सही विकल्प चुनकर लिखिए: ---
1. सत्यजीत राय सम्बन्धित थे
(क) खेल के इतिहास से
(ख) शहर के इतिहास से के
(ग) नारी के इतिहास से
(घ) कला चर्चा के इतिहास से
उत्तर (घ) कला चर्चा के इतिहास से
2. रेशम का आविष्कार हुआ था प्राचीन
(क) भारत में
(ख) रोम में
(ग) परतिया में
(घ) चीन में
उत्तर (घ) चीन में
3. 'निषिद्ध शहर' कहा जाता है
(क) लासा को
(ख) बीजिंग को
(ग) रोम को
(घ) कान्स्टेन्टिनोपल को
उत्तर : (क) लासा को
4. सामयिक पत्रिका 'बंगदर्शन' थी एक
(क) साप्ताहिक
(ख) पाक्षिक
(ग) मासिक
(घ) वार्षिक
उत्तर : (ग) मासिक
5. 'विश्व पर्यावरण दिवस' मनाया जाता है
(क) 8 जनवरी
(ख) 24 फरवरी
(ग) 8 मार्च
(घ) 5 जून
उत्तर : (घ) 5 जून
6. भारतीय आलू का उपयोग सीखे थे जिससे -
(क) पुर्तगाली
(ख) अंग्रेज
(ग) मुगल
(घ) उच
उत्तर (क) पुर्तगाली
7. मोहनबागान क्लब आई.एफ.ए. शील्ड किस वर्ष जीता था ?
(क) 1890 ई० में
(ख) 1905 ई० में
(घ) 1917 ई० में
(ग) 1911 ई० में
उत्तर : (ग) 1911 ई० में
8. दादा साहब फाल्के युक्त थे -
(क) फिल्म
(ख)सहित्य
(ग) स्थानीय इतिहास चर्चा
(घ) पर्यावरण इतिहास चर्चा
उत्तर : (क) फिल्म
9. 'जीवनेर झड़ापाता' ग्रन्थ है
(क) एक उपन्यास
(ख) एक काव्यग्रन्थ
(ग) एक जीवनी
(घ) एक आत्मकथा
उत्तर : (घ) एक आत्मकथा
10. 'सोमप्रकाश' था
(क) दैनिक समाचारपत्र
(ख) साप्ताहिक पत्रिका
(ग) पाक्षिक पत्रिका
(घ) मासिक पत्रिका
उत्तर : (ख) साप्ताहिक पत्रिका
11 , भारत में फुटबाल खेल किसके द्वारा प्रारम्भ किया गया ?
(क) अंग्रेज
(ख) उच
(ग) फ्रांसीसी
(घ) पुर्तगाली
उत्तर : (क) अंग्रेज
12. बिपिनचन्द्र ने लिखा है -
(क) सत्तर वर्ष
(ख) जीवन स्मृति
(ग) ए नेशन इन मेकिंग
(घ) आनन्दमठ
उत्तर : (क) सत्तर वर्ष
13. प्राचीन बंगाल में महिलाओं की जलक्रीड़ा का उल्लेख है
(क) पवनदूत ग्रंथ में
(ख) मेघदूत ग्रंथ में
(ग) श्रीकृष्ण कीर्तन ग्रंथ में
उत्तर : (क) पवनदूत ग्रंथ में
14. बीसवीं सदी में एक बंगाली पहलवान जो कुश्ती में काफी मशहूर हुए थे
(क) लामा तारानाथ
(ख) राजा रॉय
(ग) यतीन्द्र प्रसाद गुहा
(घ) आनन्द दास
उत्तर :(ग) यतीन्द्र प्रसाद गुहा
15. कैलोटाइप सोसाइटी नामक फोटोग्राफी क्लब की स्थापना कब हुई थी ?
(क) 1847 ई० (लंदन)
(ख) 1939 ई० (पेरिस )
(घ) 1832 ई० (इटली)
(ग) 1872 ई० (जापान)
उत्तर (क) 1847 ई० (लंदन)
16. मध्ययुगेर नगर ग्रंथ की रचना किसने की ?
(क) डॉ० अनिरूद्ध राय
(ख) अमिय कुमार बन्द्योपाध्याय
(ग) डॉ० रतनलाल चक्रवर्ती
(घ) तारापद सांतरा
उत्तर : (क) डॉ० अनिरूद्ध राय
17. नागेन्द्रनाथ रॉय इनमें से किस क्षेत्र के कुशल खिलाड़ी थे
(ख) फुटबॉल
(घ) शतरंज
(ग) बैडमिंटन
उत्तर (ख) फुटबॉल
18. 'कलकत्ता क्रिकेट क्लब' किस वर्ष स्थापित हुआ था -
(क) 1790 ई० में
(ग) 1820 ई० में
(ख) 1792 ई० में
(घ) 1880 ई० में.
उत्तर: (ख) 1792 ई० में
19.'इण्डिया विन्स फ्रीडम' आत्मजीवनी पुस्तक थी
(क) मौलाना अबुल कलाम आजाद का
(ख) विपिन चन्द्र पाल का
(ग) सुभाषचन्द्र बोस का
(घ) जवाहरलाल नेहरू का
उत्तर: (क) मौलाना अबुल कलाम आजाद का ।
20 , 'सत्तर वर्ष' किसकी आत्मजीवनी है ?
(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(ख) सरला देवी चौधरानी
(ग) सुरेन्द्रनाथ बंद्योपाध्याय
(घ) विपिनचन्द्र पाल
उत्तर : (घ) विपिनचन्द्र पाल
21. 'जीवनेर झड़ापाता' सर्वप्रथम किस पत्रिका में प्रकाशित हुआ था -
(क) प्रवासी पत्रिका
(ग) समाचार दर्पण
(ख) देश पत्रिका
(घ) बंग-दर्शन पत्रिका
उत्तर : (ख) देश पत्रिका ।
22. 'दास कैपिटल' किसके द्वारा लिखी गई पुस्तक है
(क) कार्ल मार्क्स
(ख) जी० एम० ट्रेविलियन
(ग) गिब्स
उत्तर : (क) कार्ल मार्क्स।
23. भारतीय संगीत की उत्पत्ति का स्रोत कहाँ से माना गया है ?
