर्ष का चित्र बनाकर उसमें निम्नलिखित स्थान को दर्शाइए —-
अजमेर, अमृतसर, बोधगया, पूरी
गौतम बुद्ध और ईसा मसीह की शिक्षाओं की एक सूची बनाइए |
गौतम बुद्ध की शिक्षाओं की एक सूची
सम्यक दृष्टि: चार आर्य सत्य में विश्वास करना
सम्यक संकल्प: मानसिक और नैतिक विकास की प्रतिज्ञा करना
सम्यक वाक: हानिकारक बातें और झूठ न बोलना
सम्यक कर्म: हानिकारक कर्म न करना
सम्यक जीविका: कोई भी हानिकारक व्यापार या कमाई न करना
सम्यक प्रयास: अपने आप को सुधारने की कोशिश करना
सम्यक स्मृति: स्पष्ट ज्ञान से देखने की मानसिक योग्यता पाने की कोशिश करना
सम्यक समाधि: निर्वाण प्राप्त करना
ईसा मसीह की शिक्षाओं की एक सूची बनाइए
जीव हत्या ना करें
अनावश्यक पेड़ो की कटाई ना करें
किसी को आघात न पहुँचाना
व्यर्थ जल नहीं बहाना
भाषा बोध —--
निम्नलिखित समानोच्चारित शब्दों के अंतर बताइए —
प्रासाद - प्रसाद | बाट - बाँट | बेर - बैर | मुक्त - मुक्ति | भव - भाव |
प्रासाद - महल या बहुत बड़ा मकान |
प्रसाद - भगवान को चढ़ाई गई वस्तु |
बाट - रास्ता , बटखरा |
बाँट - बाँटना , वितरण करना |
बेर - खाने का मीठा फल |
बैर - दुश्मनी , शत्रुता |
मुक्त - बंधन रहित |
मुक्ति - आजादी।, स्वतंत्रता |
भव - संसार |
भाव - विचार , अभिप्राय , मूल्य |
संज्ञा शब्दों में ‘इक’ , ‘इत’ अथवा ‘ई’ प्रत्यय लगाकर उन्हें विशेषण बनाया जाता है अर्थ + इक = आर्थिक | विकास + इत = विकसित | जापान + ई = जापानी | इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों के विशेषण बनाइए —-
धर्म , संप्रदाय , हर्ष , प्रेम , उन्माद |
धर्म - धार्मिक
संप्रदाय - सांप्रदायिक
हर्ष - हर्षित
प्रेम - प्रेमी
उन्माद - उन्मादी
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. 'यदि फूल नहीं बो सकते तो' किस विधा की रचना है?
(क) कहानी
(ख) नाटक
(ग) कविता
(घ) एकांकी
उत्तर : (ग) कविता
2. कवि के अनुसार किसका मन कमजोर है?
(क) दानव
(ख) मानव
(ग) राघव
(घ) उपरोक्त में कोई नहीं।
उत्तर : (ख) मानव ।
3. 'कटुता का शमन' कहाँ होता है?
(क) माता की शीतल छाया में
(ख) भ्राता के कोमल काया में
(ग) पिता के सान्निध्य में
(घ) उपरोक्त मे कोई नहीं।
उत्तर : (घ) उपरोक्त में कोई नहीं।
4. पग-पग पर शोर मचाने से क्या नहीं जमता है?
(क) विकल्प
(ग) कायाकल्प
(ख) संकल्प
(घ) प्रकल्प।
उत्तर : संकल्प।
लघुउत्तरीय प्रश्न
1. ममता की शीतल छाया में किसका शमन होता है?
उत्तर : ममता की शीतल छाया में कटुता का शमन होता है।
2. मन में संकल्प कब नहीं जमता है?
उत्तर: हर पग पर निरंतर शोर मचाने से मन में संकल्प नहीं जमता है।
3. 'मारुत' शब्द का प्रयोग कैसे व्यक्ति के लिए किया गया है ?
