वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(क) नीलू पाठ हिन्दी साहित्य की कौन-सी गद्य विधा है?
(1) कहानी (ii) संस्मरण (iii) रेखाचित्र (iv) प्रहसन।
उत्तर : (ii) संस्मरण
(ख) नीलू किस प्रजाति का कुत्ता था?
(i) अल्सेशियन (ii) भूटिया (iii) अल्सेशियन-भूटिया वर्ण संकर (iv) देशी
उत्तर : (iii) अल्सेशियन-भूटिया वर्ण संकर
(ग) महादेवी वर्मा की जन्म-मृत्यु की कौन-सी तिथि सही है?
(1) सन् 1907-1980 (ii) सन् 1980-2014 (iii) सन् 1807-1887 (iv) सन् 1907-1987
उत्तर : (iii) सन् 1907-1987
(घ) लूसी की मृत्यु कैसे हुई?
(i) ठंड लगने से (ii) भूटिया कुत्ते द्वारा मारने (iii) लकड़बग्घे द्वारा (iv) कजली और बादल के द्वारा
उत्तर : (iii) लकड़बग्घे द्वारा
लघुउत्तरीय प्रश्न
1. लूसी कौन थी?
उत्तर : लूसी उत्तरायण में रहने वाली एक अल्सेशियन कुतिया थी। वह नीलू की माँ थी।
2. उत्तरायण के लोग लूसी से सामान कैसे मँगवाते थे?
उत्तर : उत्तरायण के लोग लूसी के गले में रुपये और सामग्री की सूची के साथ एक कपड़ा बाँध कर उससे सामान लाने का अनुरोध करते थे। लूसी दुकान तक पहुँच जाती थी। दुकानदार उसके गले से कपड़ा खोलकर. रुपया, सूची लेने के बाद सामान की गठरी उसके गले या पीठ से बाँध देता और लूसी बोझ के साथ बर्फीला रास्ता पार कर सकुशल लौट आती थी। लोग अपना सामान प्राप्त कर लेते थे।
3. लेखिका को मित्र के आने की सूचना नीलू से कैसे मिलती थी?
उत्तर : नीलू किसी विशेष परिचित को आया देखकर, धीरे-धीरे भीतर आकर लेखिका के कमरे के दरवाजे पर खड़ा हो जाता। नीलू का इस प्रकार आना ही लेखिका के लिए किसी मित्र के आने की सूचना थी।
4. नीलू अकेले कैसे रह गया?
उत्तर : नीलू कुत्तों में केवल कजली के सामीप्य से प्रसन्न रहता था, परंतु कजली और बादल एक क्षण के लिए भी एक दूसरे से अलग नहीं रह सकते थे। इस प्रकार बेचारा नीलू अकेला रह गया।
5. अल्सेशियन और भूटिया कुत्तों के स्वभाव में क्या अन्तर होता है?
उत्तर : अल्सेशियन कुत्ते आखेट प्रिय होते हैं। भूटिया कुत्ते हिंसक और क्रोधी स्वभाव के होते हैं।
6. गौरैया कहाँ अपना घोंसला बना लेती थी?
उत्तर : गौरैया लेखिका के बंगले के रोशनदानों में अपना घोंसला बना लेती थी।
7. नीलू की मृत्यु क्या सामान्य कुत्तों की भाँति हुई?
उत्तर : नीलू की मृत्यु सामान्य कुत्तों की भाँति नहीं हुई। सामान्य कुत्ते बड़े दुःख के साथ कराहते हुए मरते हैं। पर नीलू की मृत्यु कष्ट रहित, शांत निर्लिप्त भाव से हुई।
बोध मूलक प्रश्न
1. लूसी की रूपाकृति का वर्णन करो।
उत्तर : लूसी सामान्य कुत्तों से भिन्न थी। हिरणी के समान वह तीव्रगति वाली थी। उसकी देह मानों साँचे में ढली हुई थी। काला लगनेवाले पीली कांति वाले रोये थे। आँखें काली छोटी, सजग खड़े कान, रोएँदार लंबी पूँछ थी। वह बड़ी आकर्षित प्रतीत होती थी।
2. लूसी का स्वभाव स्वच्छंद सहचरी के समान क्यों था ?
उत्तर : अल्सेशियन कुत्ता एक ही स्वामी को स्वीकार करता है। यदि एक व्यक्ति का स्वामित्व उसे नहीं मिल पाता तो वह सब के साथ सहचर जैसा आचरण करने लगता है। वह आदेश किसी का नहीं मानता, पर सबके स्नेहपूर्ण अनुरोध की रक्षा करता है। अल्लेशियन जाति होने के कारण लूसी की स्थिति भी स्वच्छंद सहचरी के समान हो गई थी।
3. नीलू ने खरगोशों की प्राण रक्षा किस प्रकार की ?