(क) पुराणों से (ग) उपनिषद से
(ख) वेदों से (घ) महाकाव्यों से
उत्तर : (ख) वेदों से
24. 'विश्व युद्ध का जन्म' पुस्तक की रचना की गई थी -
(क) क्लेरेडन द्वारा
(ख) एस० बी० फेय द्वारा
(ग) श्यूसी डायट्स द्वारा
(घ) हेरोडोट्स द्वारा
उत्तर :(ख) एस० बी० फेय द्वारा
25. 'हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इंडिया' के लेखक है
(क) जेम्स मिल
(ख) रामचन्द्र गुहा
(ग) जवाहरलाल नेहरू
(घ) केथरिया मेया
उत्तर : (क) जेम्स मिल
26:(क) जेम्स मिलनर्मदा बचाओ आन्दोलन' के प्रमुख नेता थे
(क) सुन्दर लाल बहुगुणा (ग) नाना पाटेकर
(ख) मेधा पाटेकर (घ) महाश्वेता देवी
उत्तर : (ख) मेघा पाटेकर
27. बाइबल में किस खेल का उल्लेख है -
(क) फुटबॉल
(ख) टेनिस
(ग) कुश्ती
उत्तर :(ग) कुश्ती ।
28. कलकत्ता (कोलकाता) नगर स्थापित हुआ था -
(क) 1490 ई० में
(ख) 1590 ई० में (घ) 1790 ई० में
(ग) 1690 ई० में
उत्तर (ग) 1690 ई० में
29. भारत की पहली आंचलिक प्रामाणिक ऐतिहासिक पुस्तक है
(क) राजतरंगिनी (ग) प्रयाग प्रशस्ती
(ख) भारत एक खोज (घ) मुद्राराक्षस
उत्तर :(क) राजतरंगिनी
1.1. 'सोमप्रकाश' का प्रकाशन अस्थायी रूप से किस वर्ष में स्थगित रखा गया था ?
उत्तर : 1878 ई० ।
1.2. कोलकाता की एक औपनिवेशिक स्थापत्य कला का उदाहरण दीजिए।
उत्तर : विक्टोरिया मेमोरियल ।
1.3. 'बंगदर्शन' किस वर्ष में प्रकाशित हुई ?
उत्तर : 1872 ई०
1.4. बिपिनचन्द्र पाल की आत्मकथा का क्या नाम है ?
उत्तर : मेरी जवानी के दिनों में मेरे जीवन और समय के संस्मरण
1.5. 'सोमप्रकाश' के सम्पादक कौन थे ?
उत्तर : 'सोमप्रकाश' के सम्पादक द्वारकानाथ विद्याभूषण थे ।
1.6. सरकारी दस्तावेज कहाँ संरक्षित किये जाते हैं ?
उत्तर : सरकारी दस्तावेज राष्ट्रीय संग्रहालयों में संरक्षित किये जाते हैं।
1.7 किस भारतीय साहित्य मे रंगमंच शब्द का उल्लेख मिलता है?
उत्तर : भरतमुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र में ।
1.8. 'मध्ययुग के शहर' पुस्तक के लेखक कौन हैं?
उत्तर : डॉ० अनिरुद्ध राय ।
1.9. 'कैलोटाइप सोसायटी' की स्थापना कब हुई थी ?
उत्तर : 1847 ई० में लन्दन में।
1.10. सरला देवी चौधुरानी की आत्मकथा का नाम क्या है ?
उत्तर : जीवनेर झड़ा पाता।
1.11. बंगदर्शन पत्रिका की स्थापना किसने की थी ?
उत्तर : बंगदर्शन पत्रिका की स्थापना बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने 1872 ई० में की थी।
1.12. मेधा पाटेकर कौन हैं ?
उत्तर : मेघा पाटेकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन की प्रमुख नेत्री हैं।
1.13. 'हिस्ट्री ऑफ द फ्रीडम मूवमेंट इन इण्डिया' नामक पुस्तक किसने लिखी ?
उत्तर : ताराचन्द ने।
1.14. किसने कहा, "इतिहास महापुरुषों की जीवन गाया है।"
उत्तर: कार्लाइल ने ।
1.15. किसने कहा, "इतिहास एक घर है जिसमें सभी विषय समाहित हैं।"
उत्तर : प्रो० ट्रैवेलियान ने ।
2.1. कचन इतिहास के उपादान के रूप में 'पत्र' का महत्व है।
व्याख्या 1: इसके द्वारा अच्छी बुरी खबरों की जानकारी होती है।
व्याख्या 2: इसके द्वारा लोगों के हाल-चाल की जानकारी होती है।
व्याख्या 3: इसके द्वारा लिखने वाले के विचार और दृष्टिकोण की जानकारी होती है।
उत्तर : व्याख्या 3: इसके द्वारा लिखने वाले के विचार और दृष्टिकोण की जानकारी होती है।
2.2.कथन सोमप्रकाश का प्रकाशन ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने किया था।
व्याख्या 1: एक बधिर विद्वान को रोजगार देने के उद्देश्य से।
व्याख्या : 2 बंगाली पत्रिका के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने के लिए।
व्याख्या 3 ब्रिटिश शासन की प्रशंसा करने के लिए।
उत्तर :व्याख्या 1 एक बधिर विद्वान को रोजगार देने के उद्देश्य से।
2.3. कथन: सामान्य मनुष्य का इतिहास ही सभ्यता का इतिहास होता है, क्योंकि
व्याख्या 1 सामान्य मनुष्य का इतिहास ही सभ्यता की स्थापना करते हैं।
व्याख्या 2 : शासक सामान्य मनुष्यों पर ही शासन करते हैं।
व्याख्या 3 प्रत्येक महान पुरूष ही साधारण पुरूष होता है।
उत्तर : व्याख्या 1 सामान्य मनुष्य का इतिहास ही सभ्यता की स्थापना करते हैं।
2.4. कथन: पाक शैली का सूत्रपात्र हुआ ?