उत्तर : मारुत शब्द का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया है जो वायु की तरह गतिशील तथा कर्त्तव्यपरायण रहता है। वह किसी भी अवरोध से रूकता नहीं।
4. कवि ने 'चेतन' किसे कहा है?
उत्तर: कवि ने चेतन प्रबुद्ध व्यक्तियों को कहा है, जो सुख में भी सचेत बने रहते है।
बोधमूलक प्रश्न
1. कवि अपने सपनों पर विश्वास करने के लिए क्यों कहते हैं?
उत्तर : मनुष्य को अपने सपनों पर विश्वास करना चाहिए। मनुष्य की दृढ़ इच्छा शक्ति में कलात्मक सर्जना शक्ति होती है। उसका आत्म बल बढ़ता है। वह आत्म विश्वास के साथ आगे बढ़ता है। बिना आत्म विश्वास के व्यक्ति अक्षम बन जाता है। मनुष्य की भावना, उसकी कल्पना उसका मार्ग दर्शन कराती है।
2. कवि ने लोगों को क्या-क्या करने की सलाह दी है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : कवि ने लोगों को सलाह दी है कि वे मानव मात्र की भलाई करें। यदि दूसरों की भलाई न सके तो किसी का बुरा भी न करें। अपनत्व की भावना अपनाकर आपसी वैर भाव, कटुता को शांत कर दें। कठिन मुसीबत के समय भी हँसते रहे, भय से व्याकुल न हो। अपने सपनों पर सदा विश्वास करें। अतीत के दुःखों को याद न करें। जो बीत गया उसे बीत गया ही समझें। सुख ऐश्वर्य के समय भी सावधान बने रहें। घमंड में चूर होकर कर्त्तव्य पथ न भूले। विलासिता का जीवन न अपनाएँ। मन में संदेह को न पनपने दें। क्योंकि संदिग्ध आत्मा वाले व्यक्ति के मन में विश्वास नहीं ठहरता। पुराने मूल्यहीन विचारों को त्याग कर नये प्रगतिशील विचारों को अपनाएँ।
3. प्रस्तुत कविता के मूल भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : प्रस्तुत कविता में कवि ने लोगों को सलाह दिये है कि मनुष्य यदि दूसरों की भलाई नहीं कर सकते तो उसे किसी का बुरा भी नहीं करना चाहिए। सब के साथ मधुर व्यवहार कर वैर भाव को समाप्त कर देना चाहिएं। मन की शांति तथा पवित्र भावना से मन की व्याकुलता समाप्त हो जाती है। मन को शांति तथा सुख की अनुभूति होती है। विपत्ति में हंसना यदि संभव न हो तो रोना भी नहीं चाहिए। अपनी कल्पना शक्ति पर विश्वास करना चाहिए। अतीत के दुःखों को कभी याद नहीं करना चाहिए। उससे शांति नहीं, दुःख ही बढ़ता है। सुख-आनन्द के समय सावधान तथा सजग बने रहना ही उचित है। घमंड में सन्मार्ग को नहीं भूलना चाहिए। शोर मचाने से मन में दृढ संकल्प नहीं जमता। मन में यदि संदेह का भाव है तो उसमें विश्वास नहीं टिक सकता। पुरानी रुढ़ियों को छोड़कर प्रगति के मार्ग पर निरंतर गतिशील बने रहना चाहिए। आत्म विश्वास तथा दृढ़ इच्छा शक्ति से व्यक्ति जीवन में सफल होता है।
4. 'अनसूना- अचीन्हा करने से संकट का बेग नहीं कमता' का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : जो व्यक्ति अपने जीवन में आए हुए संकटों तथा विपत्ति बाधाओं को अनसुना कर देता है, उन्हें नहीं पहचानता और समझता है इस प्रकार हम उन संकटों पर ध्यान नहीं देंगे, उसकी परवाह नहीं करेंगे तो संकट से हम मुक्त रहेंगे, पर यह सोचना गलता है। इससे संकट कम नहीं होगा, बल्कि अवसर और संकट बढ़ता ही जाएगा। अतः संकट की नब्ज को पहचानकर तुरंत प्रतिकार करना चाहिए।
भाषा बोध
1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए
शीतल — उष्ण
कटुता —- मधुरता
कातर — निडर, साहसी
शोर —-- शान्ति
मुर्दा —--- जिन्दा
2. निम्नलिखित शब्दों का वचन परिवर्तित कीजिए -
ज्वालाएँ —-- ज्वाला
नयनों —--- नयन
काँटे —----- काँटा
रीति —--- रीतियाँ
साँसों —--- साँस
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. कवि गोपालदास 'नीरज' किसे अपना घर मानते हैं?