उत्तर : खरगोश सुरंग कर दूसरे कंपाउंड में जा निकले। आगे पहुँचने वाले खरगोशों के अंग जंगली बिल्ला द्वार क्षतविक्षत कर दिए गए। कुछ खरगोश बिल्ले या सियाल के आहार बन गएं। पहरे के नित्य क्रम में घूमते हुए नीलू ने चाहरदीवारी के पार देखा। खरगोशों के संकट को देखकर वह कूदकर उस पार पहुँच गया। उसके पहुँचते हो बिल्ला भाग गया। खरगोश को बाहर निकलने से रोकने और उनकी सुरक्षा के लिए वह रात भर ओस से भीगता हुआ सुरंग के द्वार पर खड़ा रहा। इस प्रकार नीलू ने खरगोशों की रक्षा की।
4. नीलू के स्वभाव गत विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर : नीलू का स्वभाव अन्य कुत्तों से बिलकुल भिन्न था। वह खाने के लिए लालायित नहीं रहता था। प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए पूँछ हिलाना कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए चाहना, स्वामी के पीछे-पीछे घूमना, अकारण भौंकना, काटना आदि उसके स्वभाव में नहीं था। वह दीनता से रहित दर्प भाव से युक्त था। अपनी सहज चेतना से वह अपरिचित को पहचान लेता था। वह हिंसक स्वभाव का नहीं था।
5. लेखिका का नीलू प्रेम अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर : नीलू की माँ के मर जाने पर लेखिका शावक नीलू को दुग्ध-चूर्ण से दूध बनाकर पिलाया। कोमल ऊन डालिया रख कर उसमें सुलाया। आने के समय उसे प्रयाग ले आई। नीलू हमेशा घर के बाहरी बरामदे में ही बैठा करता। नीलू के निमोनिया हो जाने पर उसे दवा तथा इंजेक्शन लगवाकर उसे स्वस्थ्य बनाया। जन्म से मृत्युतक वह हमेशा लेखिका के साथ रहा।
6. लूसी के अभाव में नीलू का पालन-पोषण कैसे हुआ?
उत्तर : माँ के अभाव में नीलू दूध के लिए शोर मचाने लगा। लेखिका ने दुग्ध-चूर्ण से दूध बनाकर पिलाया। रजाई में भी उसे माँ के पेट की गर्मी न मिलती और रोने चिल्लाने लगता। फिर लेखिका ने उसे कोमल ऊन और अधबुने स्वेटर की डालिया में रख दिया। अब वह आराम से सोने लगा। आने के समय लेखिका उसे भी प्रयाग लेते आई।
7. 'जीवन के समान उसकी मृत्यु भी दैन्य से रहित थी' आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति में लेखिका ने स्पष्ट किया है कि नीलू का जीवन मस्ती और आनंद से भरा था उसमें दीनता को हीन भावना नहीं थी। उसी प्रकार उसकी मृत्यु भी कष्ट रहित थी। उसकी मृत्यु अत्यंत शांत भाव से हुई। मृत्यु के समय वह निर्लिप्त बना रहा।
8. 'एक व्यक्ति का स्वामित्व उसे सुलभ नहीं होता, तो वह सबके साथ सहचर जैसा आचरण करने लगता है।' आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : प्रस्तुत अवतरण में लेखिका ने अल्सेशियन कुत्ते के स्वभाव का चित्रण किया है। अल्सेशियन कुत्ते को यदि कोई एक स्वामी (मालिक) नहीं मिल जाता तो वह सब के साथ सहचर जैसा व्यवहार करने लगता है। वह किसी का आदेश नहीं मानता, परंतु सहचर की तरह प्रेम भरे अनुरोध को स्वीकार करता है।
व्याख्या मूलक प्रश्न
प्रश्न - 'नीलू' के माध्यम से स्पष्ट कीजिए कि पशु मानव समाज के लिए बड़े उपयोगी होते हैं?