व्याख्या : 1 आदिमानव शिकार करना जान गये थे।
व्याख्या 2 : आदिमानव ने जंगली पौधें उगाए थे।
व्याख्या 3 आदिमानव (नियण्डरथल मानव) ने आग का आविष्कार किया और मानव मांस मूनकर खाने लगे।
उत्तर : व्याख्या 3: आदिमानव (नियण्डरथल मानव) ने आग का आविष्कार किया और मानव मांस मूनकर खाने लगे।
2.5. कथन: बिना सामाजिक इतिहास के इतिहास का अध्ययन अधूरा है क्योंकि
व्याख्या 1 नूतन सामाजिक इतिहास लोगों के बारे में बताता है।
व्याख्या 2: नूतन सामाजिक इतिहास में समाज का प्रतिबिम्ब झलकता है।
व्याख्या 3: नूतन सामाजिक इतिहास आम लोगों का इतिहास है।
उत्तर : व्याख्या 2 : नूतन सामाजिक इतिहास में समाज का प्रतिबिम्ब झलकता है।
2.6. कथन: सरकारी अभिलेख भारतीय इतिहास के लिए महत्त्वपूर्ण है ?
व्याख्या 1 इससे विद्रीश सरकार के बारे में सूचना प्राप्त की जा सकती है।
व्याख्या 2 : इससे नागरिकों का चारित्रिक विश्लेषण किया जा सकता है।
व्याख्या 3: अभिलेखों द्वारा प्रकाशित सूचना सत्य स्वीकार की जाती है।
उत्तर : व्याख्या 3: अभिलेखों द्वारा प्रकाशित सूचना सत्य स्वीकार की जाती है।
2.7. कथन : महेन्द्रलाल सरकार का नाम भारतीय विज्ञान के इतिहास के क्षेत्र में याद किया जाता है।
व्याख्या 1: ये भारत के प्रथम वैज्ञानिक थे।
व्याख्या 2: उन्होंने भारत में I.A.C.S. की स्थापना की थी।
व्याख्या 3 वे बसु विज्ञान मंदिर में शिक्षण का कार्य करते थे।
उत्तर: व्याख्या 2 : उन्होंने भारत में I.A.C.S, की स्थापना की थी।
3.1. सैन्य इतिहास के अध्ययन का क्या महत्व है ?
उत्तर : सभ्यता के विकास एवं राष्ट्र निर्माण के साथ ही सैन्य व्यवस्था का जन्म हुआ। अतः सैन्य इतिहास का निम्नलिखित महत्व है – (i) पहले लेखक सैन्य इतिहास की अध्ययन के अन्तर्गत सैनिकों के तरीकों, विभिन्न तरह के लड़े गये युद्ध तथा सैन्य इतिहास की एक शाखा के रूप में नौ सेना के इतिहास का उल्लेख करते थे। (ii) 1970 के दशक से नवीन सैन्य इतिहास के अध्ययन की शुरुआत हुई, जिसके अन्तर्गत (a) सैनिकों और जनरलों की तुलना (b) युद्ध-मनोविज्ञान के साथ, बुद्ध की रणनीति (C) समाज और संस्कृति पर युद्ध का पड़ने वाला व्यापक प्रभाव आदि का अध्ययन किया जाने लगा ।
3.2. 'सरकारी दस्तावेज' का क्या तात्पर्य है ? अथवा, 'सरकारी अभिलेख' से क्या समझते हैं ?
उत्तर : सरकारी दस्तावेज का तात्पर्य उन प्रपत्रों से है जो सरकारी कर्मचारियों द्वारा सूचना, आदेश रिपोर्ट आदि के बारे में दूसरे कर्मचारियों, अधिकारियों एवं शासकों को लिखे जाते हैं। इन दस्तावेजों में राष्ट्रीय एवं राज्य के अभिलेखागारों में रखे गये सरकारी पत्र, पत्राचार, पुलिस डायरी, सरकारी रिपोर्ट, खुफिया रिपोर्ट, आधिकारियों के साक्षात्कार आदि शामिल हैं। ये दस्तावेज आधुनिक भारतीय इतिहास के प्राथमिक स्रोत हैं, किन्तु इनका उपयोग करने से पहले काफी खोजबीन सतर्कता का सहारा लेना पड़ता है
3.3.आधुनिक भारत के इतिहास के स्रोतों में सरकारी दस्तावेजों की क्या सीमाबद्धताएं हैं ?
उत्तर : आधुनिक भारत को जानने के लिए सरकारी दस्तावेज एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनकी मदद से हमें अतीत की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। लेकिन उस समय में भारत में अंग्रेजों का अधिकार था। अतः सरकारी दस्तावेजों पर पूर्ण रूप से भरोसा नहीं किया जा सकता था। ये दस्तावेज अंग्रेज अधिकारियों के द्वारा ही तैयार किए गये होते थे। प्रेस के ऊपर अंकुश लगा होने के कारण केवल वही समाचार प्रकाशित होते थे जिन्हें अंग्रेजों की तरफ से स्वीकृति मिली होती थी। जिस प्रकार जलियाँवाला बाग की घटना का पता देशवासियों को काफी दिनों के पश्चात चला था। अतः ये दस्तावेज संपूर्ण इतिहास को सही तरीके से नहीं बता सकते हैं।
3.4.आत्मकथा एवं स्मृतिकथा का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: स्मृति इतिहास जानने की एक बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है। स्मृति के द्वारा ही आत्मकथा, यात्रा वृतांत, निबंध लेखन, आदि संपन्न होते हैं। आत्मजीवन मूलक ग्रंथों का प्रधान विषय-वस्तु स्मृति कथा है। इस प्रकार स्मृति कथा एक प्रकार का साहित्य है जहाँ लेखक अपने जीवन में घटित घटनाओं का विवरण अपनी स्मृतियों के माध्यम से प्रस्तुत करता है। भारत में भी ऐसे साहित्यिक स्मृति कथा पायी गयी जो तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था के दृश्य को उपस्थित करती है। स्मृति कथाओं की रचना विशेषकर ज्ञानी व्यक्ति ही करते हैं। उनके द्वारा दिये गये विभिन्न विवरण से अतीत की विभिन्न वास्तविक घटनाओं के तथ्यों की प्राप्ति होती है। उदाहरण स्वरूप 1946 ई० में कलकत्ता में हुए दंगा की घटना की जानकारी विभिन्न व्यक्तियों की स्मृति के माध्यम से ही मिलती हैं।
3.5. स्थानीय इतिहास के अध्ययन का क्या महत्व है ?