(क) सारे घर को
(ख) सारे संसार को
(ग) सारे देश को
(घ) सारे गांव
उत्तर : (ख) सारे संसार को ।
2. कवि 'नीरज' का आराध्य कौन है?
(क) गुलाम
(ख)- भीड़
(ग) आदमी
(घ) देवता
उत्तर : (ग) आदमी।
3. 'काई नहीं पराया' में कवि क्या सिखलाना चाहते हैं —
(क) सिर्फ अपने लिये सुख की तलाश
(ख) स्वर्ग पाने की कोशिश
(ग) जियो और जीने दो की भावना
(घ) देवत्व पाने की भावना
उत्तर (ग) जियो और जीने दो को भावना।
4. इस कविता का मुख्य संदेश है -
(क) संसार के सभी प्राणी समान है
(ख) सारा संसार अपना घर है
(ग) सुख-दुःख आते-जाते रहते हैं।
(घ) हमेशा हसते रहना चाहिए
उत्तर : (ख) सारा संसार अपना पर है।
लघुउत्तरीय प्रश्न
1. कवि मंदिर मस्जिद के बजाय कहाँ सिर टेकना चाहता है?
उत्तर: कवि मंदिर मस्जिद के बजाय हर द्वार पर सिर टेकना चाहता है, क्योंकि हर द्वार उसके लिए देवालय है और आदमी ही आराध्य है।
2. कवि को किस पर अभिमान है और उसे क्या भाता है?
उत्तर: कवि को अपनी मानवता पर अभिमान है और उसे मनुष्य (मानवता) भाता है।
3. कवि को स्वर्ग सुख की कहानियों से ज्यादा क्या प्रिय है?
उत्तर: कवि को स्वर्ग सुख की कहानियों से ज्यादा प्रिय अपनी धरती है।
4. कवि किस प्रकार हँसने और चलने का संदेश देता है?
उत्तर: कवि संदेश देता है कि इस प्रकार हंसो कि तुम्हारे साथ पैरों से कुचली धूल भी हँसे और इस प्रकार चलो कि तुम्हारे चरणों से कोई कांटा भी न कुचल जाये।
बोध मूलक प्रश्न
1. इस कविता को पढ़कर क्या आपको लगता है कि आज भी एकता विद्यमान है?
उत्तर: जाति, धर्म संप्रदाय की विभिन्नता के होते हुए भी मानव समुदाय में एकता विद्यमान है। सभी धर्म के लोग एक साथ रहते हैं। सभी के सुख-दुःख में सम्मिलित होते है। सभी अपने देश से प्यार करते हैं। विभिन्न विचार, रहन-सहन के बावजूद मानवता सभी में मौजूद है। संकीर्णता को त्याग कर आज उदारता का माहौल बना है। अपनी धरती सभी को प्यारी है। सभी अपने देश, अपनी संस्कृति पर गर्व का अनुभव करते हैं। करुणा, परोपकार मानवता की भावना सभी को एकता के सूत्र में जोड़े हुए हैं। विश्व बंधुत्व की भावना को सभी स्वीकार करते है। एकता के रास्ते में व्यवधान के बावजूद एकता का अस्तित्व बना हुआ है।
2. 'मुझको अपनी मानवता पर बहुत-बहुत अभिमान है' का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने स्पष्ट किया है कि मानव का परिचय मानवता ही होता है। मानवता ही जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है। कवि को मानवता पर अर्थात् मानव के सद्गुणों पर गर्व है। मनुष्य ही अपने दिव्य गुणों से, सेवया, त्याग, स्नेह, परोपकार की भावना से पूजनीय बन जाता है। इसीलिए कवि को मानवता पर गर्व का अनुभव होता है।
3. 'हँसो इस तरह, हँसे तुम्हारे साथ दलित यह धूल भी' का क्या तात्पर्य हैं?