उत्तर : लेखिका ने अपने पालतू कुत्ते नीलू और उसकी माँ लूसी की जीवन गाथा से उनके संबंध क्रिया कलाप स्वामिभक्ति, कर्त्तव्यपरायणता का सहज वर्णन किया है। इनके क्रिया कलाप से यह सिद्ध हो जाता है कि पशु मानव के लिए बड़े उपयोगी है।
उत्तरायण में लूसी की स्थिति स्वच्छंद सहचरी के समान थी। उत्तरायण से एक रास्ता दो पहाड़ियों के बीच से मोटर मार्ग तक जाता था। उसके अन्त में मोटर स्टाप पर एक ही दुकान थी। जिसमें आवश्यक खाद्य सामग्री प्राप्त हो सकती थी। शीतकाल में बर्फ से ढक जाने से रास्ते का चिह्न भी नहीं रह जाता था। उस समय उत्तरायण के निवासी दुकान तक पहुंचने में असमर्थ हो जाते थे। ऐसी स्थिति में लूसी ही उनका सहयोग करती थी। उत्तरायण के निवासी लूसी के गले में रुपये और सामग्री की सूची के साथ एक कपड़ा या चादर बाँध कर सामान लाने का अनुरोध करते थे। वंश परंपरा से बर्फ में मार्ग बना लेने की सहज चेतना के कारण लूसी सारे व्यवधान पार कर दुकान तक पहुंच जाती थी। दुकानदार उसके गले से कपड़ा खोलकर रुपया सूची आदि लेने के बाद सामान की गठरी उसको गले या पीठ से बाँध देता और लूसी सारे बोझ के साथ बर्फीला मार्ग पार करती हुई सकुशल लौट आती। किसी किसी दिन उसे कई बार आना-जाना पड़ता था। इस प्रकार वह चीनी, चाय, आटा, आलू आदि सामग्री लोगों को पहुँचाकर उनकी भलाई किया करती थी।
नीलू अत्यंत समझदार कुत्ता था। वह बारह वर्ष तक लेखिका के घर के बाहरी बरामदे में रहता था। वह प्रत्येक आने-जाने वाले की भली-भाँति देखता था। लेखिका से मिलने वालों में सभी को पहचानता था। किसी अपरिचित को देखकर भीतर आकर कमरे के दरवाजे पर खड़े हो कर भौंकता था। इस प्रकार वह लेखिका को किसी मित्र की उपस्थिति की सूचना दे देता था। नीलू का ध्वनिज्ञान सुंघने का अत्यंत गहरा था। बाहर घूमते समय यदि कोई कह देता कि तुम्हें गुरुजी बुला रही है तो तुरंत कमरे के सामने आकर खड़ा हो जाता था। कभी किसी पशु या पक्षी पर आक्रमण नहीं करता था। बंगले के रोशन दानों में गौरैया के घोंसले बने थे। उनसे कभी उनके बच्चे गिर पड़ते थे। उस समय नीलू बड़ी सतर्कता के साथ कुत्तों तथा बिल्लियों से उन शावकों की रक्षा किया करता था।
सब के सो जाने पर गरर्मियों में बाहर लॉन पर और सर्दियों में बरामदे में बैठकर पहरेदारी सजगता के साथ किया करता था। एक रात में लेखिका के खरगोश बिल खोदकर दूसरे कंपाउंड में निकल गए। जैसे ही वे बाहर निकलते सियार या मार्जार उन्हें आहार बना डालते। संकेत से यह जानकर नीलू कूदकर दूसरी ओर सुरंग के पास पहुँच
गया। उसे देखते ही बिल्ला भाग गया। खरगोशों की रक्षा के लिए वह रातभर जाड़े में खड़ा रहा। मोटर दुर्घटना में आहत हो जाने पर लेखिका अस्पताल में भर्ती हुई। नीलू वहाँ भी पलंग के चारों घूमता और प्रहरी की तरह पलंग के नीचे जा बैठता। इन दोनों के क्रिया कलापों से स्पष्ट हो जाता है कि पशु कितने समझदार और मनुष्य के सहायक तथा मित्र होते हैं।
भाषा बोध
1. निम्न शब्दों का संधि विच्छेद कर संधि का नाम लिखिए।
उत्तरायण = उत्तर + अयन (स्वर संधि)
कालान्तर = काल + अन्तर (स्वर संघि)
स्वभाव = सु + भाव (स्वर संधि)
कुहराच्छन्न = कुहरा + आच्छन्न (स्वर संधि)
प्रतीक्षा = प्रति + ईक्षा (स्वर संधि)
2. निम्नलिखित शब्दों से मूल शब्द और उपसर्ग अलग कीजिए-
शब्द उपसर्ग मूल शब्द
परिस्थिति परि + स्थिति
आचरण आ + चरण
सकुशल स+ कुशल
सुडौल सु + डौल
निर्लिप्त निर् + लिप्त
सतर्क स + तर्क
3. क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द को क्रिया विशेषण कहते है। जैसे- नीलू धीरे-धीरे खरगोशों के पास गया। ऐसे कुछ क्रियाविशेषण चुनिए-
(क) स्वामी के पीछे-पीछे घूमना उसे पसंद न था।
(ख) वह सदर्प धीरे-धीरे आकर दरवाजे पर खड़ा हो जाता।
4. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करो-
कुत्ते की मौत मरना - बुरी तरह मरना।
कुत्ते की मौत मरना - जो व्यक्ति जीवन में बुरा आचरण करता है, वह अन्त में कुत्ते की मौत मरता है।
उत्तरायण होना - उत्तर की ओर, उत्तर गति होना।
उत्तरायण होना - भीष्म पितामह उत्तरायण होने की प्रतीक्षा करते रहे।
अवज्ञा होना - उपेक्षा या तिरस्कार करना।
अवज्ञा करना - हमें बड़ों को कभी अवज्ञा नहीं करनी चाहिए।