उत्तर: स्थानीय इतिहास स्थान विशेष के भौगोलिक क्षेत्र की छोटी-बड़ी स्थानीय घटनाओं संस्कृति, परम्परा, सामाजिक, आर्थिक दशाओं, खेल-कूद, कला-साहित्य की जानकारी देते हैं जो सभ्यता-संस्कृति के विकास में पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाते हैं। कुमुद नाथ मल्लिक की नदिया की कहानी, अमानतुल्ला की कूचबिहार का इतिहास तथा सुधीर कुमार मित्र का हुगली जिले का इतिहास इसके उदाहरण है।
3.6.समाचार पत्र एवं पत्रिका में क्या अन्तर है ?
उत्तर : समाचार पत्र नियमित रूप से प्रतिदिन की घटनाओं एवं सूचनाओं के साथ प्रकाशित होते है। जैसे - सोमप्रकाश। जबकि समाचार पत्रिका एक निश्चित अन्तराल पर एक निश्चित उद्देश्य एवं प्राथमिकता के आधार पर प्रकाशित होती है। जैसे प्रवासी, सबुजपाता एवं बंगदर्शन।
3.7. परिवेश (पर्यावरण) के इतिहास का क्या महत्व है ?
उत्तर: पर्यावरण का इतिहास मानव सभ्यता का इतिहास है। मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के मनमानी दुरुपयोग ने विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसी की प्रतिक्रिया स्वरूप पर्यावरण को बचाने के लिए 'चिपको आन्दोलन, ' 'नर्मदा बचाओ' आन्दोलन शुरू हुआ। इस प्रकार पर्यावरण के प्रति जागरुकता उत्पन्न करने में पर्यावरण इतिहास का महत्व है।
3.8.स्मृतिकथा अथवा आत्मकथा को आधुनिक भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में किस प्रकार व्यवहार किया जाता है ?
उत्तर : इतिहास लेखन के क्षेत्र में स्मृतिकथा या आत्मजीवनी को एक प्रामाणिक स्रोत के रूप में व्यवहार किया जाता है। इससे व्यक्तिगत गुण-स्वभाव के साथ-साथ उस समय के समाज की संस्कृति, घटनाओं, समस्याओं, राष्ट्रीय आन्दोलन आदि अन्य विविध विषयों की जानकारी मिलती है।
3.9. सामाजिक इतिहास क्या है ?
उत्तर: वह इतिहास जिसके अन्तर्गत मानव समाज के सभी वर्गों के सामाजिक जीवन के विभिन्न पक्षों धर्म नैतिकता, कृषि, वाणिज्य, खेल-कूद, खान-पान, वेश-भूषा, कला आदि अन्य विषयों का अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है, उसे सामाजिक इतिहास कहा जाता है।
3.10. इतिहास के स्रोत के रूप में समाचार पत्रों का क्या महत्व है ?
उत्तर: इतिहास के स्रोत के रूप में समाचार पत्रों का यही महत्व है कि ये समसामयिक घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी होते हैं, इनसे घटनाओं की तिथि, (समय) कारण आदि अन्य बातों की कमबद्ध जानकारी प्राप्त होती है।
3.11. स्थानीय इतिहास से क्या समझते हैं ?
उत्तर : स्थान विशेष के निवासियों की प्रकृति, इतिहास, आर्थिक क्रिया-कलाप, संस्कृति, भाषा, भौगोलिक स्थिति तथा जीवन के तौर-तरीके आदि अन्य जटिल विषयों का अध्ययन स्थानीय इतिहास कहलाता है। 13.12. किस प्रकार एक आत्मकथा इतिहास के एक स्रोत के रूप में उपयोगी है Board Sample Paper) उत्तर : स्मृति इतिहास जानने की एक बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है। स्मृति के द्वारा ही आत्मकथा, यात्रा वृत्तांत, निबंध लेखन आदि संपन्न होते हैं। आत्मजीवन मूलक ग्रंथों की प्रधान विषय-वस्तु स्मृति कथा है। स्मृति कथाओं की रचना विशेषकर ज्ञानी व्यक्ति ही करते हैं। उनके द्वारा दिये गये विवरण से अतीत के विभिन्न वास्तविक घटनाओं के तथ्यों की जानकारी प्राप्त होती है।
3.12. ब्रिटिश सरकार द्वारा क्यों 1878 ई० में 'सोमप्रकाश' पत्रिका का प्रकाशन बन्द कर दिया गया था?
उत्तर : लार्ड लिटन के बर्नाक्यूलर प्रेस अधिनियम के पारित हो जाने पर ब्रिटिश सरकार द्वारा इस पत्र का प्रकाशन बंद कर दिया गया, क्योंकि इस पत्रिका के माध्यम से अंग्रेजी शासन के विभिन्न जनस्वार्थ विरोधी नीतियों का विरोध किया जाता था तथा जनमत तैयार किया जाता था। इस प्रकार सरकार ने जन विरोध की भावनाओं को रोकने के लिए सोमप्रकाश के प्रकाशन पर रोक लगा दी थी।
3.13. इतिहास के अध्ययन के तत्व स्वरूप आत्मजीवनी एवं संस्मरणों के महत्व क्या है ?
उत्तर : स्मृति के द्वारा ही आत्मकथा, यात्रा-वृतांत, निबंध लेखन आदि संपन्न होते हैं। आत्मजीवनी मूल ग्रंथों की प्रधान विषय वस्तु स्मृति कथा है। इस प्रकार स्मृति कथा एक प्रकार का साहित्य है जहाँ लेखक अपने जीवन में घटित घटनाओं का विवरण अपनी स्मृतियों के माध्यम से प्रस्तुत करता है जो समसामयिक घटनाओं को समझने में मदद करती है। [
3.14. नारीवादी आन्दोलन (फेमिनिस्ट मूवमेंट) से आप क्या जानते हैं ?
उत्तर: जिस आंदालन के द्वारा महिलाओं के अधिकार तथा उनकी दशा सुधारने की मांग की गई, उसे ही नारीवादी आन्दोलन (फेमिनिस्ट मूवमेंट) कहा जाता है जिसकी शुरुआत 1960 ई० के दशक में अमेरिका तथा यूरोपीय देशों में हुई थी।
3.15.नया सामाजिक इतिहास और परम्परागत इतिहास में एक अन्तर बताइए।
उत्तर : इतिहास की जिस नवीन शाखा में धर्म, नैतिकता, भोजन, कला, संस्कृति तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को जाना जाता है उसे नूतन सामाजिक इतिहास कहा जाता है जबकि परम्परागत इतिहास में वंशीय, राजनीतिक तथा संवैधानिक इतिहास का अध्ययन किया जाता है।
3.16. नव जागरण काल किसे कहा गया है ?