उत्तर : कवि ने लोगों को सलाह दी है कि वे इस प्रकार हँसे कि उनके पैरों के नीचे दबी कुचली, धूल भी हँस पड़े। व्यक्ति मन से खुश होकर मन की खुशी को प्रकट करने के लिए हँसता है पर उसे दबे कुचले, दुर्बल कमजोर लोगों को प्रसन्न बनाना चाहिए। उनके मन में भी खुशियों का संचार होना चाहिए। तभी वे भी अपनी प्रसन्नता को व्यक्त करने के लिए हँसेंगे। हँसने का सच्चा आनन्द तभी है, जब उसके आश्रित कमजोर लोग भी हँसे।,
4. कवि प्यार को बाँटने की सलाह क्यों देता है ?
उत्तर : कवि ने लोगों को यह सलाह दी है कि वे प्यार बांटकर विश्व प्रेम तथा विश्व मानवता की भावना को प्रतिष्ठित करें। प्यार बांटने से अर्थात् धर्म, जाति, संप्रदाय के भेद-भाव को त्याग कर सभी के साथ प्रेम करने से भाई-चारे की भावना आएगी एकता की भवना दृढ़ बनेगी। प्यार या प्रेम ऐसी शक्ति हैं जिससे पराये भी अपने हो जाते हैं। इसी कारण जीवन को सुखमय बनाने के लिए कवि ने प्यार बाँटने की सलाह दी है।
भाषा वोध
1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
संसार — विश्व, दुनिया।
उपवन—- बाग बगीचा।
इंसान —- मानव, आदमी।
शूल —-- काँटा, कंटक
घर --- गृह, सदन
2. निम्नलिखित शब्दों का समास विग्रह कर समास का नाम लिखिए
देश- काल —---- देश और काल (द्वन्द्व समास)।
घट-घट —------- प्रत्येक घट (अव्ययी भाव समास)।
देवालय —------- देव के लिए आलय (तत्पुरुष समास)।
स्वर्ग – सुख —-- स्वर्ग का सुख (तत्पुरुष समास)।
3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
पराया — अपना
गुलाम — स्वामी
प्यार —- नफरत, घृणा
स्वर्ग —- नरक
स्वीकार —- अस्वीकार
शूल —- फूल
मानवता — दानवता
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. नई नारी किस चाल से चलती है?
(क) तामसी
(ख) सादगमी भरी
(ग) राजसी
(घ) निर्भीक
उत्तर : (ख) सादगी भरी
2. 'नई नारी' कविता के रचयिता है?
(क) सुब्रह्मण्य स्वामी
(ग) सुब्रह्मण्य भारती
(ख) राधाकृष्ण भारती
(घ) केशवदास
उत्तर : (ग) सुब्रह्मण्य भारती।
3. नई नारी किससे गौरवान्वित है?
(क) श्रृंगार की दीप्ति से
(ख) विद्या की दीप्ति से
(ग) धन की दीप्ति से
(घ) शक्ति की दीप्ति से।
उत्तर : (ख) विद्या की दीप्ति से
4. नई नारी को कहाँ भटकना स्वीकार नहीं है?
(क) मिथ्या परंपराओं में
(ख) अज्ञान के अंधेरे में
(ग) सुख-सुविधाओं के संसार में उत्तर : (ख) अज्ञान के अंधेरे में।
(घ) अंधविश्वास के बंधन में
लघुउत्तरीय प्रश्न
1. नई नारी को क्या स्वीकार नहीं है?