उत्तर : 19वीं सदी के प्रारम्भ में भारत के बंगाल में हुए सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा धार्मि आंदोलनों के कारण लोगों में जागरुकता को ही नवजागरण काल कहा जाता है। नवजागरण कार मुख्यतः राजा राममोहन राय के काल से रवीन्द्रनाथ टैगोर के काल तक माना जाता है।
3.17.इंटरनेट के उपयोग के दो लाभ लिखिए।
उत्तर: इंटरनेट उपयोग के दो लाभ: (i) घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई किया जाना (i) ऑनलाइन नौकरी की जानकारी व आवेदन किया जा सकता है।
4.1. नारी इतिहास के ऊपर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर : विधाता की नायाब सृष्टि नारी का इतिहास उनके अस्तित्व के संघर्ष, उपलब्धियों एवं योगदान इतिहास है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक इनका इतिहास संघर्ष तथा योगदान से भरा पड़ा है। मध्यकाल में इनकी छवि धूमिल हुई, जिसके कारण उन्हें अपने अधिकारों से वंचित होना पड़ा। इसी खोये हुए आत्मसम्मान और अधिकारों की प्राप्ति के लिए उन्हें आन्दोलन करने पड़े जिसे 'नारीवादी आन्दोलन' या जाता है। इस आन्दोलन से राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें काफी बल मिला है। आज की नारी अपने अधिकार और कर्त्तव्य के प्रति सजग है। वह विविध शक्ति रूपों जैसे - माँ, पत्नी, गृहिणी, क्षत्राणी, खिलाड़ी, वीरागंना आदि रूपों में संस्कृति एवं परम्पराओं की संरक्षिका, शैक्षणिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, स्वतन्त्रता आन्दोलन, विज्ञान-तकनीकी, राजनीति, प्रशासनिक, साहित्यिक, अन्तरिक्ष विज्ञान, कला-खेलकूद सभी क्षेत्रों में अपने कर्तव्य कर्मठता और सृजनशीलता के माध्यम से राष्ट्र के निर्माण और विकास में अपना अभूतपूर्व योगदान देते हुए, पुरुष प्रधान समाज को चुनौती दे रही है। इस प्रकार नारी की उपस्थिति, योग्यता, योगदान, उपलब्धियां, मार्मिकता एवं सृजनशीलता प्रत्यक्ष रूप से उनके अस्तित्व हा परिचय देती है। चाहे लोपा, मैत्रेयी या गार्गी हो चाहे रजिया, नेफरतीती या जीजा बाई हो चाहे कल्पना चावला, सुनीता विलियम, इन्दिरा गाँधी, कुमार भण्डारनायके, एनजेला मैथुज व मार्गेट थैचर हो, ये सभी नारियों ने इतिहास मैं अपनी उपस्थिति दर्ज कराने तथा नारी समाज को जागृत एवं प्रेरित करने का कार्य किया ।
4.2. सरकारी दस्ताबेज से आप क्या समझते हैं ? यह किस प्रकार इतिहास लेखन में सहायक सिद्ध हुआ है ? उदाहरण सहित इसका स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर : सरकारी दस्तावेज (प्रपत्र) : सरकारी दस्तावेज का अर्थ सरकार के उन कागज पत्रों से है जो समय समय पर एक विभाग के अधिकारी द्वारा दूसरे विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को लिखे जाते हैं। वे सब कागजात सरकारी दस्तावेज कहलाते हैं। इन दस्तावेजों को सरकार द्वारा प्रमाणित तथ्य के रूप में सुरक्षित रखा जाता है।
एक सरकारी दस्तावेज के अन्तर्गत अधिकारियों के पत्र, रिपोर्ट, आँकड़े, खोज एवं जाँच पत्र समय-समय पर जारी सूचनाएं आदि आते हैं। इतिहास लेखन में योगदान सरकारी दस्तावेज इतिहास के प्राथमिक स्रोत होते हैं जो योग्य अधिकारियों एवं विद्वानों द्वारा लिखे जाते हैं, इस कारण ये अधिक तथ्यपूर्ण, प्रमाणित और विश्वसनीय माने जाते हैं। इस कारण इन दस्तावेजों से मिलने वाली सूचनाएँ इतिहास लिखने में तथा इतिहास के शोधकर्त्ता के लिए अधिक उपयोगी और लाभदायक होती हैं। सरकारी दस्तावेज के सम्बंध में 1905 ई० में 'लार्ड कर्जन' का यह पत्र बताता है कि 1905 ई० में धर्म, जाति एवं भाषा के आधार पर बंगाल का विभाजन कर बंगाल की जनता सहित पूरे देश में फूट डालकर देश को कमजोर बनाना और उन पर मजबूती के साथ शासन करना था, जबकि उसने उस समय जनता के सामने घोषणा की थी कि प्रशासनिक सुविधा के लिए बंगाल का विभाजन करना आवश्यक है; कर्जन का यह सरकारी पत्र बतलाता है कि कर्जन ने (उसने) जनता से मिथ्या कहा था। इस तरह सरकारी दस्तावेज घटनाओं को प्रामाणिक बनाने में सबूत का कार्य करते हैं।
4.3. विपिन चन्द्र पाल द्वारा रचित 'सत्तर बच्छर' नाम की आत्म-जीवनी का मुख्य मुद्दा क्या है ?
अथवा, सत्तर बच्छर से हमें कौन-सी ऐतिहासिक जानकारी मिलती है ?
उत्तर : सत्तर बच्छर : सत्तर बच्छर के लेखक विपिन चन्द्र पाल हैं। यह उनकी आत्मकथा है। इस पुस्तक का प्रकाशन 1927 ई० में हुआ था। इस पुस्तक में उन्होंने अपने जीवन के उन महत्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन किया है जिसके द्वारा हमें उनके स्वभाव, सिद्धान्त एवं अंग्रेजी शासन के विरुद्ध उनके कार्यों का पता चलता है। यह पुस्तक करीब 650 पृष्ठों की है। विपिन चन्द्र पाल ने लोगों को इस पुस्तक की सच्चाई से अवगत कराने के लिए विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण तथ्यों को सबके समक्ष उपस्थित करने का प्रयास किया। इस पुस्तक से हमें पता चलता है कि विपिन चन्द्र पाल एक सिद्धान्तबादी व्यक्ति थे, उन्होंने अपने सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नहीं किया। यहाँ तक कि उनके अनेक सिद्धान्त पिता और पुत्र के मधुर सम्बन्धों के बीच अनबन के कारण बन गये। इस कारण इन्होंने अपने पिता से गुजारा भत्ता लेने से भी इंकार कर दिया और रोजी-रोटी की खोज में उन्हें घर छोड़ना पड़ा। इसी क्रम में इन्होंने कटक में प्रधानाध्यापक का कार्य भार संभाला, लेकिन वहाँ भी विद्यालय के प्रबंधक से इनके विचार नहीं मिले जिसके कारण इन्होंने प्रधानाध्यापक के पद से त्याग पत्र दे दिया। विपिन चन्द्र पाल कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे लाल-बाल-पाल की प्रसिद्ध तिकड़ी के सदस्य थे। इनकी आत्मकथा में तत्कालीन भारत की राजनीतिक परिस्थितियों की महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। कांग्रेस के द्वारा चलाये गए विभिन्न आन्दोलनों की विस्तृत जानकारियाँ, रणनीति एवं तत्कालीन परिस्थितियों का स्पष्ट ज्ञान इस पुस्तक से प्राप्त होता है।
4.4. सरला देवी की रचना 'जीवनेर झडापाता' एवं रवीन्द्र नाथ टैगोर की रचना 'जीवन स्मृति' के ऐतिहासिक महत्व का संक्षेप में वर्णन कीजिए। अथवा जीवनेर झापाता से हमें कौन-कौन सी ऐतिहासिक जानकारियाँ प्राप्त होती हैं ?
उत्तर : जीवनेर झड़ापाता यह सरला देवी चौधरानी की आत्मकथा है। ये रवीन्द्रनाथ टैगौर के बड़े भाई की पुत्री थी। टैगोर परिवार में जन्म लेने के कारण शुरू से ही राजनीति एवं साहित्य में इनकी जिज्ञासा रही। इन्होंने बेथुन स्कूल एवं कालेज से शिक्षा प्राप्त की। यह एक शिक्षाविद् एवं नारीवादी महिला थी। इनकी आत्मकथा में नारियों की स्थिति एवं उनकी समस्याओं का सजीव वर्णन मिलता है। इन्होंने नारी उत्थान एवं उनकी शिक्षा के लिए काफी कार्य किया था। इन्होंने कई समाचार पत्रों का अनुवाद भी किया था। उस समय की महिला आत्मकथा की यह एक अनमोल कृति है। इस संस्मरण में सरला के बाल्यकाल का वर्णन है। जैसा कि सरला देवी ने उल्लेख किया है कि जन्म से ही इनके जीवन में पतझड़ शुरू हो गया था जिसकी शुरुआत माता के तिरस्कार से होती है । जीवनेर झड़ापाता का प्रारम्भ जोड़सांकू के टैगौर परिवार के घर के दूसरे तल्ले से शुरू होता है जहाँ सरला का डूबते सूर्य वाले घर में जन्म होता है। इसके शीघ्र बाद ही पर की परम्परा के अनुसार उसे एक नर्स के हाथों सौंप दिया जाता है। अपने संस्मरण में सरला ने लिखा है कि जब वह चार वर्ष की थी तो संगमरमर पत्थर पर खेलते हुए सीढ़ियों से लुढ़क गयी, दो दाँत टूट गए और वो खून से भर गई। आया के भय से उसे जोर से रोने का साहस भी न था । माँ ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया, पिता नीचे आए और उन्होंने दवा आदि लगाई। वह कहती है कि वह नहीं जान पाई कि माँ का प्यार क्या होता है ? उनका विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध कर दिया गया था। उनका दाम्पत्य जीवन भी सुखमय नहीं बीता और 1923 ई० में उनके पति की मृत्यु हो गई। वह स्वामी विवेकानन्द के विचारों से काफी प्रभावित थीं। इस पुस्तक में सरला देवी चौधरानी के महात्मा गाँधी के साथ भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने का वर्णन है। 1944 ई० में सरला देवी चौधरानी की मृत्यु हो गई। अतः इस पुस्तक से उनके जीवन के विविध पक्षों की जानकारी प्राप्त होती है।
जीवन स्मृति: जीवन स्मृति से हमें रवीन्द्रनाथ टैगोर के प्रारम्भिक 27 वर्षों के जीवन की झाँकी की जानकारी मिलती है। इस पुस्तक में रवीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन के उन पहलुओं का वर्णन है जिसके बारे में पूरा विश्व अनजान है । इस पुस्तक में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा है कि उनका बचपन बड़े ही कठोर निर्देशन तथा अनुशासन में बीता, वे प्रकृति की गोद में अपने घर पर ही शिक्षा अध्ययन करते थे। उनकी देखभाल करने वाले उनपर कठोर नियंत्रण रखते थे । वे अपने घर की खिड़की पर बैठे-बैठे प्राकृतिक दृश्यों को निहारा करते थे तथा उनपर कविताएँ लिखते थे। इसके अलावा उनकी इस पुस्तक में बालकों के मनोविज्ञान का वर्णन भी मिलता है ।
4.5. पर्यावरण इतिहास और उसके महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर : पर्यावरण इतिहास: पर्यावरण इतिहास का अर्थ मानव संसार के संदर्भ में अतीतकाल (भूतकाल) के पर्यावरण की उन परिस्थितियों का अध्ययन करना है जिसने मानवीय क्रियाओं की प्रभावित किया। अतः मानवीय क्रियाओं के सम्बन्ध में प्राकृतिक वातावरण के अच्छे व बुरे प्रभावों का अध्ययन पर्यावरण इतिहास कहलाता है।