उत्तर: नई नारी को अज्ञान, अशिक्षा के गहरे अंधकार में भटक जाना स्वीकार नहीं है।
2. नई नारी किसका अध्ययन करेंगी?
उत्तर : नई नारी अनेकानेक शास्त्रों का अध्ययन करेंगी।
3. कवि किनको तोड़ने और हटाने की कामना करता है?
उत्तर: कवि पुरानी गलत परंपराओं की हटाने और सभी अंधविश्वासों को तोड़ने की कामना करता है।
4. नई नारी निर्भीक क्यों है?
उत्तर : नई नारी अपनी शिक्षा, स्थिर बुद्धि, विचार के कारण निर्भीक है।
बोधमूलक प्रश्न
1. कवि सुब्रह्मण्य भारती ने नई नारी में किन-किन गुणों की कल्पना की है?
उत्तर : नई नारी विद्या की आभा से सम्मानित होती है। वह दृढ़ चित्त वृत्ति वाली वर्तमान जीवन की चकाचौंध से अप्रभावित, अज्ञान से मुक्त होगी। वह सभ्य संस्कृति के जीवन स्वीकार करेगी। शास्त्रों का अध्ययन कर जीवन को सुखद बना देगी। पुरानी गलत परंपराओं, अंधविश्वासों को तोड़ देगी। मानव के आचरण व्यवहार पर ध्यान रखेगी कवि ने इन्हीं गुणों की कल्पना की है।
2. 'वे कभी चकाचौंध में राह नहीं भूल सकती' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: नई नारी अपनी विद्या, ज्ञान के प्रभाव से स्थिर विचार वाली होगी और जीवन की रंगीनियों में पड़कर अपना सही मार्ग नहीं भूलेगी। कभी भी गलत आचरण, व्यवहार को नहीं अपनाएंगी। वह सदा सच्चे राह पर ही चलना पसंद करती है। अपने आचरण व्यवहार को सदा मर्यादित बनाए रखेंगी।
3. नई नारी के विकास का मार्ग में कौन-सी बाधाएँ हैं और वह कैसे दूर कर सकते है?
उत्तर : नई नारी के मार्ग में अशिक्षा, पुरानी गलत परंपराएं है अंधविश्वास आदि बाधाएँ, नारी उसे अपनी शिक्षा, ज्ञान दृढ़ चित्त वृत्ति, सादगी, अपने शास्त्र अध्ययन से दूर कर सकती हैं।
भाषा बोध
1. 'ना' उपसर्ग जोड़कर शब्द बनाइए
नामंजूर, नालायक, नापाक, नापसंद, नाकाबिल, नाखुश, नाबालिग ।
2. निम्नलिखित समोच्चरित भिन्नार्थक शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
नारी — नारी आज विद्या के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है।
नाड़ी —- वैद्य नाड़ी देखकर रोग का निदान करते हैं।
विद्या —- विद्या सबसे बड़ा धन है।
विधा —- सदा सही विधा पर अमल करना चाहिए।
घन —- आकाश में घन छाये हुए है।
धन —- जीवन में धन का महत्व है।
शास्त्र —- आज की नारी शास्त्र अध्ययन करती हैं।
शस्त्र—- शस्त्र से शुत्र नहीं, मित्र बनाना चाहिए।
देव —- शिव महान देव है।
देह —-- देह रक्षा करना सब का कर्त्तव्य है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. कवि लौटकर किस वृक्ष पर बसेरा बनाया चाहता है?
(क) आम
(ख) बरगद
(ग) नीम
(घ) पीपल
उत्तर : (ग) नीम।
2. पलाश के फूलों का रंग होता है
(क) पीला
(ख) हरा
(ग) नीला
(घ) लाल
उत्तर : (घ) लाल।
3. हम किसे लक्ष्य नहीं कर पाएँगे?
(क) कवि को
(ख) नई छाल को
(ग) फूलों को
(घ) हरियाली को
उत्तर: कवि को।
4. हरियाली से हमें क्या मिलता है?