पर्यावरण इतिहास के अध्ययन की शुरुआत 1960 ई० में अमेरिका से शुरू हुई जो आज धीरे-धीरे पूरे विश्व में प्रचलित व विस्तारित होकर इतिहास के एक महत्वपूर्ण विषय-वस्तु के रूप में स्थापित हो चुका है। पर्यावरण इतिहास के अन्तर्गत मुख्य रूप से तीन विषयों प्रकृति का बदलता स्वरूप, प्रभाव और प्रकृति की वस्तुओं का उपयोग, प्रकृति और मनुष्य के समन्वय (सहयोग) से उत्पन्न परिस्थितियों का प्रभाव आदि का अध्ययन किया जाता है।
पर्यावरण इतिहास का महत्व या प्रभाव: पर्यावरण इतिहास का महत्व या प्रभाव यही है कि ये प्रकृति और मनुष्य के मित्रतापूर्ण सम्बन्धों को दर्शाता है। प्रकृति से मनुष्य का प्राचीन काल से ही सम्बन्ध रहा है। इसी प्रकृति की मिट्टी में लोट-पोट कर प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर आज मनुष्य यहाँ तक पहुँचा है किन्तु आत मनुष्य प्रकृति को एक वस्तु मानकर उपयोग करने लगा है। इस कारण पर्यावरण सम्बन्धी उसकी समस्याएँ. सूखा, बाद, मिट्टी अपक्षरण, प्रदूषण जैसी समस्याएं पैदा हो गई हैं जिसने मानव सहित पृथ्वी के समस्त जीवधारियों के जीवन के लिये संकट पैदा कर दिया है। इस प्रकार पर्यावरण इतिहास ने पर्यावरण के उपयोग, बचाव, संरक्षण में योगदान दिया है। आज पर्यावरण को स्वस्थ, सुंदर और सुरक्षित बनाये रखने के लिए पर्यावरण आन्दोलन चलाए जा रहे हैं या गये हैं। पर्यावरण आन्दोलनों में 'सुंदरलाल बहुगुणा" द्वारा गढ़वाल का 'चिपको आन्दोलन' तथा 'बाबा आमटे' और 'मेघा पाटेकर' का 'नर्मदा बचाओ आन्दोलन' पर्यावरण के प्रति जागरुकता पैदा करने वाला पर्यावरण आन्दोलन था। फलस्वरूप जनसामान्य में चेतना आयी और उत्तकी रक्षा के लिए तत्पर हुआ। इस प्रकार पर्यावरण मनुष्य के जीवन, सभ्यता, संस्कृति तथा अर्थनीति को नियंत्रित करता है।
4.6. आत्मकथा या जीवनी से आप क्या समझते हैं? यह किस प्रकार इतिहास लेखन में उपयोगी है?
उत्तर: आत्मकथा / जीवनी :- जब कोई व्यक्ति अपने जीवन से सम्बंधित कार्यों एवं घटनाओं को ईमानदारी से लिखकर या लिखवाकर समाज के सामने प्रस्तुत करता है; तो इस तरह की लिखित पुस्तकें आत्मकथा / जीवनी कहलाती हैं।
इतिहास लेखन में उपयोगी :- आत्मकथा व्यक्ति विशेष के जीवन से सम्बन्धित सत्य घटनाओं के आधार पर लिखी जाती है; इसलिए ये प्रमाणित और विश्वसनीय मानी जाती है। ऐसी पुस्तकें इतिहास के प्राथमिक स्रोत मानी जाती हैं। इन पुस्तकों से अतीत की बहुत सी बातों की जानकारी होती है जो उस समय किसी कारणवश सामने नहीं आ सकीं। कुछ विद्वान आत्मकथा की विश्वसनीयता पर संदेह व्यक्त करते हैं। व्यक्ति परिस्थितियों अनुसार अपने फायदे के लिए सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करता हैं, फिर भी जीवनी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इतिहास लेखन के प्रारमिक प्रामाणिक (प्रमाणित) स्रोत के रूप में अधिक उपयोगी होती हैं। अब्दुल कलाम आजाद की आत्मकथा "की उड़ान तथा सचिन तेंदुलकर की आत्मकथा पुस्तक "प्लेइंग इट माईवे" ("Playing it my way") ऐसी ही प्रसिद्ध पुस्तकें हैं जो उनके जीवन से सम्बन्धित बातों को समाज के सामने उजागर करने में सहायक व लाभकारी हैं।
4.7. सोमप्रकाश पत्रिका का संपादन कब और किसने शुरू किया ? इस पत्रिका का महत्व या भारतीय आन्दोलन में इसके योगदान का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर: सोमप्रकाश समाचार पत्र या पत्रिका सोमप्रकाश समाचार पत्रिका का प्रकाशन 15 नवम्बर 1858 ई० में ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने कलकत्ता में किया था। इसका प्रथम सम्पादक द्वारिकानाथ विद्याभूषण थे। सोमप्रकाश पत्रिका का योगदान सोमप्रकाश बंगला भाषा में कलकत्ता से प्रकाशित होने वाला अपने समय का एक चर्चित साप्ताहिक समाचार पत्र था। इस पत्रिका ने बहुत कम समय में अपनी भाषा की सरलता, निडरता के साथ-साथ आलोचनाओं के कारण ख्याति (प्रसिद्धि) प्राप्त कर ली। प्रति सोमवार को प्रकाशित होने के कारण इस पत्रिका का नाम सोमप्रकाश पड़ा था। इस पत्रिका ने अंग्रेजों की शोषण नीति, नील किसानों का शोषण, जमींदारों, उद्योगपतियों के अत्याचार, मजदूरों के हितों की रक्षा, बाल-विवाह, बलि प्रथा, कुलीन प्रधा का विरोध, विधवा विवाह तथा स्त्री शिक्षा के प्रचार-प्रसार में इस पत्रिका ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह पत्र बिना किसी डर भय के अंग्रेजों की शासन नीति और अत्याचार का खुलकर विरोध किया तथा देशवासियों के अन्दर राजनीतिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय जागरुकता पैदा की। इस समय की सभी छोटी-बड़ी महत्वपूर्ण राजनीतिक एवं आर्थिक घटनाएँ इसी पत्रिका में छपा करती थीं। इस कारण इस पत्रिका ने अंग्रेजों के विरुद्ध देश की जनता को जागृत एवं संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब 1878 ई० में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट कानून लागू किया, तो उसका सबसे पहला शिकार सोमप्रकाश पत्रिका ही बना अर्थात् अंग्रेजों की शर्तों को न मानने के कारण इस पत्रिका का प्रकाशन बन्द कर देना पड़ा। इस प्रकार आधुनिक भारत को एक नई दिशा देने, भारतीयों की आवाज को बुलंद करने और उनके स्वाभिमान को अंग्रेजों के सामने न झुकने का साहस दिखाया। इस प्रकार सोमप्रकाश पत्रिका ने देश में जागरुकता, उत्साह, साहस एवं देशप्रेम की भावना को जगाने में अमूल्य योगदान दिया।
4.8. स्थानीय या आंचलिक इतिहास की विशेषता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर : स्थानीय या आंचलिक इतिहास : किसी स्थान या क्षेत्र विशेष में निवास करने वाले मानव समुदाय के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, लोक गाथाएँ आदि की सूचनाओं का संग्रह करने वाला इतिहास आंचलिक या स्थानीय इतिहास कहलाता है। आंचलिक इतिहास में स्थानीय राजाओं- महाराजाओं, प्रजा और उनके क्रियाकलाप का वर्णन होता है। कल्हण द्वारा कश्मीर के राजाओं या राजवंशों पर लिखी गई पुस्तक 'राजतरंगिनी' भारत की पहली ऐतिहासिक पुस्तक स्थानीय इतिहास का उदाहरण है।
इसमें उस स्थान के सांस्कृतिक एवं सामाजिक दशा का वर्णन होता है। घटनाओं की जानकारी स्थानीय लोगों के द्वारा लिखित पत्रों या मौखिक रूप में मिलती है। स्थानीय इतिहास से उन स्थानों की जानाकरी प्राप्त होती है जिनका उल्लेख या महत्व ज्यादा नहीं होता है। इन ऐतिहासिक तथ्यों का संग्रह इतिहासकारों द्वारा शौकिया किया गया होता है जिससे वास्तविक स्थिति का ज्ञान पूरी तरह नहीं हो पाता है। इस तरह स्थानीय इतिहास छोटे-छोटे असंख्य वीर स्त्री-पुरुषों के अदम्य साहस, त्याग, बलिदान आदि की जानकारी देते हैं।
4.9. इतिहास लेखन में मौखिक कथा का किस प्रकार से अवदान हो सकता है, उदाहरण के साथ लिखो ।
उत्तर : जो घटनाएँ, कहानियाँ, कहावतें, मिथक आदि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्वतः मौखिक रूप से बढ़ती जाती हैं उसे मौखिक कथा कहते हैं। इनसे प्राचीन समाज के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं दार्शनिक पहलुओं की जानकारी होती है जिसका उपयोग इतिहास लेखन के स्रोत के रूप में किया जाता है। उदाहरण के तौर पर रामायण, महाभारत आदि पौराणिक ग्रंथों को लिया जा सकता है। आज भी बहुत सी सांस्कृतिक परम्परायें पौराणिक कथाओं के माध्यम से जीवित है, जो धर्म सम्मत आचरण नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देती हैं तथा बहुत से गलत कार्यों को करने से रोकती है। इस प्रकार से मौखिक कथा इतिहास लेखन में अवदान करते है।
4.10. बंग-दर्शन पत्रिका का सम्पादन कब और किसके द्वारा शुरू किया गया था ? यह पत्रिका देशवासियों में किस प्रकार से राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करने में सहायक सिद्ध हुई?
उत्तर : बंग-दर्शन पत्रिका : बंग-दर्शन बंगला भाषा में प्रकाशित होने वाली एक मासिक पत्रिका थी। इस पत्रिका का प्रकाशन श्री बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा 1872 ई० में कलकत्ता से शुरू किया गया था। इस पत्रिका के माध्यम से हमें उस समय के उपन्यासों, कहानियों, हास्य-व्यंग्य चित्रों, निबन्धों, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं उनकी सूचनाओं, कृषक समस्या, हिन्दू-मुस्लिम समस्या आदि विषयों के भिन्न-भिन्न पक्षों की जानकारी प्राप्त होती है।
बंग-दर्शन पत्रिका का भारत की राष्ट्रीयता में योगदान / महत्व : बंगाली जाति की पहचान को देश-दुनिया में उजागर करने एवं बंगाल सहित पूरे देश में राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करने में बंग-दर्शन पत्रिका ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इस पत्रिका द्वारा पढ़े-लिखे एवं साधारण वर्ग दोनों के विकास कार्यों का प्रचार होता था, जिससे लोग एक-दूसरे की भावना से परिचित होते थे। इस पत्रिका में पश्चिमी रंग-ढंग में डले बंगाली बाबू पर व्यंग्य किया जाता था। इस पत्रिका में मुस्लिम जमींदारों के विरुद्ध विद्रोह, संन्यासी विद्रोह का भी वर्णन किया जाता था; जिससे लोग प्रभावित होकर उस आन्दोलन के पक्ष में उठ खड़े होते थे। 'आनन्दमठ' उपन्यास की क्रान्तिकारी घटनाओं के प्रकाशन ने देश के नवयुवकों को आजादी की प्राप्ति के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। फलस्वरूप देश के विभिन्न भागों में क्रान्तिकारी एवं राजनीतिक संगठनों की स्थापना हुई। आनन्दमट का 'बन्दे मातरम' गीत गाते हुए अजादी के दीवाने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर कुर्बान हो जाया करते थे।
इस प्रकार बंग-दर्शन पत्रिका ने एक तरफ देश के लोगों को सांस्कृतिक गौरव की प्राप्ति के लिए उत्साहित किया तो दूसरी तरफ अंग्रेजों के शासन के शोषण और अत्याचार के विरुद्ध घृणा और नफरत की भावना पैदा की और इसी भावना ने देश के जन-जन के मन में देश-प्रेम की भावना अर्थात राष्ट्रीयता की भावना को जन्म दिया और वे आजादी की प्राप्ति के लिए लड़ने-मरने को तैयार हो गये। इस प्रकार बंग-दर्शन पत्रिका ने बंगालियों व देशवासियों के जीवन और सोच में राष्ट्रीयतावाद की भावना को जन्म दिया।