(क) दुःख और पीड़ा
(ख) राहत और सुख
(ग) क्रोध और घृणा
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर : (ख) राहत और सुख।
लघुउत्तरीय प्रश्न
1. कवि कहाँ घोंसला बनाना चाहता है?
उत्तर: कवि बरामदे में पंखे के ऊपर घोसला बनाना चाहता है।
2. कवि को क्यों लगता है कि हम उसे नहीं पहचान सकेंगे?
उत्तर: कवि पक्षी की तरह रूप बदलकर आएगा, और बारिश के बाद हरियाली में वह बिखरा हुआ रहेगा। इसी से उसे लगता है कि हम उसे पहचान नहीं सकेंगे।
3. बारिश के बाद क्या छा जाती है?
उत्तर : बारिश के बाद हरियाली छा जाती है।
4. कवि की पहचान को कौन बदल देगा?
उत्तर : कवि की पहचान को आधुनिक जीवन संस्कृतियों की चकाचौंध में बेसुध लोग बदल देंगे।
बोधमूलक प्रश्न
1. 'तुम बिना रूप बदले भी बदल जाओगे.... का क्या आशय है?
उत्तर: कवि ने स्पष्ट किया है कि वह दुबारा पलाश वृक्ष पर नवीन छाल की तरह आए। पलास के लाल - लाल फूलों की चमक में तुम मुझे देख भी न पाओगे। इस प्रकार कवि ने स्पष्ट किया है कि आधुनिक जीवन संस्कृति तथा शैली में लोग अपने पुरानी परंपरा से अनजान बन गए हैं। फिर कवि कह रहा है कि वह तो रुप बदलकर आएगा। पर तुम बिना बदले ही बदल जाओगे।
2. हमें अपनी परंपरा, अपने पूर्वजों और अपनी प्रकृति के प्रति सहिष्णु क्यों होना चाहिए?
उत्तर: मनुष्य व्यक्तित्व का निर्माण उसकी परंपरा, पूर्वजों के संस्कार तथा अपनी स्वाभाविक प्रकृति से होता है। अपनी पुरानी परंपरा ने हमारे रीति रिवाज का गठन किया है। हमें एक सुव्यस्थित संस्कार दिया है। परंपराएं ही हमारी पहचान है। कुछ विकृत रूढ़िवादी विचारों का हम त्याग कर सकते हैं, पर पुराना सब खराब है अनुपयोगी है यह कहा नहीं जा सकता। हमारे सामाजिक ढाँचे की रचना इसी परंपरा की है। हमारे पूर्वजों ने अपने ज्ञान, आदर्श से दुनिया में अपना स्थान बनाया था। इसलिए हम अपनी परंपरा तथा पूर्वजों को नजर अंदाज नहीं कर सकते। अतः हमें अपनी परंपरा, पूर्वजों तथा अपनी प्रकृति के प्रति सहिष्णु होना चाहिए।
भाषा बोध
1. निम्नलिखित वाक्यांश में आए कारक विभक्तियों का नाम लिखिए
(क) पक्षी की तरह
उत्तर : पक्षी की —- सम्बंध कारक।
(ख) पलाश के पेड़ पर नई छाल की तरह
उत्तर : पलाश के —- संबंध कारक।
पेड़ पर —- अधिकरण कारक।
छाल की —- संबंध कारक।
(ग) हमारी पहचान हमेशा के लिए गड्डमड्ड हो जाएगी।
उत्तर : हमारी —-- संबंध कारक।
के लिए —- संप्रदान कारक।
2. वाक्यों में प्रयोग कर लिंग निर्णय कीजिए
पक्षी — पक्षी डाल पर बैठा है। (पुल्लिंग)
बगिया — हमारे घर के सामने छोटी-सी बगिया है।(स्त्रीलिंग)
घोसला —-- वृक्ष पर घोंसला बना हुआ है। (पुल्लिंग)
हरियाली —-- बारिश के बाद हरियाली छा गई। (स्त्रीलिंग)
रूप —- लड़का का रूप अच्छा लग रहा है। ( पुल्लिंग)